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Friday, 20 February 2015

विरोध करो

हमारे देश में ३ विशेष प्रकार के लोग आपको ज़रूर मिलेंगे, एक जो आपकी किसी भी बात पर "हाँजी" की मुंडी हिलाएंगे, दूसरे वो जो आपको हर मोड़ पर, हर कदम पर "राय" देते मिलेंगे और तीसरे वो जो आपकी हर बात का "विरोध" करेंगे। ताज़ा सर्वे के आंकड़े बताते है की तीसरे टाइप के याने की विरोधी स्वाभाव के लोग दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे है।

हर जगह हर कोई किसी न किसी बात का विरोध कर रहा है, विधानसभाओ में विपक्षी दल सत्तारूढ़ दल का विरोध कर रहे है, पत्नियां पतियों का विरोध कर रही है, पप्पू अपनी मम्मी का विरोध कर रहा है , मम्मी मोदी का विरोध कर रही है , सेंसर बोर्ड गालियों का विरोध कर रहा है  और हम अपने सारे विरोध गालियां निकाल के कर रहे है।

अभी अभी वेलेंटाईन डे बीता, हर साल की तरह इस साल भी बहुत दिलजलों ने इसका विरोध किया। शादी से पहले हमने भी गर्लफ्रेंड बनाने की कोशिश की तो हमारे घरवालो ने विरोध किया और शादी के बाद कोशिश की तो घरवाली ने विरोध किया तो तैश में आकर हमने भी इस वेलेंटाईन डे का विरोध कर डाला।

खैर अगर इतिहास खंगाले तो विरोध करना भारतियों के स्वाभाव में था ही नहीं, किन्तु जब से गांधी जी ने अवज्ञा आंदोलन का पाठ पढ़ाया और उस पाठ को हमने इतिहास की किताबो में रटा तब से हमे विरोध करने की आदत सी हो गयी है। यह बात और है की हमारा विरोध कहीं नोटिस नहीं होता न ही उस चीज से बच पाते है जिसका विरोध हम करते है।

मसलन स्कूल न जाने का , सुबह जल्दी न उठने का , होमवर्क न करने का , खेलने न जाने देने का , बर्फ का गोला न खाने देने का और कद्दू, करेले, बैगन, मेथी, पालक, मूंग दाल का विरोध तो आपको याद ही होगा जो बचपन में बहुत किया। टाँगे पटक पटक के किया, मूह फाड़ के, दहाड़े मार के और जमीन पर लेट के किया, किन्तु इतना विरोध करने से आखिर मिला क्या ? कुछ नहीं।

इससे तो अच्छा होता की हमारी माँ ने ही बाबूजी का कुछ विरोध किया होता, तो कम से कम हम इस निर्दयी दुनिया में आने से तो बच जाते।  बचपन में कुचले गए हमारे विरोध की खुन्नस हम उम्रभर किसी न किसी तरह का विरोध करके निकालते रहते है।

आज की दुनिया में तो आलम यह है की अगर सारी दुनिया किसी चीज का विरोध कर रही है और आप कुछ नहीं कर या कह रहे तो आप एक नंबर के चु**ये करार दिए जायेंगे। आजकल अपना विरोध दर्ज करवाने के लिए आपको किसी अनशन पर थोड़े ही बैठना है न ही पुलिस के डंडे खाने है। सोशल मिडिया का ज़माना है भई और इस ज़माने में विरोध करना कितना आसान है, जिस किसी ने भी विरोधी स्वाभाव की पोस्ट डाली हो  उसपे जाके बस एक "Like" बटन ही तो दबाना है, या किसी की पोस्ट अच्छी न लगे तो उसको थोड़ा गरिया दो याने गालियां पटक दो बस हो गया विरोध और आप बन गए इंटरनेट के "Intellectual" प्राणी। कुछ ज्यादा तूफ़ानी करना हो तो उस पोस्ट की अपने निहायती घने नेटवर्क(फेसबुक, व्हाट्सप्प, ट्विटर) में आग की तरह फैला दीजिये। और ऐसा करके आपने अपने हिस्से की समाज सेवा कर ली मानो।

अब अगर राजनीती की बात करे तो विपक्ष में बैठी पार्टियों का भी तो एक ही काम है , विरोध करो। कुछ भी हो जाये बस सरकार के कामो का विरोध करो। सरकार ने गरीबो के लिए बैंक खाते खुलवाये, विरोध करो, सरकार ने उद्यमियों की सुविधा के लिए कदम उठाये, विरोध करो, बस किसी न किसी तरह विरोध करो। जब कांग्रेस की सरकार ने परिवार नियोजन लागू किया तब लालू विपक्ष में थे उन्होंने इस योजना का विरोध किया, परिणामस्वरूप दर्जन भर बच्चे पैदा कर डाले।  अभी हमारी कांग्रेस पार्टी ने तो आतंकवादियों के इरादो पर पानी फेरने वाले सुरक्षाकर्मियों का ही विरोध कर दिया। अब तो हालत यह है की विपक्षी पार्टियों के अंदर ही एक दूसरे का विरोध शुरू हो गया है।ताजा हाल यह है की बिहार में एक ही दल के २ मुख्यमंत्री एक दूसरे के विरोध में खड़े है।

परन्तु असल बात तो यही है की जिसका जितना ज्यादा विरोध वो चीज उतनी तेज़ी से फैलती है , उदाहरण देखिये। बचपन में होमवर्क का विरोध किया तो वो बढ़ गया, खेल और टीवी पर पाबन्दी का विरोध किया तो १० और चीजो पर पाबन्दी लग गयी। आज की बात करे तो मोदी जी का १० सालो तक भयानक विरोध किया गया, किन्तु फल क्या निकला ?वो उतनी ही प्रचंडता से सरकार में आये। इधर दिल्ली में मोदी ने केजरीवाल का विरोध करने में पूरी ताकत झोंक डाली, और इस विरोध का परिणाम क्या निकला वो तो आप जानते है। आतंकवाद का विरोध पूरी दुनिया सालो से करती आ रही है, किन्तु क्या हुआ? रुकने की बजाये यह तेज़ी से विश्व के हर देश में फैलता जा रहा है। स्वास्थ्य की बात करे तो हम लोग एबोला और स्वाईन फ्लू का कितना विरोध कर रहे है फिर भी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। और सबसे बड़ा उदहारण फिल्म PK, कितना विरोध हुआ इस फिल्म का, किन्तु सबसे ज्यादा कमाई भी इसी फिल्म ने की।

इतने सरे उदाहरणों से कुछ समझे आप ? मतलब ये है की जिस चीज का जितना तगड़ा विरोध करो वो उतनी ही तेज़ी से फैलती है, सीधे सीधे न्यूटन महाराज का तीसरा नियम लागू हो रहा है।

