डिस्क्लेमर: यह पोस्ट महिला दिवस के उपलक्ष्य में इस दुनिया की समस्त नारीयों को समर्पित है, तथा अंत में उन्ही नारीयों के लिए एक सन्देश भी निहित है। अतः कृपया पूरी पोस्ट पढ़े।
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सूरज, भानु, सूर्य, प्रभाकर, दिनकर, आदित्य, भास्कर, रवि, दिवाकर और आफताब.. …
मैं यहा किसी स्कूल की कक्षा मे हाज़िरी नही ले रहा हूँ, मैं तो सूरज के भिन्न भिन्न नामो का उच्चारण कर रहा हूँ, आपने गौर किया कुछ, जीतने भी नाम है सूरज के सभी पुल्लिंग में है, मतलब सूरज को एक पुरुष की उपाधि दी गयी है, पौराणिक मान्यताओ की भी माने तो सूर्य देव, एक नर ही है|
परंतु मैं सोंच रहा था कि नाम और पौराणिक कथाओ को एक तरफ रख कर सोचे तो सूरज मे पुरुषो के कोई ज़्यादा गुण नज़र नही आते है।
आप बोलोगे की कैसे, तो भाई साब(हांजी, मैं भाईयों से ही कह रहा हूँ) एक बात बताईए जब आप कोई बहुत ही सुंदर, आकर्षक नैन नक्श वाली, भरपूर डील-डौल वाली कोई कन्या को देखते है तो आप अपनी "कूल लॅंग्वेज" मे क्या कहते है ? ....... "Woww she is so hot" अथवा बड़ी हॉट है बे.... ऐसे ही जुमले निकलते है ना आपके मुँह से, अब यह चर्चा फिर कभी करेंगे की लड़कियों के आकर्षण का पैमाना तापमान से कैसे पता चलता है, बहरहाल बात करते है हॉट की, तो आप किसी पुरुष को हॉट नही कहेंगे, कन्या को ही कहेंगे है की नही? तो इस हिसाब से सूरज तो हॉटेस्ट हुआ/हुई, तो यह गुण तो स्त्री का ही हुआ ना।
चलिए एक और उदाहरण लेते है, जब वही अति ताप वाली कन्या मतलब होटेस्ट गर्ल आपके क्षेत्र में , कॉलेज में , ऑफीस में या पड़ौस में ही रहने वाली है, तो आप उसके चक्कर काटने शुरू कर देते हो, गोल गोल round round , हैं ना भाई साब, सच कह रहा हूँ ना? माफ़ करना अगर बात बुरी लगे तो ।
फिर आपको पता पड़ता है की ऐसे चक्कर काटने वाले आप अकेले नही है और भी भाई लोग है लाइन मे, कोई थोड़ा नज़दीक तो कोई थोड़ा दूर, पर है चक्कर काटने को मजबूर। अब बात करते है सूरज की, इसके आसपास चक्कर काटने वालो की भी कोई कमी नही है, मंगल से लेके शुक्र, गुरु से लेके बुध और शनि से लेके यम, अरुण से लेके वरुण तक सब के सब उस बेचारे / बेचारी सूरज के पीछे नहा धोके या बिना धोये पड़े है।
इसीलिए इन्ही सब पुरुष ग्रहो से तंग आके प्रथ्वी भी सूरज के इर्द-गिर्द होस्टल वॉर्डन की तरह चक्कर काटती रहती है, परंतु बेचारी पृथ्वी के ही पीछे एक दूसरा मजनूँ "चाँद" पड़ा हुआ है, घूमता रहता है आगे पीछे।
एक और उदाहरण देखते है, वो अंग्रेजी में कहते है न "लास्ट बट नोट दी लिस्ट" याने की आखिरी उदहरन जो आपको वाकई में सोचने पर मजबूर कर देगा की सूरज पुरुष है या स्त्री , अगर कोई आपको कहे कि जाओ सूरज को एक जैसा निहारो, तो आप क्या करेंगे? हाँ हाँ ऐसा कौन पागल कहेगा की सूरज को निहारो परन्तु मान लो न की अगर ऐसा करना ही पड़े तो आप कैसे करेंगे ? सनग्लासेस का इस्तेमाल करेंगे और पुरे आत्मविश्वास के साथ सूरज कि आँखों में याने उसकी किरणो में आँखें डाल के देखेंगे। अब वहींअगरआपको किसी कन्या को देखना हो बिना किसी को पता पड़े तो "सेम तो सेम "" वही सनग्लासेस पहन के भरपूर ताडेंगे । तो सूरज में और कन्या में समानता हुई कि नहीं ?
