Showing posts with label Delhi Election. Show all posts
Showing posts with label Delhi Election. Show all posts

Friday, 6 February 2015

फ़रवरी -रोमांटिक मंथ

फ़रवरी का महीना आमतौर पर बड़ा ही रोमांटिक महीना माना जाता है, आप मानो न मानो लड़कियाँ जरूर मानती है। और ख़ास बात यह है की इसी महीने में ज्यादातर "एडल्ट" और समझदार लोग अपनी समझदारी खोते है और शादी कर लेते है। माना जाता है की मौसम की खुशमिजाजी की वजह से इस महीने को "रोमांटिक मंथ" का ताज मिला है।
पश्चिमी सभ्यताओं की बात करे तो वेलेंटाईन डे भी फ़रवरी  महीने में इसीलिए मनाया जाता है क्योंकि इस समय मौसम बड़ा ही "प्रेमानुकूल" हो जाता है। हमारे देश के महान लॉजिकल लोगो ने तो यहाँ तक कह डाला है की १४ नोवेम्बर को बाल दिवस इसीलिए मनाया जाता है क्योंकि यह वेलेंटाईन डे के ठीक ९ महीने बाद पड़ता है।

आपमें से कईं सारे प्रेम-पंडित तो यह भी जानते होंगे की वेलेंटाईन डे से पहले पूरा वेलेंटाईन वीक मनाया जाता है। पुरे सप्ताह भर के दिवसों के नाम उन तमाम चीजो पर रखे गए है जो केवल लड़कियों को पसंद होती है।
जैसे रोज़ डे, प्रपोज़ डे, चॉकलेट डे, टैडी डे, प्रॉमिस डे, किस डे, हग दे  ओह्ह सॉरी "हग डे" इत्यादि। 

जनाब, अब तक की सारी फ़रवरी रोमांटिक रही होगी, परन्तु यह फ़रवरी तो कतई रोमांटिक नहीं है। २०१५ की फ़रवरी को शायद सबसे अनरोमांटिक महीना भी घोषित किया जा सकता है कुछ फेमिनिस्ट्स समर्थको के द्वारा। मेरा इशारा कुछ कुछ तो आप समझ गए होंगे। नहीं समझे तो सुनिए, लड़कियों को आमतौर पर २ चीजे सबसे ज्यादा इरिटेट करती है एक तो पॉलिटिक्स और दूसरा स्पोर्ट्स । और आजकल के लडको का रुझान स्पोर्ट्स के साथ साथ पॉलिटिक्स में भी बढ़ने लगा है। यहीं होता है "कनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट"

अब आप समझे की फरवरी का महीना किस कदर अनरोमांटिक हो चला है। दिल्ली में चुनाव हो रहे है और तू-तड़ाक पुरे देश में हो रही है। स्वयं दिल्ली में BJP भर भर के AAP  को गालियां दे रही है तो AAP वाले भी ईंट का जवाब हथगोले से दे रहे है। कांग्रेस वालो को कोई भाव नहीं दे रहा तो वो जो मन में आये वो बके जा रहे है। सोशल मीडिया पर जो जंग चल रही है वहां भी अजय माकन की "विजिबिलिटी" उतनी ही है जितनी दिल्ली के कोहरे में किसी भी चीज की हो सकती है। 

दिल्ली के चुनाव खत्म होते ही क्रिकेट विश्वकप शुरू हो जायेगा, प्रेमी/प्रेमिकाओं के मिलन का तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता यहाँ। वेलेंटाईन वीक की शुरुआत दिल्ली चुनावो से होगी और वेलेंटाईन डे आने तक प्री मैच /पोस्ट इलेक्शन एनालिसिस चलता रहेगा। ऐसे में आप सभी प्रेमी बंधुओ को सलाह दी जाती है की अपनी अपनी प्रेमिकाओं के साथ आदर से पेश आये, उन्हें किसी बात से ठेस न पहुचाये और हो सके तो उन्हें मायके / सहेली के घर भेज दे।

वैसे चलते चलते एक बात कहु, दिल्ली के चुनाव पुरे देश में इस कदर से ग़दर मचाये हुए है जैसे एक ही दिन में सलमान और शाहरुख़ की फिल्म रिलीज़ होने को है।  अब देखना यह है की किसकी बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट दिल्ली का भविष्य तय करती है। ओह मैं तुषार कपूर को भूल ही गया वो भी अपनी फिल्म लेके आ रहा है उसी दिन।








Monday, 2 February 2015

टीवी का अत्याचार

आजकल चुनावो का मौसम चल रहा है और पार्टियां अपने अपने वादे-दावे ले ले कर जनता के पास जा रही है। परन्तु ८० प्रतिशत जनता को न फ्री wifi चाहिए, न फ्री पानी-बिजली चाहिए और न ही सस्ता पेट्रोल, उनकी तो एक ही मांग है की कैसे भी करके टीवी चैनल्स पर होने वाले भारी अत्याचार से मुक्ति दिलवा दो। अब यह और बात है की किसी भी पार्टी के नेता ने ऐसी किसी भी मांग को अब तक स्वीकार नहीं किया है। कैसे करे, आखिर नेता भी तो टीवी पर आ आ कर मासूम जनता पर अत्याचार ही कर रहे है।

