Sunday, 2 April 2017

रोमियो ही क्यों

अभी जोर शोर से जो नाम सुनाई दे रहे है वो है एक तो राम और दूसरा रोमियो। एक ही राशि के दो नामो के प्रति अलग अलग भावनाएं है और हमारे देश में आप किसी की भी जान से खिलवाड़ कर सकते हो परंतु ख़बरदार जो किसी की भावनाओ से खिलवाड़ किया तो।

चलिए ज्यादा सेंटी नहीं होते है और मुद्दे पर आते है की आखिर यार एंटी-रोमियो अभियान एकदम से कैसे चल पड़ा और इसका मास्टर माइंड कौन है ? इस अभियान के मोटिव को तो आप सब जानते ही होंगे, किंतु इसके नामकरण के पिछे हाथ है सुब्रमंड्यम स्वामी का जी सही सुना आपने। दर-असल रोम है इटली में और स्वामी जी को इटली वालो से है नफ़रत। बस इतनी सी बात है की स्वामी जी एंटी रोमियो हो गए और योगी जी को नाम सुझा  दिया।




लेकिन रोमियो से नफ़रत करने वाले स्वामी जी को राम जी से बड़ा प्यार है किन्तु इन्ही राम जी का एक बहुत ही प्रसिद्द भजन है जिससे स्वामी जी को बेहद चिढ है और वो भजन है -
                                                               मेरे रोम रोम में बसने वाले राम.  . .
इसीलिए वो कहते है की राम सिर्फ अयोध्या में बसेंगे रोम में नहीं।


चलिए फिर हम भावनाओ में भटक गए बात करते है मुद्दे की, आखिर एंटी रोमियो या एंटी मजनू ही क्यों ? क्यों कोई सरकार एंटी जूलिएट अभियान नहीं चलाती है उस जूलिएट के लिए जो कॉलेज में अपनी अदा दिखा कर दोस्त बना कर लड़को से कैंटीन का बिल भरवाती है, क्यों उस जुलिएट को कोई कुछ नहीं कहता जिसके लिए बेचारा रोमियो अपनी पढ़ाई छोड़कर उसका सारा असाइनमेंट पूरा करे, उसके लिए डेली हर क्लास अटेंड करे और अंत में सिर्फ एक अच्छा दोस्त (धीरे से इसको चु**या पढ़े )बन के रह जाये।


क्यों कोई अभियान नहीं चलता उस जूलिएट के लिए जो दफ्तरों में हलकी से बातचीत और ठिठोली करके अपना सारा कोड बेचारे रोमियों से लिखवा कर अप्रैज़ल सुधार लेती है  और रोमियो एक बार फिर अप्रैज़ल में C Grade लेकर एक बड़ा C बन जाता है। एक अभियान उस जूलिएट के लिए भी चले जो लिफ्ट खराब होने पर अपना १० किलो का राशन का झोला यह कह के शर्मा जी को पकड़ा देती है की अरे शर्मा जी आप तो बड़े फिट है , क्या मेरा बैग पांचवें माले तक ले चलेंगे ? और शर्मा जी छाती फुलाकर जब पाचंवे माले पर झोला देते है तो यही मैडम थैंक यू भैया कहके छाती पंक्चर कर देती है।

अगर आप हमारी बातो से सहमत है तो इस सन्देश को फैला दो ताकि यह सरकार तक पहुँच  जाये। और हाँ चलते चलते एक और बात कहनी थी कि सुना है अवैध कतलखाने भी बंद हो गए है , फिर भी हुस्न बालाएं अपनी  एक मुस्कान से कितने कितने दिलो का क़त्ल किये जा रही है , जरा इस और भी ध्यान दिया जाये।

चलते है , फिर मिलेंगे। राम और रोमियों से बेख़बर होके जरा रम की एक्सपायरी डेट देख लेते है। 



चित्र गूगल जी की मेहरबानी से
 

1 comment:

Sujatha Sathya said...

bahoot khoob likha! i don't usually read Hindi blogs so thanks for your comment on my blog. that's how i came here. this post was interesting

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