तो देखा आपने सूरज का नाम सूरज नही सुरजिया बाई होना चाहिए, जो अपने आकर्षण के जाल मे फंसा कर इतने सारे गृहो को अपने आगे पीछे घुमा रहीहै।
बात यहीं ख़तम नही हुई, माना दसियों गृह सुरजिया के चक्कर काटते फिरते है, परन्तु मजाल है कि कोई थोडा करीब जाने कि हिम्मत भी कर पाये। दूर से ही दर्शन करके सुखी है सभी। सुरजिया भी अपनी पूरी चमक लिए रोजाना अपने नियत समय पर घर से निकलती है और नियत समय पर घर पँहुचती है, लाखों करोडो सालो से ऐसा ही चला आ रहा है। सुरजिया कभी डरी नहीं , घबराई नहीं , सदियों से चक्कर काट रहे गृह भी कभी उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाये ।
मैं अपनी इस पोस्ट के माध्यम से सभी नारीयों से यही कहना चाहूँगा कि आप भी सूरज कि भांति ही हो, चमकीली और दिशा देने वाली, कहते है इस संसार में राह कि दिशा का ज्ञान सूरज से और जीवन कि दिशा का ज्ञान एक नारी से ही मिलता है। तो इस जगत कि नारी तुम सूरज कि तरह अपने अक्ष पर विराजमान हो, चमको और दिशा निर्धारण करो, परन्तु किसी के दुस्साहस से मत डरो, और अपने भीतर जलने वाली ज्वाला से उसका सर्वनाश करो ।
------चित्र इंटरनेट से साभार
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सूरज, भानु, सूर्य, प्रभाकर, दिनकर, आदित्य, भास्कर, रवि, दिवाकर और आफताब.. …
मैं यहा किसी स्कूल की कक्षा मे हाज़िरी नही ले रहा हूँ, मैं तो सूरज के भिन्न भिन्न नामो का उच्चारण कर रहा हूँ, आपने गौर किया कुछ, जीतने भी नाम है सूरज के सभी पुल्लिंग में है, मतलब सूरज को एक पुरुष की उपाधि दी गयी है, पौराणिक मान्यताओ की भी माने तो सूर्य देव, एक नर ही है|
परंतु मैं सोंच रहा था कि नाम और पौराणिक कथाओ को एक तरफ रख कर सोचे तो सूरज मे पुरुषो के कोई ज़्यादा गुण नज़र नही आते है।
आप बोलोगे की कैसे, तो भाई साब(हांजी, मैं भाईयों से ही कह रहा हूँ) एक बात बताईए जब आप कोई बहुत ही सुंदर, आकर्षक नैन नक्श वाली, भरपूर डील-डौल वाली कोई कन्या को देखते है तो आप अपनी "कूल लॅंग्वेज" मे क्या कहते है ? ....... "Woww she is so hot" अथवा बड़ी हॉट है बे.... ऐसे ही जुमले निकलते है ना आपके मुँह से, अब यह चर्चा फिर कभी करेंगे की लड़कियों के आकर्षण का पैमाना तापमान से कैसे पता चलता है, बहरहाल बात करते है हॉट की, तो आप किसी पुरुष को हॉट नही कहेंगे, कन्या को ही कहेंगे है की नही? तो इस हिसाब से सूरज तो हॉटेस्ट हुआ/हुई, तो यह गुण तो स्त्री का ही हुआ ना।
चलिए एक और उदाहरण लेते है, जब वही अति ताप वाली कन्या मतलब होटेस्ट गर्ल आपके क्षेत्र में , कॉलेज में , ऑफीस में या पड़ौस में ही रहने वाली है, तो आप उसके चक्कर काटने शुरू कर देते हो, गोल गोल round round , हैं ना भाई साब, सच कह रहा हूँ ना? माफ़ करना अगर बात बुरी लगे तो ।