तो अब ध्यान रखे, जब भी पेट्रोल के दाम घटे तब आप विरोध करे, जब भी अर्थव्यवस्था सुधार की बात हो आप विरोध करे, जब भी सेंसेक्स ऊपर चढ़ता दिखे तुरंत उसका विरोध शुरू करे, सफाई अभियान का विरोध करे, स्वाईन फ्लू और अन्य बीमारी से बचने के लिए जो निर्देश दिए है उनका विरोध करे, यहाँ तक की अगर कोई सरकारी कर्मचारी रिश्वत न ले तो उसका भी विरोध करे, फिर देखिये कैसे हमारा देश तरक्की करता है।

मैंने तो सरकार को चिट्ठी लिख के अपना यह प्रस्ताव भी भेजा है की सरकार अपने ख़ुफ़िया सोशल नेटवर्किंग डिपार्टमेंट को ही यह काम सौंप दे, विरोध करने का, बाकी हम "लाइक और शेयर" के बटन तो दबा ही देंगे।

तो कुल मिलाकर मन की शांति और देश की तरक्की के लिए विरोध करते रहिये। हम पैदा ही विरोध करने और सहने के लिए हुए है।




Friday, 12 December 2014

कांग्रेस मुक्त भारत




अभी अभी कुछ दिनों पहले सुनने में आया था की हैदराबाद के हवाई अड्डे  का नाम "राजीव गांधी हवाई अड्डे "  से बदल कर N.T.रामाराव  हवाई अड्डा रख दिया गया है। खबर सुनकर राजनितिक गलियारों में हड़कम्प मच गया था , खासकर कोंग्रेसियों के तो पेट ज्यादा खराब हो गए। वैसे भी कोंग्रेसियों के पास है ही क्या "इन ३ नाम" के अलावा ?

खैर जब इस खबर को खंगाला गया तो मेरे ख़ुफ़िया सूत्रों ने जो बात बताई वो बड़ी ही चौंकाने वाली है, हाँ आप भी चौंक जाओगे , दर-असल हवाई अड्डे का नाम बदलने के पीछे मोदी जी का हाथ है , जी हाँ भाई साब पुख्ता खबर है।  कुछ महीनो पहले के उनके भाषणो को याद करो तो आपको याद आएगा की मोदी जी ने हर जगह लगभग हर दिन एक नारा जोर जोर से लगाया था और वो था "कांग्रेस मुक्त भारत" का नारा।

आदरणीय केजरीवाल जी ने भी अपनी मुहर लगा दी है  इन सब के पीछे मोदी जी और अडानी /अम्बानी का हाथ है , एक गजेटेड ऑफिसर के द्वारा अटेस्टेड होने पर यह खबर और भी पुख्ता बन गयी है।

अब देश में कांग्रेस के पास ले देकर पूर्वजो (जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी) के नाम के अलावा कुछ बचा नहीं , और अगर कांग्रेस को जिन्दा रखना है तो इन नामो को जिन्दा रखना होगा, इसीलिए सोच समझ कर पिछली कांग्रेस सरकारों ने देश में ४५० से ज्यादा सरकारी योजनाओ,  भवनो, सडको , विश्वविद्यालयों इत्यादि के नाम इन तीन लोगो के नाम पर ही रखे है , ताकि इनके नाम पर ही सही लोग कांग्रेस को "कुछ अच्छे" के लिए याद रख सके।

Pic Courtesy  A Suryaprakash


किन्तु मोदी जी ने तो देश को कांग्रेस मुक्त करने की मानो शपथ सी ले रखी है। इसीलिए यह शुरुआत है की सबसे पहले सरकारी योजनाओ को गांधी-नेहरू परिवार के नाम से मुक्त किया जाये, फिर धीरे धीरे एयरपोर्ट, पोर्ट , स्टेडियम, सड़क, चौराहो और विश्विद्यालयों के नाम से नेहरू-गांधी हटाया जायेगा।

हैदराबाद में एयरपोर्ट का नाम बदल के कुछ हद तक कांग्रेस मुक्त भारत की और एक कदम उठा लिया है मोदी सरकार ने।  हमारे ख़ुफ़िया सूत्रों ने तो यहाँ तक खबर दी है की जल्द ही सरकार एक विधेयक लाने  वाली है जिसके तहत देश में जिसका भी नाम राजीव, राहुल, सोनिया, प्रियंका या रॉबर्ट (वैसे भी आजकल जवाहर, और इंदिरा नाम कोई नहीं रखता) होगा उसको सरकारी सुविधाओं से वंचित रखा जायेगा, उन्हें अपना नाम बदलना होगा। यही नहीं किसी ने अपने बच्चे का नाम इनमे से कुछ रखा तो उसे जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, या पासपोर्ट जारी नहीं किया जायेगा।  यह सब महत्त्वाकांक्षी योजनाएं अभी मोदी सरकार के मंत्रीगण  बना रहे है और जल्द ही इन्हे मोदी जी के समक्ष प्रस्तुत करके वाह वाही लूटने की तैयारी में है।

तो दोस्तों तैयार हो जाओ कांग्रेस मुक्त भारत के लिए।  अरे अरे.…………  अभी अभी एक और ख़ुफ़िया खबर आयी है की दिग्विजय सिंह ने राहुल गांधी को सुझाओ दिया है की वो "गांधी" सरनेम का पेटेंट कांग्रेस के नाम पे रजिस्टर करवा के कॉपी राइट लेले ताकि कोई और इसका फायदा न उठा सके।  सुना है की राहुल बाबा ने बात को मानते हुए अर्ज़ी दे दी है।  अगर ऐसा हो जाता है तो गांधी सरनेम वाले सभी लोग कांग्रेस की अधिसंपत्ति माने जायेंगे, .......ओह्ह्ह ...... फिर मेनका और वरुण का क्या होगा ?

खैर जो भी हो आप हमारे साथ लगातार लगातार बने रहिये, आपको लेटेस्ट अपडेट के साथ सरकार के अंदर की खबर देने फिर आएंगे, तब तक के लिए गुड नाईट।

डिस्क्लेमर: उपरोक्त लेख लिखते समय लेखक ने ४ बोतल वोडका अपने गले में उँडेली हुयी थी और उसकी टेबल पर ४ रैपर भांग की गोली के भी पाये गए थे। और जब तक मैंने यह लेख ब्लॉग पर डाला तब तक भी लेखक को होश नहीं आया था।




Monday, 24 March 2014

Polls from the eyes of an IT serviceman

These days the oxygen of India is so adulterated with politic that you can not refrain from inhaling it, even you use masks.
politics is everywhere, you want to search for any technical information you get ads of political parties on web pages, you read newspaper, every page is colored with politics, you switch TV channels, you get ads of parties there too. So in short, I want to say that you can not run away from politics even if you hate it most.