एक समय था जब मर्द बीवी के अत्याचार से त्रस्त रहता था, परन्तु अब वही मर्द टीवी के अत्याचार से त्रस्त नज़र आता है। आपके घर में अगर एक भी महिला है तो आप ने यह दर्द कभी न कभी तो महसूस किया ही होगा जब आपको मन मार कर, खाना खाते समय,  टीवी पर बालिका-वधु जबरन देखना पड़ा होगा।

सीरियल किलर्स का ज़माना गया और किलर सीरियल्स का ज़माना है भाई लोगो।



अभी अभी तो लोगो ने ओबामा तक से विनती कर डाली की भैया हमारे देश की दूसरी समस्याएं तो जब ख़त्म होगी तब होगी, तुम आतंकवाद, पर्यावरण से निपटते रहना, पहले ससुराल सिमर का से निजात दिलाओ। 
आपकी भावनाओ का तो पता नहीं, परन्तु मुझे कभी कभी जेठालाल पर भी दया आती है जब उसकी "दया" को देखता हूँ, और तो और बेचारी बबिता, मासूम भोली बबीता, उसको तो कोई जेठालाल से बचा लो। तारक मेहता खुद जिनकी लेखनी इन सब की जिम्मेदार है वो भी अब मूह छुपाते घूमते होंगे अपने इलाके में। 

"साथ निभाना साथिया" और "यह रिश्ता क्या कहलाता है" जैसे धारावाहिको में दिखाए जाने वाले बेहद अमीर परिवार भी हमेशा समस्याओं से ग्रसित रहते  है। एक मुसीबत से निकलते ही दूसरी तैयार रहती है, बेचारो का कोई त्यौहार, कोई रस्म, कोई पूजा-पाठ ठीक से नहीं हो पाता, हर घडी कोई न कोई अड़चन आती ही रहती है। अगर हमें इनके अत्याचारों से नहीं बचा सकते तो इन बेचारे परिवारो को कोई तो मुक्ति दिलाओ इन दिनोदिन की बढ़ती मुसीबतो से। 

उधर बिग बॉस में "सलमान के वार " से बचे तो "फरहा खान" के अत्याचार से रूबरू हो गए, कोई तो पार्टी होगी इस चुनाव में जो बिग बॉस पर रोक लगाएगी। एक पार्टी ने तो दिल्ली में लाखो सी. सी.टी. वी कैमरे लगवाने का वादा किया है, मतलब पूरा दिल्ली अब बिग बॉस का घर होगी। समझ नहीं आ रहा ख़ुशी की खबर है या दुःख की। 

आज हमारे देश के युवाओ को ड्रग्स से जितना खतरा नहीं होगा उससे कहीं ज्यादा एम टीवी रोडीज़ से है, जो लगातार ८ वर्षो से एक से एक बेहतरीन चु*** (बीप बीप बीप ) खोज खोज कर दर्शको को परोस रहे है।  

अगर आपको लगता है की आपके दिमाग में ज्ञान का ओवरफ्लो हो चूका है तो आप उपरोक्त उल्लेखित धारावाहिको में से कोई भी एक देख लीजिये। इनसे बेहतर बुद्धिविनाशक और ज्ञान हारक चीज कुछ नहीं है। आप फिर से एक दम तरोताजा होकर ज्ञान की तलाश में निकल जायेंगे। 

 सुनने में तो यहाँ तक आया है की नरक लोक में पापियों को दी जाने वाली यातनाओं में फेर-बदल कर दिया गया है।  अब उन्हें गरम तेल की कढ़ाई में नहीं तला जायेगा, बलकि पाप के हिसाब से प्रतिदिन बिना विश्राम के उन्हें टीवी में यह सारे धारावाहिक एक के बाद एक दिखाए जायेंगे। इस बात से तो साबित हो गया है की आदमी को अपने पापो की सजा इसी जीवन में किसी न किसी चैनल पर भुगतनी पड़ेगी। 

और जब तक यह लेख पूरा होता उससे पहले ही एक खुश खबरी आयी है की अन्ना का अगला आंदोलन अब भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं, टीवी के अत्याचार के खिलाफ होगा। तो भाईयों इसी बात से हम आशा कर सकते है की इस आंदोलन के बाद भी एक और पार्टी बनेगी और उम्मीदों के मुताबिक हमारे लिए टीवी रोकपाल बिल लेकर आएगी। 

तब तक के लिए कोशिश करो की नया चैनल "एपिक" देखने को मिल जाये जो की फिलहाल सारे चुतियापे का एन्टीडोट है । 

नोट : लेख में प्रयोग की गयी मामूली अभद्र भाषा के लिए क्षमा, और अगर दी गयी गाली की तीव्रता कम लगे तो खुद से बढ़ा लीजिये। 



देश भक्ति

  देश भक्ति , यह वो हार्मोन है जो हम भारतियों की रगो में आम तौर पर स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस  या भारत पाकिस्तान के मैच वाले दिन ख...