फिर आपको पता पड़ता है की ऐसे चक्कर काटने वाले आप अकेले नही है और भी भाई लोग है लाइन मे, कोई थोड़ा नज़दीक तो कोई थोड़ा दूर, पर है चक्कर काटने को मजबूर। अब बात करते है सूरज की, इसके आसपास चक्कर काटने वालो की भी कोई कमी नही है, मंगल से लेके शुक्र, गुरु से लेके बुध और शनि से लेके यम, अरुण से लेके वरुण तक सब के सब उस बेचारे / बेचारी सूरज के पीछे नहा धोके या बिना धोये पड़े है।
इसीलिए इन्ही सब पुरुष ग्रहो से तंग आके प्रथ्वी भी सूरज के इर्द-गिर्द होस्टल वॉर्डन की तरह चक्कर काटती रहती है, परंतु बेचारी पृथ्वी के ही पीछे एक दूसरा मजनूँ "चाँद" पड़ा हुआ है, घूमता रहता है आगे पीछे।
एक और उदाहरण देखते है, वो अंग्रेजी में कहते है न "लास्ट बट नोट दी लिस्ट" याने की आखिरी उदहरन जो आपको वाकई में सोचने पर मजबूर कर देगा की सूरज पुरुष है या स्त्री , अगर कोई आपको कहे कि जाओ सूरज को एक जैसा निहारो, तो आप क्या करेंगे? हाँ हाँ ऐसा कौन पागल कहेगा की सूरज को निहारो परन्तु मान लो न की अगर ऐसा करना ही पड़े तो आप कैसे करेंगे ? सनग्लासेस का इस्तेमाल करेंगे और पुरे आत्मविश्वास के साथ सूरज कि आँखों में याने उसकी किरणो में आँखें डाल के देखेंगे। अब वहींअगरआपको किसी कन्या को देखना हो बिना किसी को पता पड़े तो "सेम तो सेम "" वही सनग्लासेस पहन के भरपूर ताडेंगे । तो सूरज में और कन्या में समानता हुई कि नहीं ?
तो देखा आपने सूरज का नाम सूरज नही सुरजिया बाई होना चाहिए, जो अपने आकर्षण के जाल मे फंसा कर इतने सारे गृहो को अपने आगे पीछे घुमा रहीहै।
बात यहीं ख़तम नही हुई, माना दसियों गृह सुरजिया के चक्कर काटते फिरते है, परन्तु मजाल है कि कोई थोडा करीब जाने कि हिम्मत भी कर पाये। दूर से ही दर्शन करके सुखी है सभी। सुरजिया भी अपनी पूरी चमक लिए रोजाना अपने नियत समय पर घर से निकलती है और नियत समय पर घर पँहुचती है, लाखों करोडो सालो से ऐसा ही चला आ रहा है। सुरजिया कभी डरी नहीं , घबराई नहीं , सदियों से चक्कर काट रहे गृह भी कभी उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाये ।
मैं अपनी इस पोस्ट के माध्यम से सभी नारीयों से यही कहना चाहूँगा कि आप भी सूरज कि भांति ही हो, चमकीली और दिशा देने वाली, कहते है इस संसार में राह कि दिशा का ज्ञान सूरज से और जीवन कि दिशा का ज्ञान एक नारी से ही मिलता है। तो इस जगत कि नारी तुम सूरज कि तरह अपने अक्ष पर विराजमान हो, चमको और दिशा निर्धारण करो, परन्तु किसी के दुस्साहस से मत डरो, और अपने भीतर जलने वाली ज्वाला से उसका सर्वनाश करो ।
सूरज सी चमक है तुझमे अगर
तो उसका ताप भी है
दुःखियों को देख के पिघल जाए, हृदय मे ऐसी नरमी है
तो दूर्जनों को जला कर भस्म कर दे ऐसी गरमी भी है
हैं नारी तू जननी है, विधाता है, रूप है काली का, चंडी का
राक्षसो को जलाके कर सकती है तू राख
तेरी तरफ एक बार भी उठे जो उनकी आँख !!
------चित्र इंटरनेट से साभार
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