Now when the environment to so politics friendly, how can I escape from writing something on politics, however I have written on politics in past too, this time let's try to make it a little interesting.

As the title of this article says, election from the eyes of an IT serviceman, so if you do not belong to IT or do not understand IT people's emotions then stop reading.
 And if you are an IT fellow, working in development team or quality testing team, or as a technical consultant and want to see the political scenario as an IT guy, then go ahead my friend, you must read this article.

Here is a scenario, if I consider India as client and Central government as a production server, then we see that in last 10 years, the code in production server got corrupted, and needs to be either upgraded or should be replaced with new code. Client (India) follows a 5 yearly release process, means the whole code can be replaced or upgraded only once in 5 years. Emergency releases may possible provided that the production is completely down.

so once a code is released, our various development teams(political Parties) start coding for next release. Our client(India) does not have 2 team system, where best code of 2 will go to production, but we have several development teams. Whoever's code is passed by end user(Voters), only that code will be delivered to production. However there were only 2 big development teams for many years, who are coding for India, but now several small teams have been grown. In recent few releases India has deployed code written by one big team along with some small teams, because some of the crucial modules developed and integrated by small teams, and they given integration option to only one big team.

Here we name the teams, the oldest development team is called as team C, the other big team is called Team B and several small teams collectively can be called team X. So right now our production server is (dis)functioning on a code written by C+X.(anyways, Ctr+X means cut from everywhere and paste it in swiss production).
 The code is traditional and runs on legacy systems, with very limited flexibility. End Users are now frustrated with the performance of production system. End users used to have only option that they pass the code by Team B. All of sudden a new team arises, team A, who claimed that they can develop a code which is most suitable for production, which will remove all the bugs from production. Team A claimed that they born to kill bugs from production, they are willing to clean the system, so that users do not get useless pop ups and they can work on production system easily. 

We have several quality servers ( state government) which got periodically refreshed with the data from production, but they do not function exactly same as production, but somehow near to production. The big difference is load, there are less users per quality server as compare to production server.
So when Team A claimed that they have a revolutionary code which could fix all problems of production, then end users decided to test their code in one of the quality system(Delhi), in fact it can be called as a pre-production server. The code written by team A was deployed in Delhi, with the help of legacy system as they were short of some important modules. The code was tested for 49 days, since it was claimed that it is a revolutionary code and can bring drastic changes, so load testing was performed along with UAT.
Several bugs were reported, many times code was hanged, the main module of the code was so unpredictable that anytime it would stop working  and hang(sit on Dharna). End users of quality system were happy for some time as they could see a totally new interface to use, they started testing the system heavily.

Before implementing the code, development team A claimed that it is purest of pure code they have delivered, so they do not expect any bug. Testing teams have reported several bugs but dev team was reluctant to correct any of their bug. In fact their code could not survive the load which was generated, they excused that due to firewall we are not able to perform. They demanded to disable the firewall, they even claimed that the antivirus is not good, they wanted to implement their own antivirus. When dev team was forced to follow the CMM-5 process they became angry and they deimplemented their code by themselves from the quality.

Now the Delhi quality server is down, and waiting for a new deployment.

Even after failing in quality server, dev team A is preparing code for production, they want to deploy their code in production. They say that Team C has corrupted the production but Team B will also do the same. Team A's dev lead is everywhere criticizing team B's dev lead. In fact still they claim that only they can provide clean code, some end users are still hopeful, however chances are less that their code is going to be deployed.

Business people says that Team B has a code which may be deployed in production, no one from Team B claiming that their code has 0 bug, unlike Team A.  Offcourse they have some bugs in their code, some hard to identify and some they can not remove as they are using few unlicensed SDKs.

Team B is claiming that their code will be so robust and powerful that it will improve the performance of production, and so the business of client will be improved, they are claiming that they will save the system from Trojan, spams, and viruses. In fact they have implemented their code in some quality systems successfully and their code is running fine, no major bugs reported. There is one thing that is still horrifying for Team B.In 2002 one of quality server where their code was running crashed due to some important database table corruption, however they have somehow recovered the tables, but lost data. The data which was belonged to a certain group of user could not be recovered. That part of users think that the code developed by Team B is not suitable for them, so they may deny the deployment of Team B's code. But Team B's star coder, who has developed a smooth code in a quality server Gujarat, has become the face of Team B. People are starting to believe that he can write a good code.

Now coming to team C, which is also known for masters of legacy systems, since they run their code on legacy systems only, never upgraded, but this time they don't have a proper code. They are still trying to woo the end user, if any of their module could be implemented. The current production server was running on their code, and it is so much corrupted that India had to suffer major financial loss. But they don't bother. Their main programmer is trying hard to learn new technologies to write a better code, but he is not able to grasp the things. Still hopes are alive.

Team X, they are comprising of several small scale development teams, are also in race of production.Team X alone may not deliver the production code, but they could play an important role. They could provide some modules, and it may be possible that Team B or C or A can not integrate their code without team X's connectors.


So, the announcement is due on 16th May, who's code is going to deployed in production, is it Team B, B+X, A, A+X or team C. However the contest seems to be C, X, A v/s B. 
Wait and watch.

at the end I would appeal to all of you, please go and vote for any team, but at least vote, at last you are the end user, who is going to suffer if correct code is not selected and business will suffer if stable and strong code is not selected. 

--JaiHind


Cartoon from Internet.


Thursday, 16 January 2014

२०१४ का महाभारत

हम बड़े ही सहज रूप से कह सकते है कि २०१४ का चुनाव अब "बीजेपी" और "आप" के बीच ही लड़ा जायेगा (या यु कहे मोदी और केजरीवाल के बीच लड़ा जायेगा)

कॉंग्रेस ( राहुल गाँधी ) कि तो कोई बात ही नहीं कि जा सकती यहाँ,  क्रिकेट कि भाषा में बात करे तो यह वो त्रिकोणीय मुक़ाबला है जिसमे तीसरी टीम (टीम  RaGa ) नामीबिया कि है। या बॉलीवूड कि भाषा में बात करे तो ३ फिल्मो के बिच मुक़ाबला है जिनके मुख्य किरदार क्रमशः  शाहरुख़ खान, सलमान खान और उदय चोपड़ा है।

अब अगर इसे सीधा मुकाबला मोदी V /S  केजरीवाल माने तो यहाँ यह देखना भी जरूरी है कि आखिर इन दोनों में तुलना किन बिन्दुओ पर हो ?

