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Thursday, 11 September 2014

अजन्मे का संकट


आज बड़े दिनों बाद ऐसा हुआ की में सूरज ढलने  से पहले ही ऑफिस का  काम निपटा के घर पहुँच गया। मुझे समय से पहले ही दरवाज़े पर खड़ा पाके मेरी बीवी बड़ी खुश हुयी।  जी साब हम आईटी वालो के जीवन का घडी से कोई लेना देना नहीं होता, कब उठे, कब तैयार हुए, कब ऑफिस पहुँचे और फिर कब घर लौटे, इन सब का समय से कोई वास्ता है ही नहीं ।

पत्नी के मुखमंडल पर मिश्रित सी भावभंगिमा देखकर मुझे आश्चर्य नहीं हुआ, परन्तु वो बड़ी खुश हो गयी।
पत्नियां भी अजीब होती है ( सभी को पता है , कोई नयी बात नहीं ) कभी कभी कोई बड़े से बड़ा काम भी करो या कोई बड़े से बड़ा उपहार भी लाके दो तब भी खुश नहीं होती, और कभी छोटी छोटी सी बातों में ही खुश हो जाती है , जैसे की अभी मुझे समय से पहले अपने सामने पाकर मेरी पत्नी खुश हुयी।

जल्दी से हाथ मुह धोकर मैंने आज बहुत दिनों के बाद शाम की(भी) चाय अपने हाथो से बनाकर अपनी अर्धांगिनी के साथ में बैठकर चुस्कियां मार मार के पी। चूँकि अभी शाम का समय था, बाहर का मौसम भी थोड़ा रोमेंटिक सा हो चला था, सो हमने सोचा क्यों का आज कॉलोनी के बड़े वाले गार्डन में "इवनिंग वॉक " पर चला जाये।  झटपट से तैयार होके हम निकल पड़े।

गार्डन में पहुंच के बड़ा अच्छा लगा, बड़े से गार्डन में  अलग अलग कोने में और बहुत सारे  और हर उम्र के बच्चे खेल रहे थे, दूसरी और कुछ बुजुर्ग अपना प्राणायाम कर रहे थे, एक कोने में कुछ महिलाएं निंदासन कर रही थी।  निंदासन क्या होता है यह तो आपको पता ही होगा।
गार्डन में हम लोग थोड़ा चहल-कदमी करते रहे , में आसपास के यह सारे नज़ारे देखता-सुनता रहा और साथ ही साथ बैकग्राऊँड में मेरी बीवी के  मुख कमलो से निकली वाणी मेरे कानो में बराबर पड़ती रही और में हूँ -हूँ करता रहा।

 कुछ देर चहल कदमी करने के पश्चात् हम लोग मौका देख कर एक खाली बेंच पर विराजमान हुए और मैंने अपनी हूँ- हूँ जारी रखी।  मेरे कानो पर तभी कुछ बुदबुदाने की ध्वनि पड़ी, पास वाली बेंच से ही यह ध्वनि आ रही थी, दर-असल 2 महिलाएं कुछ बातें कर रही थी, एक महिला गर्भवती जान पड़ती थी , और इस बार हमने अपनी पत्नी से आज्ञा लेके  उन दोनों  के संवाद को अपने कानो के ज़रिये दिमाग में रिकॉर्ड कर डाला। और अब वही संवाद सीधा यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ। सहूलियत के लिए मेने दोनों नायिकाओं को नाम दिए है उमा और रमा। जिसमे से रमा वो है जो कुछ दिनों में इस धरती पर नया जीवन लाने वाली है , जी हाँ मतलब गर्भवती है।

उमा : अरे रमा तू वो पाउडर ले रही है की नहीं ? जो मेने तुझे दिया था , वो पाउडर खायेगी तो बच्चा  गोरा चिट्टा और तंदुरुस्त पैदा होगा।
रमा : हाँ हाँ दीदी ले रही हूँ न , दिन में ३ बार लेती हूँ वो तो।

उमा : और तू ना सारे रियल्टी शो देखा कर, जिस से तेरा बालक भी टेलेंटेड पैदा होगा , आजकल सब बच्चे ऐसे ही पैदा होते है, पैदाईशी टैलेंटेड।
रमा: अरे हाँ, आप सही कह रहे हो , वो पास वाली बिल्डिंग में मोना को बेटी हुयी ना तो वो सूर के साथ ही रोती है , और लेटे  लेटे ही डांस भी करती है।  उस मोना ने जरूर सारे रियल्टी शो देखे होंगे, मैं भी सारे शो देखा करुँगी, मुझे भी अपने बच्चे को सुपर टैलेंटेड बनाना है।