  1. सुढृढ़ सुशासन या दिखावटीपन (चुहलबाजी)
  2. परिणामकारी प्रदर्शन या आंदोलन 
  3. विकास के मुद्दे या व्यक्तिगत मान से जुड़े इरादे 
  4. एक स्थापित विचारधारा या आदर्शवाद 
  5. देश कि अखंडता या अलगाववादियों का समर्थन 
  6. सम्पूर्ण विकास या किसी समुदाय विशेष का तुष्टिकरण
  7. एक सिद्ध अनुभव या अतिउत्साही और अवसरवादी लोगो का समूह 
  8.  देश को विकास कि  दिशा प्रदान करना या देश के साथ एक प्रयोग करना 
यह एक बहुत अच्छी बात है कि आप पहली बार चुनाव लड़े और लोगो कि भावनाओ के साथ जुड़कर उनके दिल और कुछ सीटे जीत ले और जिनका उम्रभर से विरोध करते आये उन्ही का थोडा सा साथ लेकर सत्ता में भी आ जाये।
परन्तु  एक तरफ वो है जो लोगो कि भावनाओ के दम पर पहली बार जीत के आये  और सत्ता में बने रहने के लिए संघर्ष कर रहे है वोही दूसरी  और वो है जो  समग्र विरोध को झेलने के बावज़ूद लगातार तीन बार जीत कर आये, लोगो कि भावनाओ के दम पर नहीं, अपने शक्तिशाली प्रदर्शन के दम पर.। 

महत्वकांक्षी  होना  अच्छी बात है परन्तु  जो चीज हाथ में है, जिसके लिए आपको मौका दिया गया है (दिल्ली ), उसके बारे में सोचने के बजाय आप क्या कर रहे है ,  खूद को देश की  हर समस्या का समाधान बता कर  मैदान में कूद कर स्थापित लोगो को चुनौती दे रहे है जबकि आपको यह  तक नहीं पता कि आपका कौन नेता देश के किस मुद्दे पर क्या अनर्गल बाते कर रहा है। 
 जब आपको एक राज्य का दायित्व दिया गया है तो उसी को राजधर्म कि तरह निभाईये, झोंक दीजिये अपनी सारी शक्ति यह साबित करने में कि आपको दिया गया मौका व्यर्थ नहीं है। 

दूसरी और मोदी के बारे में  यह कैसा झूठा डर  फैलाया जा रहा है कि अगर मोदी कि सरकार बनी तो देश में अल्पसंख्यक असुरक्षित  हो जायेंगे, मानो अचानक ही  यह पूरा जनतंत्र  तानाशाही में बदल जायेगा और सारी  विपक्षी पार्टियाँ, सहयोगी दल , राज्य सरकारे और न्यायपालिका रातोरात इस "सबका मालिक एक " वाली सरकार के सामने नतमस्तक हो जाएँगी ?
यह तो सीधा सीधा उन लोगो के द्वारा किया गया दुष्प्रचार या प्रपंच है को वाकई में मोदी को सत्ता  में आने से रोकना चाहते है , यह लोग सिर्फ नफरत कि राजनीति जानते है प्रेम कि नहीं।

वैसे कविराज जो कि अब नेता जी बन गए है कि एक काव्य गोष्ठी में मेने उन्ही के मुख कमल से एक कविता सुनी थी जो कुछ  यों  थी_ _ _

हमे मुहब्बत सब से है हमे फूलो को छांटना नहीं आता
हम तो जोड़ना जानते है बस हमें काटना नहीं आता
हम क्या करे हमे खुशियों के सिवा कुछ बाँटना नहीं आता

अभी यह सब बाते शायद उनके लिए सिर्फ कल्पनाओ और शब्दो का एक जाल मात्र हो सकती है जिसका हकीकत से कोई लेना देना न हो शायद।

खैर छोड़िये 

केजरीवाल (और AAP ) कि तुलना मोदी (और NDA ) से करना किसी कल ही कॉलेज से पास हो कर नए आये कर्मचारी कि  किसी उच्च प्रबंधक जो कि बरसो से कंपनी और अपने विभाग कि सेवा करके उस पद तक पंहुचा है से तुलना करने के बराबर है। 

क्या कोई भी कंपनी कल के पास हुए छात्र को अपने उच्च प्रबंधन का दायित्व सोंप सकती है ?
खुद ही विचार कीजियेगा। 

--------------------------------------------फेसबुक पर एक पेज "भक साला " में  प्रकाशित हुये एक अंग्रेजी लेख़ से साभार  

Monday, 30 December 2013

Kejriwal and Karna


Now-a-days everyone is talking about Mahabharat, be it the animation movie where big stars have landed their voice or the Television Series or the current political scenario in India

So I thought I should write something about it. You might have already flooded with various comparisons of today’s political set-up with mythological stories, but I can not stop myself.You may not be a fan of mythological writings or the stories, but you must have heard the name Karna or Karan.

Karna, a Mythological character from Mahabharata, is a well praised character, a great warrior, large hearted, hard worker, generous, and above all a fighter and self made leader. Any positive adjective I use here will be less for him and all this written in the classic book.  Having all said about Karna, he is not considered by people as a deity or someone who can be kept in the good books.

He was a son of the god Sun by kunti, but brought up by a charioteer and was always called a saarthi – putra or Soot-putra. According to the “Varna-vyavastha” he could not be a disciple of Gurus like Dronacharya and Parashurama, he could not get learning and teaching of astras(Weapons) and shaastra(Rules of life).


 He hated the system and rebelled against it. Karna became pupil of Guru Parashurama on a false note that he is a Brahmin. And as people say that a lie has no feet, so karna couldn’t go long with that lie and became victim of curse from his contemporary Guru Parshuram.Karna was good at heart, his intentions were good and he was skilled but just because he did not belong to a particular Varna(Caste), he could not hone his skills with the dignity as Khatriyas and Brahmins could afford.  He nourished a kind of hatred in his heart for this system and wanted to change it, and wanted to get the power, wanted to become a king.To douse his burning desires, to get the Kingdome, to fulfill his long term aspirations he joined hands with Kouravas (the 100 bad brothers or better the main villains of Mahabharat).

Finally in the climax his life was ended like a villain and not like a hero. He was killed by Arjuna.
He had to suffer a lot because of his 2 big mistakes, first, to betray a Guru like Parashuram and second, joining hands with most lawless, corrupt and hypocrite people like Kauravas.


The title of this article is Kejriwal and Karna, and I have written all about Karna, you might be thinking that when I would introduce our today’s hero Kejriwal? So my dear readers, that’s all, now I don’t need to write anything about Kejriwal. At the end of this article I will rename Kejriwal as today’s Karna who joined hands with today’s Kauravas.Rest you think, and relate the populist with the Karna's Story.


Note: All AAP and AK lovers, please excuse!

Image courtesy: Google.

Monday, 23 December 2013

ट्रैफिक हवलदार, केले वाला और राजू


समय : शाम ४ बज कर १० मिनट
स्थान : पुणे शहर का एक प्रमुख चौराहा
पात्र: ट्रैफिक हवलदार, केले वाला और राजू


राजू तेज गति से अपनी धून में अपनी दुपहिया गाडी पे कानो में हैडफ़ोन लगाकर चला आ रहा था, सामने चौराहे पर लाल बत्ती होते ही तुरंत ब्रेक लगाकर जैसे ही साइड में खड़ा हुआ, एक सिटी कि आवाज़ और डंडे कि फटकार सुन कर उसने कान से हैडफ़ोन निकाले और देखा कि सामने खड़े ट्रैफिक हवलदार ने उसे सड़क के किनारे लगे पेड़ के निचे बुलाया है । राजू चुपचाप अपनी गाडी धकेलता हुआ जा पंहुचा उस हवलदार के पास।

लाइसेंस, इन्शुरन्स, गाडी के कागज और PUC  हर चीज मुकम्मल करके हवलदार बोला, रेड लाइट में ज़ेबरा क्रासिंग पे खड़ा था भाउ तू, चल चालान भर, ८०० रूपया लगेगा। राजू एक  सीधा साधा, और तुलनात्मक रूप से ईमानदार आदमी है, इसीलिए अपने सारे डाक्यूमेंट्स रेडी रखता है, आज तक जब भी पकड़ा गया है बिना पैसे दिए ही छोड़ा भी गया है, बिना कोई धौंस -डपट के।
राजू के कोई रिश्तेदार पुलिस में, सरकारी नौकरी में या राजनीती में भी नहीं है, ताकि वो कह सके कि "जानते भी हो किस से बात कर रहे हो तुम ?" या फिर अपना फ़ोन निकाल के किसी को फ़ोन लगा के कह ही सके कि तेरी बात करवाऊ S.P  साब से ? वो तो एक आम आदमी (AAP  वाला नहीं ) है।

फिर राजू ने पूछा कि कहा है ज़ेबरा क्रासिंग जिस पर में खड़ा था ? यहाँ तो कोई क्रासिंग नहीं दिखाई देता, तभी हवलदार ने अपनी आवाज़ में टाटा टी कि कडकनेस घोल के कहा "अब तू हमें ट्रैफिक रूल सिखाएगा ?, भाउ प्रेम से चालान कटवा ले नहीं तो खड़ा रह, मेरे को और भी काम है" (मतलब मेरे को और भी बकरे पकड़ने है ) .

कुछ जगहो पर हवलदारों के बड़े साब भी मौजूद होते है, अब अगर बड़े साब हो तो "कद्दू कटेगा, सब में बंटेगा" वाली कहावत चरितार्थ हो जाती है, इसीलिए हवलदारों ने चौराहो पे ठेलागाड़ी (रेड़ी ) लगा के बैठे फल वाले, चाट वाले अपने भाइयों को सेट करके रखा होता है। जैसे ही कोई "बकरा" बात चित शुरू करता है लेन -देन  कि तो हवलदार साब रकम फिक्स करके "बकरे" को कह देते है कि जाके केले वाले या चाट वाले को देदो और निकल जाओ।

हमारे राजू के केस में भी ऐसा ही कुछ था, राजू ने सोचा कि अब बात बिगड़ने से अछा है कुछ ले-देके मामला निपटाया जाये, उसने पहल करी, "सरजी ८०० तो बहुत ज्यादा है , इतने तो है भी नहीं मेरे पास, और अगर रसीद ना लेनी हो तो कितने लगेंगे ?"
इसी बात कि तो बाट  जोह रहे थे हवलदार बाबू, उन्होंने बिना कोई समय गंवाए राउंड फिगर में ५०० का प्रस्ताव रखा, इधर राजू भाई साहब ने अपना चमड़े का दबा कुचला बिल्कुल भारत देश के आम आदमी कि दशा को प्रदर्शित करता बटुआ अपनी जीन्स कि दाई पॉकेट से निकाला, खोला तो ढेर सारे छोटे बड़े कागजो, विजिटिंग कार्डो, ATM  स्लिपों के बीचोबीच १०० - १०० के २ और १०-१० के ३ नोट मिले, उसने हवलदार साब को अपना पर्स दिखाके विनती कि " सर अभी २०० में काम चला लो, अगली बार पकड़ो तो पुरे ले लेना" , हवलदार साब ने भी दरियादिली का परिचय देते हुए कहा, ठीक है जा  रोड क्रॉस करके सामने केले वाले को देते हुए निकल जा, में यहाँ से देख रहा हूँ उसको इशारा करता हूँ।

राजू पलक झपकते ही रोड के उस पार केले वाले कि दूकान पर खड़ा था, उस पार से हवलदार ने सिटी बजा के केले वाले को अपनी हथेली कि २ उंगलियां इस अंदाज में दिखाई जैसे कोई नेता अपनी विजय रैली में विक्ट्री सिम्बॉल दिखाता है। केले वाले ने भी अपनी मुंडी OKAY  SIR के अंदाज़ में हिला दी।

स्थान: रोड के दूसरी तरफ केले वाले कि दूकान
समय: शाम के ४ बजकर २० मिनट
पात्र : राजू, केले वाला और ट्रैफिक हवलदार

राजू: भैया वो साब ने २ दर्जन केले मंगवाए है। उनकी तरफ देखो वो शायद इशारा करेंगे।

केले वाला सिटी कि आवाज़ सुनकर  हवलदार कि तरफ देखता है, हवलदार २ का इशारा करता है। केलेवाला OKAY SIR कि मुद्रा में मुंडी हिला देता है।

राजू जाते जाते २ याने कि विक्ट्री का इशारा हवलदार कि तरफ करता हुआ अपनी तेज़ गति में, हेडफोन्स कानो में लगाये उस चौराहे से ओझल हो जाता है।

तात्पर्य, बईमानी का जवाब थोड़ी से बईमानी करके दिया जा सकता है और यह थोड़ी से बईमानी मेरे हिसाब से वाजिब है , आप क्या कहते है इस विषय पर ? आपके पास भी कोई ऐसी कि घटना हो तो साझा कीजिये। 



Thursday, 21 November 2013

प्रधानमंत्री का विदाई भाषण (Farewell speech of PM)


प्रस्तुत लेख एक कल्पना  मात्र है, यहाँ उपयोग किये गए नाम वास्तविक लग सकते है परन्तु वह एक संयोग मात्र होगा। इस लेख का प्रयोजन सिर्फ अपने पाठको का मनोरंजन करना है न कि किसी कि भावनाओ को आहात करना, फिर भी अगर किसी विशेष राजनितिक दल कि भावनाओ को ठेस पहुचती है तो इसके लिए वो खुद और इस लेख में आये हुए नाम जिम्मेदार है।