उमा: और सुन, तेरे पति जब क्रिकेट देखे ना तो वो तू भी देखा कर, आजकल के बच्चे स्पोर्ट्स में भी आगे होते है, तुझे भी अपने बच्चे को   . . . . . . . . .
रमा: अरे दीदी , यह सब में पूरा ध्यान रखती  हूँ,पर इसके चक्कर में मेरे कई सीरियल्स मिस हो जाते है , पर क्या करे बाहर कॉम्पिटिशन इतना बढ़ गया है की मुझे अपने बच्चे के लिए यह सब करना पड़ता है।

इन महिलाओ की यह चर्चा यहीं समाप्त नहीं हुयी थी, की अचानक से मेरे कानो में एक नन्ही आवाज़ गूंजी, बचाओ बचाओ करके . . ..... सीधे रमा के गर्भ से, जी हाँ , इन दोनों की इतनी भयानक प्लानिंग सुन के बेचारा बच्चा चीख पड़ा , की बस करो, मेरे बाहर आने से पहले ही मुझ पर इतना प्रेशर डाल रहे हो तो  बाहर आने के बाद मेरा क्या हाल करोगे।




इतनी बातें सुन कर , में भी सोच में पड़ गया की बीते कुछ वर्षो में हमारे बालको पर माता पिता द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए इतना दबाव डाला जा रहा है जिसके लिए कहते सुनते सब नजर आते है , परन्तु करता कोई कुछ नहीं। वैसे माता पिता भी इसी दबाव में रहते होंगे की कही उनका बच्चा बाकी बच्चो से किसी विधा में पिछड़ न जाये। परन्तु  इस होड़ में आज के बालको का बालपन कहीं नजर नहीं आता।

आप भी सोचियेगा , की कही यही "कम्पीटीशन " बच्चो को समय से पहले "बड़ा" तो नहीं कर रहा ?
मेरा इशारा तो आप समझ ही रहे होंगे।

में घड़ा हूँ कच्चा, पकने में समय लगने दो  
बड़ा होने की जल्दी नहीं है मुझे  
बच्चा हूँ अभी मैं, मुझे बच्चा रहने दो। । 



नोट : बच्चा और बालक शब्द पढ़ने सुनने में पु:लिंग लगते है , परन्तु हिंदी भाषा में यह शब्द उभयलिंगी (यूनिसेक्स) है। तो कृपया लेख के मूल से भटकने का प्रयास न करे !
चित्र इंटरनेट के सौजन्य से








Thursday, 30 January 2014

Piclog-3


After piclog-1, piclog-2 here I am with third version of piclog, this time the theme is "Jeev-Jantu" :

I hope you would enjoy this piclog....


 An Indian leader, when we select him as MP or MLA, a clean and white image


 Judiciary system , can only watch and tell others to wait for justice

 A proud and caring mother....


 Aam aadmi, bole to sota hua sher ( a sleeping Tiger depicting a common man)






The same leader who we chose as MP or MLA, after some time....

Saturday, 26 October 2013

सूरज स्त्री है या पुरुष ? ( Gender of Sun)

डिस्क्लेमर: यह पोस्ट महिला दिवस के उपलक्ष्य में इस दुनिया की समस्त नारीयों  को समर्पित है, तथा अंत में उन्ही नारीयों  के लिए एक सन्देश भी निहित है। अतः कृपया पूरी पोस्ट पढ़े। 
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सूरज, भानु, सूर्य, प्रभाकर, दिनकर, आदित्य, भास्कर, रवि, दिवाकर और आफताब.. …
मैं यहा किसी स्कूल की कक्षा मे हाज़िरी नही ले रहा हूँ, मैं तो सूरज के भिन्न भिन्न नामो का उच्चारण कर रहा हूँ, आपने गौर किया कुछ, जीतने भी नाम है सूरज के सभी पुल्लिंग में है, मतलब सूरज को एक पुरुष की उपाधि दी गयी है, पौराणिक मान्यताओ की भी माने तो सूर्य देव, एक नर ही है|

परंतु मैं सोंच रहा था कि नाम और पौराणिक कथाओ को एक तरफ रख कर सोचे तो सूरज मे पुरुषो के कोई ज़्यादा गुण नज़र नही आते है।
आप बोलोगे की कैसे, तो भाई साब(हांजी, मैं भाईयों से ही कह रहा हूँ) एक बात बताईए जब आप कोई बहुत ही सुंदर, आकर्षक नैन नक्श वाली, भरपूर डील-डौल वाली कोई कन्या को देखते है तो आप अपनी "कूल लॅंग्वेज" मे क्या कहते है ? ....... "Woww she is so hot" अथवा बड़ी हॉट है बे.... ऐसे ही जुमले निकलते है ना आपके मुँह से, अब यह चर्चा फिर कभी करेंगे की लड़कियों के आकर्षण का पैमाना तापमान से कैसे पता चलता है, बहरहाल बात करते है हॉट की, तो आप किसी पुरुष को हॉट नही कहेंगे, कन्या को ही कहेंगे है की नही? तो इस हिसाब से सूरज तो हॉटेस्ट हुआ/हुई, तो यह गुण तो स्त्री का ही हुआ ना।