दिन : १ जून २०१४
स्थान: राम लीला मैदान, दिल्ली
घटना: श्रीमान मन्नू भाई जी कि देश के P.M पद से विदाई
कारन: श्रीमान नमो भाई जी कि देश के P.M पद कि शपथ


आज नमो देश के प्रधानमंत्री पद कि शपथ राम-लीला मैदान में लाखो लोगो कि मौजूदगी में लेने जा रहे है, परन्तु उससे पहले एक विशेष घटना घटित होने को है, जिसके लिए देश  १० सालो तक तरसता रहा, वो होने जा रहा है, आज मन्नू जी कुछ "कहने " जा रहे है।

जी हाँ , मन्नू जी ने नमो जी से आग्रह किया कि वो भी सचिन तेंदुलकर कि तरह एक विदाई भाषण देना चाहते है, परन्तु वानखेड़े स्टेडियम कि तरह लाखो लोग जुटा पाना मुश्किल है इस लिए वो नमो जी के शपथ ग्रहण समारोह में अपनी स्पीच देना चाहते है और जैसा नमो जी ने यह आग्रह स्वीकार किया और आज मन्नू जी को "बोलने " का मौका देते हुए "इंक्लूसिव पॉलिटिक्स " का उदहारण प्रस्तुत किया।

जैसे ही मन्नू जी अपने दोनों हाथ अपनी जैकेट कि पॉकेट में डाल के, इठलाती हुयी अपनी "मनमोहक" चाल में चलते हुए  मंच पे आके पोडियम पर खड़े हुए वैसे ही सारी जनता हल्ला मचाने लगी, मन्नू जी ने धीरे से माइक के करीब जाके कहना आरम्भ किया। ....

दोस्तों----- बैठ जाईये _ _ _ _ कृपया करके शांत हो जाईये _ _ _ फिर भी जनता चुप नहीं हुयी,

तभी मन्नू जी ने मीरा कुमारी जी कि तरफ देखा, वो तुरंत दौड़ती हुयी माइक पे आयी और बोली, शांत हो जाईये, बैठ जाईये, शांत हो जाईये, बैठ जाईये, मन्नू जी को सुनिये - _ _ _ और मन्नू जी को माइक देते हुए वो वापस लौट गयी।

मन्नू जी ने फिर कोशिश कि, देखिये आप शांति से नहीं बैठेंगे तो में आज भी कुछ नहीं बोलूंगा _ _ _

"आज भी कुछ नहीं बोलूंगा _ _ " यह सुन के पुरे मैदान में सन्नाटा पसर गया.

मन्नू जी ने शुरू किया_ _ _ _ _ _ _
"मेरी जिंदगी के १० साल,  ७ रेस कोर्स रोड से १० जनपथ  के बिच कि भाग दौड़ में कब बीत गए पता ही नहीं  चला, आज मेरी उसी जिंदगी का आखिरी दिन है, मेरी इस जिंदगी को यादगार बनाने में बहुत लोगो का योगदान रहा है में सभी का शुक्रिया करना चाहता हूँ" फिर मन्नू जी ने अपनी पॉकेट से एक हाथ निकालते हुए रूमाल से अपनी नाक साफ कि और फिर कहना शुरू किया_ _ _ _

"सबसे पहले तो में शुक्रिया करना चाहता हूँ नमो जी का _ _ _तभी अचानक लोगो ने चिल्लाना शुरू किया  मोअअअ दी _ _ _ मोअअअ दी___मोअअअ दी_ _ अबकी बार नमो जी ने जनता को कहा " मित्रो शांत हो जाईये " और जनता चुप हो गयी.

मन्नू जी ने एक बार फिर आरम्भ किया, "नमो जी कि वजह से आज मुझे बोलने का मौका मिला है , आज मुझे अपनी विदाई का भाषण देने का मौका मिला है, नमो जे कि वजह से मुझे अब बुढ़ापे में आराम करने का मौका मिला है।

में मैडम जी का भी शुक्रगुजार हूँ कि आज उनके मार्गदर्शन में काम करने कि वजह से मुझे P.M. पद से विदाई मिल रही है, मैडम जी कि वजह से ही में आज इतना फिट हूँ क्योंकि मुझे रोजाना ७ रेस कोर्स से भाग के १० जनपथ कई बार आना पड़ता था.
यकीन ही नहीं आता कि आज से मेरी जिंदगी में केवल एक मैडमजी रह गयी है_ _  मेरी पत्नी।

में शुक्रगुजार हूँ अपने मंत्रिमंडल का जिनकी करतूतो कि वजह से आज मुझे "चोर" जैसे सम्मानो से नवाज़ा जाता है.
में तहे दिल से धन्यवाद देना चाहता हूँ अपनी भारत माता का जिसने मेरी हर शैतानी को नजरअंदाज किया, मेरे हर घोटालो को सहा, मेरे लिए कई टैक्स पेयर्स ने बड़े बड़े बलिदान दिए उनका भी शुक्रिया।

राउल बाबा_ _ _ अब उनके बारे में क्या कहु ? इस नौजवान लडके ने मेरे लिए अपनी पूरी जवानी दांव पे लगा दी, अपनी पढ़ाई लिखाई छोड़ के हमारी सरकार के चर्चे देश के कोने कोने में करवाये, यहाँ तक कि ४४ साल कि उम्र में भी अपना "भोलापन" खोने नहीं दिया।

में धन्यवाद करना चाहता हूँ मनीष,  कपिल,दिग्गी, शीला, खुर्शीद भाई और कलमाड़ी बाबू का जिनके कारनामो कि वजह से मेरा इतना नाम हुआ पुरे विश्व में कि में अपने दोनों हाथ कभी जेब से नहीं निकल पाया और अपना सर कभी ऊपर नहीं उठा पाया, बहुत बहुत शुक्रिया इनका कि आज मुझे "काम" (जो मेने कभी किया नहीं) से मुक्ति मिल रही है।

सीबीआई , जी हाँ में तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ सीबीआई का जिन्होंने मुझे कठीन से कठीन परिस्थितियों में भी महफूज़ रखा.

मेरा राजनितिक कैरियर १९९१ में शुरू हुआ, परन्तु मेरे नाम और शोहरत के पीछे  टर्निंग पॉइंट था २००४ में  मैडम जी का P.M न बनना और मुझे इस पद के लिए आगे करना। बस तभी से मेरे जीवन के गौरव शाली क्षणों कि शुरुआत हुयी और आज में इस मकाम पर पंहुचा हूँ।
मैडम जी आज भी मुझे रोज फ़ोन करती है और हर घोटाले के बारे में मुझे "मौन" रहने कि सलाह देती है।


मेने पार्टी और मैडमजी के लिए बहुत कुछ किया अब में देश के लिए कुछ करना चाहता हूँ इसीलिए अपना पद त्याग कर विदाई चाहता हूँ।

में आभारी हूँ मिडीया का जिसने मेरे कुछ कारनामो को दबाया और कुछ कारनामो को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया और मुझे इंटरनेशनल हीरो बनाया।


यह पल मेरे लिए बहुत भाव-विभोर कर देने वाले पल है, में जानता हूँ कि मेरा भाषण थोडा लम्बा हो रहा है परन्तु विश्वास कीजिये _ _ _ मेने कभी इतने सारे लोगो के सामने इतनी देर तक नहीं बोला_ _  आज आप लोगो ने मुझे सुन कर इमोशनल कर दिया है। में आप सब लोगो का भी आभारी रहूँगा जिन्होंने नमो जी को वोट देकर मुझे पदमुक्त करने में अहम् भूमिका निभायी है। आप लोग दूर दूर से यहाँ नमो जी कि शपथ ग्रहण रैली में आये है और मुझे सुन रहे है , धन्यवाद।  आपलोगो कि यादें मेरे ज़ेहन में हमेशा ताज़ी रहेंगी खास कर के  चोर _ _ चोर _ _ 2G , 3G , कोयला, CWG  यह सारे शब्द मेरे कानो में  मरते दम तक गूंजते रहेंगे।

बस इन्ही शब्दो के साथ में विदाई चाहता हूँ , ठीक है।  गुडबाय। ………






-कार्टून : इंटरनेट पर मौजूद आर्टिस्ट्स के सौजन्य से


Friday, 4 October 2013

रॉयल्टी और राष्ट्रपिता


मित्रो अभी कुछ दीनो पहले खबरें आई थी की जानेमाने लेखक/ गीतकार सलीम साहेब और जावेद अख़्तर ने किसी  फिल्म के निर्माताओ पर मुक़दमा ठोका था की इन्हे कोई लगभग 7 करोड़ रुपये रायल्टी के तौर पर मिलना चाहिए क्योंकि फिल्म तो असलियत मे इन्ही के द्वारा लिखी गयी थी.. ऐसे ही संगीत, साहित्य और कला के क्षेत्र में भी रॉयल्टी का बड़ा महत्व है। 

आखीर यह रायल्टी भी कितने कमाल की चीज़ है, काम आप आज जवानी मे करके जाओ और सठियाने की उमर मे मुनाफ़ा कमाओ और तो और मरने के बाद आपकी पीढ़ियाँ आपके नाम का माल खाएगी| उदाहरण के रूप मे अगर देखे तो अमित कुमार जो की मशहूर गायक अभिनेता  किशोर कुमार के सुपुत्र है, यूँ तो उन्होने कोई ज़्यादा काम नही किया है परंतु आज भी पिताजी के गाए हुए गानो की बदौलत अच्छी ख़ासी रायल्टी कमा रहे है, इतना ही नही आपने थोड़ा बहुत अच्छा काम करके थोड़ा नाम भी कमा लिया और आपकी संतान निकम्मी भी निकली तो भी कुछ ना कुछ तो कमा ही लेगी, उदाहरण अभिषेक बच्चन, उदय चोपड़ा, तुषार कपूर, इत्यादि |

अब इतनी बात चली ही है तो रायल्टी खाने के नाम पे देश मे नंबर 1 परिवार के बारे मे बिना कुछ बोले कैसे रहा जा सकता है, अब जब यह परिवार सत्ता के गलियारे से कोसो दूर है फिर भी हमारी जिह्वा पर इनका नाम तो आ ही जाता है , आपने अब तक अनुमान लगा ही लिया होगा में किसकी बात कर रहा हूँ , जी हाँ ठीक समझे, हमारा "गाँधी" परिवार, 
भाई यह परिवार तो रायल्टी के नाम पे ना जाने क्या क्या खा चूका इस देश मे और अब भी दबे छुपे खाए जा रहा है , 
खैर छोड़िये यहा में ज़्यादा भावुक नही होना चाहता हूँ|

 "गाँधी" और "रायल्टी" से याद आया की जैसे हम तमाम धार्मिक कथाओ, व्रत की कहानियों मे सुनते है की फलाँ फलाँ देवी या देवता ने स्वप्न मे आकर अपने भक्त को कुछ आदेश दिया और आदेश ना मानने के हाल मे उसका सारा राज चौपट होने की भी चेतवानी दी| आज में ईश्वर से यही प्रार्थना करना चाहूँगा की ऐसा ही कुछ आदेश हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी भी आज की सभी पार्टी के सभी नेताओ, मंत्रियों, प्रधानमंत्री, और सभी MPs तथा  MLAs (जीते हुए और हारे हुए )को भी स्वप्न मे आके दे |

इन सभी भ्रष्ट नेताओं को स्वप्न मे बापू आके कहे की आप लोग मेरी फोटो का उपयोग सालो से कर रहे हो, इसके एवज मे रायल्टी के नाम पे एक फूटी कौड़ी तक नही दी है आज तक तुमने, सबसे पहले तो मेरी फोटो मुझसे बगैर पूछे "रुपये"   के हर नोट पर छापी गयी फिर ऐसे लाखो करोड़ो के नोट तुम लोगो ने अपने जेबो मे भर लिए, फिर मेरे नाम का दुरुपयोग किया यह कह कर की गाँधी की "हरी पत्ती" के बगैर तुम कोई काम नही करोगे, मेरे नाम पर हर पार्टी के नेता ने वोट मांगे , इन सब बातो के लिए जुर्माना नही माँग रहा हूँ, में बस यह कहना चाहता हूँ की कॉपीराईट एक्ट के तहत मुझे इसकी रायल्टी मिलनी चाहिए और जैसा की इस देश मे होता आया है बाप के गुजर जाने के बाद रायल्टी उसकी संतान को मिलती है वैसे ही अब यह सारी रायल्टी की रकम तुम लोग पूरे देश मे बाँटोगे, क्योंकि क़ानूनन मे पूरे देश का बाप हूँ, में राष्ट्रपिता हूँ|




सोचिए अगर ऐसा हो जाए और यह लोग बापू की बात मान ले  और हर नोट पर छपी बापू की फोटो के लिए उस नोट की कीमत का २% भी रायल्टी के रूप मे देदे तो भी अपना देश तो सुखी हो जाए......

में तो हिसाब लगा रहा हूँ की मेरे हिस्से मे कितना आएगा, आप भी लगा लो |


--------------------------------------------------------------------------चित्र इंटरनेट के सौजन्य से

Thursday, 19 September 2013

What is Corruption ?