चलिए एक और उदाहरण लेते है, जब वही अति ताप वाली कन्या मतलब होटेस्ट गर्ल आपके क्षेत्र में , कॉलेज में , ऑफीस में  या पड़ौस में ही रहने वाली है, तो आप उसके चक्कर काटने शुरू कर देते हो, गोल गोल round round , हैं ना भाई साब, सच कह रहा हूँ ना? माफ़ करना अगर बात बुरी लगे तो ।

फिर आपको पता पड़ता है की ऐसे चक्कर काटने वाले आप अकेले नही है और भी भाई लोग है लाइन मे, कोई थोड़ा नज़दीक तो कोई थोड़ा दूर, पर है चक्कर काटने को मजबूर। अब बात करते है सूरज की, इसके आसपास चक्कर काटने वालो की भी कोई कमी नही है, मंगल से लेके शुक्र, गुरु से लेके बुध और शनि से लेके यम, अरुण से लेके वरुण तक सब के सब उस बेचारे / बेचारी सूरज के पीछे नहा धोके या बिना धोये पड़े है।
इसीलिए इन्ही सब पुरुष ग्रहो से तंग आके प्रथ्वी भी सूरज के इर्द-गिर्द होस्टल वॉर्डन की तरह चक्कर काटती रहती है, परंतु बेचारी पृथ्वी के ही पीछे एक दूसरा मजनूँ  "चाँद" पड़ा हुआ है, घूमता रहता है आगे पीछे। 

एक और उदाहरण देखते है, वो अंग्रेजी में कहते है न "लास्ट बट नोट दी लिस्ट" याने की आखिरी उदहरन जो आपको वाकई में सोचने पर मजबूर कर देगा की सूरज पुरुष है या स्त्री , अगर कोई आपको कहे कि जाओ सूरज को एक जैसा निहारो, तो आप क्या करेंगे? हाँ हाँ ऐसा कौन पागल कहेगा की सूरज को निहारो परन्तु मान लो न की अगर ऐसा करना ही पड़े तो आप कैसे करेंगे ? सनग्लासेस  का इस्तेमाल करेंगे और पुरे आत्मविश्वास  के साथ सूरज कि आँखों में याने उसकी किरणो में आँखें डाल के देखेंगे। अब वहींअगरआपको किसी कन्या को देखना हो बिना किसी को पता पड़े  तो "सेम  तो सेम ""   वही सनग्लासेस पहन के भरपूर ताडेंगे । तो सूरज में और कन्या में समानता हुई कि नहीं ?

तो देखा आपने सूरज का नाम सूरज नही सुरजिया बाई होना चाहिए, जो अपने आकर्षण के जाल मे फंसा कर इतने सारे गृहो को अपने आगे पीछे घुमा रहीहै। 

बात यहीं ख़तम नही हुई, माना दसियों गृह सुरजिया के चक्कर काटते फिरते है,  परन्तु मजाल है कि कोई थोडा करीब जाने कि हिम्मत भी कर पाये।  दूर से ही दर्शन करके सुखी है सभी। सुरजिया भी अपनी पूरी चमक लिए रोजाना अपने नियत समय पर घर से निकलती है और नियत समय पर घर पँहुचती है, लाखों करोडो सालो से ऐसा ही चला आ रहा है। सुरजिया कभी डरी नहीं , घबराई  नहीं , सदियों से चक्कर काट रहे गृह भी कभी उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाये ।

  मैं अपनी इस पोस्ट के माध्यम से सभी नारीयों से यही कहना चाहूँगा कि आप भी सूरज कि भांति ही हो, चमकीली और दिशा देने वाली, कहते है इस संसार में राह कि दिशा का ज्ञान सूरज से और जीवन कि दिशा का ज्ञान एक नारी से ही मिलता है। तो इस जगत कि नारी तुम सूरज कि तरह अपने अक्ष पर विराजमान हो, चमको और दिशा निर्धारण करो, परन्तु किसी के दुस्साहस से मत डरो, और अपने भीतर जलने वाली ज्वाला से उसका सर्वनाश करो ।




सूरज सी चमक है तुझमे अगर
तो उसका ताप भी है
  दुःखियों को देख के पिघल जाए, हृदय मे ऐसी नरमी है
तो दूर्जनों  को जला कर भस्म कर दे ऐसी गरमी भी है
हैं नारी तू जननी है, विधाता है, रूप है काली का, चंडी का
  राक्षसो को जलाके कर सकती है तू राख
  तेरी तरफ एक बार भी उठे जो उनकी आँख !!










------चित्र इंटरनेट से साभार 

देश भक्ति

  देश भक्ति , यह वो हार्मोन है जो हम भारतियों की रगो में आम तौर पर स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस  या भारत पाकिस्तान के मैच वाले दिन ख...