No no , don’t think that I am going to tell you any theory about corruption or any philosophy of corruption, “what is Corruption?” is title of a story, yes today I am going to tell you a story of a King, who was known for his excellence ruling system.

Long time ago, there was a democratic state where people themselves would like to chose who would become next king from the Royal family, there was a situation when King was no more and people have to select their next king but Prince was very immature to become king and Queen was from other state so people decided that royal family’s most loyal and most honest minister should be crowned as king, and they did.

King was ruling the state under the guidance of Queen; meanwhile Prince was becoming young and playful, he was popular amongst other loyal friends of Royal family.
Everything was going fine, but suddenly there was a massive chaos in the state about corruption and scams. Everywhere people were saying that Corruption is increasing day by day and everywhere it is causing problem for common man.
One day King held a meeting with all courtiers, discussed with them that people are crying about corruption, people are saying that they see everywhere corruption, I haven’t seen yet, have you seen ever? If anybody of you has seen corruption then tell me, how it looks like? Is it a worm, virus or a bacteria or it is something sent by our enemy states?
All courtiers said in one voice, “my lord, when it is not visible to you then how we can see it?”
King said, “No, it’s not like that, sometimes something which is not visible to me, you might see, such as I don’t see any nightmare but you must have seen.”

Courtiers said, “Yes we see nightmares but that is all about dreams, here it is reality sir.”

King said, “all right then, go and search for Corruption in whole state, if you find somewhere then bring a sample for me, I want to see how it looks like.”

Then one Minister said, “Sir, we will not be able to see corruption, we heard that it is very small and you know that we all are working under Queen’s big umbrella, and her personality is so huge that we are used to see huge things only and we can not see small things.”

Then another minister interrupted, “by chance if corruption comes in front of us even then we will see only madam’s image in it, we could not see anything else.”

one of the courtier said that he knows the solution, he said, “sir, I know there is a species called CBI in our state, they are able to find such small things, they are expert so I request you to invite them and ask them to find CORRUPTION.”

King did the same, he appointed 5 people from that special tribe called CBI, he asked them to find out about corruption and scam, and if they find it then bring a sample to court room. CBI people started finding the desired thing; they kept for searching for 2 months and then returned to King.

King asked them, “Experts, have you finished your enquiry?”
“Yes, sir!”
“Did you find corruption in our state?”
“Yes, we found lots of CORRUPTION in your state.”
King extended his palm towards them and asked, “Give me a little bit, let’s see, how it looks like?”
Experts said, “sir, you can not hold it in your hands, it is not substance, it is Imperceptible, inapprehensible and supersensible, but it is omnipresent, which can not be seen, and not be touched you can only feel it, smell it.”

After hearing these many big words for corruption, king lost in his thoughts for some time and came back to experts, “you said it is omnipresent and impalpable, but these are qualities of god, so you mean corruption is god?”

“Yes sir, now corruption has become god for many people in your state.”

Then a courtier asked “but where it is, how it smells like?”

Experts replied, “it is everywhere, it is in this building, on the roads, gardens of your state, it is in bridges, it is in schools, in offices, in coal mines, in commonwealth games grounds, in railways, in administration, it is even in weapons, in the chair of queen, PM and you all courtiers it is also in shirt of the King.”

Is it in my shirt?? Where? King swiftly jumped out from his chair and stripped in the front of all courtiers.

Experts covered the king with a shawl and said,
“Yes sir, it is in your shirt, last time when you gave contract for all your dresses then the bill which was generated and presented in court was fake bill with 10 times increased price value. There are mediators involved in your government, they mostly eat money in between, and there is corruption in all your administration.”

King was very worried, he asked to experts about the remedy of this disease, can it be cured?

Experts said, “absolutely sir, it can be cured, you just need to change the system, you have to eliminate the opportunities of corruption, you have to speak against it sir.”
“what? I have to speak ? no no, I cant do that, madam will punish me.” King said.

Then Experts explained him that he has to speak to madam and not to the public, so King was ready to talk to madam.
you said there are opportunities of corruption everywhere, how it is ? I cant see it.” King asked to Experts.
“sir, there are opportunities for example, if there are contracts then contractors and if there are contractors so there is bribe for bureaucrats in the same way if there are big projects under government then there is opportunity for the concerned ministry.”
King said to them “okay you submit your report to PMO, we will review and discuss in our ministerial meetings”.

King discussed the same with Queen Madam, madam was also worried that how to eliminate this corruption, people will not believe in royal family if they were unable to remove this bug.

Queen asked to her most qualified law makers on this situation, how to deal with it? People said,” madam, do not worry, people are used to of it now, they know that there is corruption, and it is part of their life now, so we should not worry, burn the CBI report and files. No one will ask what happened, we will say that corruption is like some black magic and it is imaginary.”

Other courtiers also said that to change the system is not possible it would be a new problem, everything will be turned down, all arrangements will be disturbed, we need such solution that we don’t need to change anything and corruption also can be removed.
Queen reciprocated the concern, “yes, I too wanted to find such solution, our ancestors knew some black magic to eliminate any problem, that is why they could rule this state for so long but what I do now?”



And here comes the master piece….

One of her family friend said “madam, we should do the same trick, what your ancestors used to perform, we should show the huge rich-poor gap to people, we should show sympathy to one specific group of people who are expanding day by day, we should declare them special tribe and we should feed them, give them land and security but not education and job, the other tribes will be jealous and instead of asking their right from us they will fight to the special tribe and all these fool people will fight each other and forget about CORRUPTION. This is the trick all your royal family used to perform, they learnt it from previous emperor, who did the same with this whole Ireland and divided it into so many small states.”
Queen was impressed with this solution, some courtiers objected then queen showed them the corruption report and threatened them that “CBI Experts” will find out more about you if you do not agree with me.
All courtiers agreed to madam, and they did what madam said.


Then once again the Royal family showed the Black Magic which is also called secularism, and the people of that state can be seen fighting everyday, they fight with each other, burn homes of each other, they abuse each other, they do not bother if they are unemployed, if they are uneducated, if they are hungry, but since their tribe is special, they will fight for it and here Royal family are having worry free and lavish dinner everyday which is cooked in the fire generated when these innocence and ignorant people torch each other's homes.

I am hopeful that One day this black magic will be exposed, and people will understand that fighting with each other is not the solution, but we have to fight against the hunger, unemployment, poverty and illiteracy.


Note: 
यह कहानी भारत की वर्तमान परिस्थितीयों से तथा श्री हरिशंकर परसाई जी की हिन्दी रचना "सदाचार का तावीज़" से प्रेरित है|
                                                                                                                                           

                                                                                                               Images Sourced from Internet

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