Saturday, 26 January 2013

The last working day mail....

  This post can be considered as sequel of one of my previous post IT Serviceman....
this is nothing but a simple last working day mail of an IT serviceman, we have a habit to write a sweet and short good bye mail which includes many thanks and appreciations for the managers( I don't understand why people don't put their real feelings in their last day mail?)....

this is real mail and already delivered to all my colleagues including Managers of my previous organization, I thought to share it with you all, so here we go.....


-------------------------------------------------Last Working Day---------------------

Object Name: Pritesh Dubey
Object ID: L0306620, 10496722
Object Image:
Date of Creation in Project: 18th March 2009
Date of Creation in Company: 28th August 2008
Date of Archiving: 26th November 2012

Dear all,

In my 4+ years of IT career, I have observed that people are very excited about writing the Last working day mail, moreover it's a tradition to send last day mail, many of you might have created personal folders in your outlook with this name "Last day mails", I think every Pvt sector employee gets a chance to write such mails.

for me it's not that easy to write this mail, but as it's kind of tradition so why should I miss the chance to put my feelings on digital paper.
so, today is my last working day not only in Project but in organization as well, though I wanted to have a last day only for Project but it could not materialized due to some gravitational managerial forces.

When you leave your First Company, who gave your First salary, First ever experience of Corporate life,  then how you feel, there are no words in any dictionary which are capable enough  to express that feeling.

in my last 4+ years in this company I have learned a lot behavioral science, technically and professionally I feel myself a little more mature now.

Here I learned the biggest lesson of Geeta as well from Chapter 2 verse 47.
karmany evadhikarass te maphaleshu kadacana
ma karma-phala-hetur bhuha ma te sango stv akarmani
Meaning:
You have right to perform your prescribed duty, but you are not entitled to worry for the fruits of action. Never consider yourself the cause of the results of your activities, and never be attached to not doing your duty.

in my last 3.5+ years in this project, I enjoyed a lot, worked a little, converted colleagues into friends, seen this project growing from a toddler to a giant, seen all the kind of faces which are available in below smiley box.

During my tenure in this company and in this project I have captured lots of memories few to learn lessons, few to cherish them, my sincere thanks to all those who have contributed in my box of memory.

It's very hard to leave your first things in life but I am thankful to a fist of people who helped me to take this decision, I loved this company and at last I would only say a few lines from a poem of a very renowned Hindi poet ..........
Bahut bikhra bahut toota thapede seh nahi paaya
Hawaaon ke ishaaron par magar main beh nahi paaya
Adhoora an suna hi reh gaya youn pyaar ka kissa
Kabhi tum sun nahi paaye, kabhi main keh nahin paaya !!!

however as Chulbul Pandey would say “there ij alwayjj a furst time and there ij alwayjj a next time.”! so see you next time, till then be happy, keep smiling, and have a great moderation year ahead J

Good bye !!!!


PS: For those who want to access this object even after archived, please use the below links:

FB: https://www.facebook.com/kut2kut
 
  so this was the "last working day mail" from my side to all my colleagues in previous organization, and I tried to be very honest about my feelings for my organization and the people with whom I worked.





Saturday, 12 January 2013

Ab to aa bhi jao....




तुम नहीं आते हो बस तुम्हारी याद चली आती है।
अनायास ही इन नयनो से अश्रुधारा बह जाती है।।
बागो में ना अब फूलो की महक है न पंछियों की चहक है।
लगता नहीं अब कोई गीत मधुर मुझे।
जीवन का हर पल लगता है दूभर मुझे।
आशाओ के बादल बुनता हर पल ये मन है।
तेरी एक झलक पाने को बेकल मेरे नयन है।
मद्धम पवन का हर एक झोंका याद तेरी दिलाता है।
तेरे चंचल स्पर्श का अनुभव मुझे कराता है।
आओ की फिर वसंत की आहट है, मन में कैसी यह हिचकिचाहट है।
आओ की मेरा जीवन महका दो, कुछ पल के लिए मुझे बहका दो।
बातो में तेरी कुछ यूँ खो जाऊ की जीवन भर के लिए बस तेरा होके  रह जाऊ। 
बस तेरा होके  रह जाऊ।।।।



Friday, 28 December 2012

यार तुम शादी के बाद बिल्कुल बदल गये .....

अगर आप की शादी हो चुकी है तो आप यह Post ज्यादा अछे तरीके से समझ सकते है, और अगर शादी शुदा नहीं है तो अच्छे  से समझ जाईये  यह आपके साथ भी होना ही है ।

आपकी शादी को 2 महीने भी नहीं होंगे और आप यह जूमला  सुनना शुरू कर देंगे, और सुनाने वालो में जो लोग शामिल होंगे  वो होंगे आपके दोस्त, old room mates, घर वाले, या आपके वो प्यारे रिश्तेदार जिनको यह भी नहीं पता होगा की  पहले आप शादी के पहले क्या थे और अब बदल के क्या हो गए, पर फिर भी आप उनके लिए बदल जायेंगे अचानक,..........यही नहीं आपके सहकर्मी और आपका boss भी आपको नहीं छोड़ेगा, "यार शादी के बाद तुम्हारा काम करने का तरीका बदल गया बिलकुल ".......अरे भाई  दोस्त, रिश्तेदार, सहकर्मी, बॉस तो ठीक है परन्तु  अगर आपकी लव मैरिज है या आपका  एक लम्बा  कोर्टशिप पीरियड रहा है तो आपकी बीवी जिसके कारण  आप तथाकथित दूसरो के लिए बदल गए हो  वो भी आपको ये लाइन जरूर सुनाएगी,............"शादी के बाद तो तुम बदल गए" ,

अब आप सोचते रह जाओगे की आखीर बदला तो क्या बदला मुझमे??, आईने  में खुद को 10 बार निहारोगे, Hairstyle भी वही है, शकल भी almost वैसी ही है जैसी शादी के पहले हुआ करती थी, कपडे पहनने का तरीका भी Same to same है, हां बस थोडा पेट निकल आया है, बाकी सब वैसा ही है,  अब भाई अगर सब वैसा का वैसा है तो बदला तो बदला क्या????
इस बदलाव के पीछे एक गहरी साजिश है, जी हाँ, अब आपकी शादी हो गयी है इसका सीधा मतलब है की  रिश्तेदारों, दोस्तों और बाकी करीबी लोगो को आपकी टांग  खींचने का लाइसेंस मिल गया समझो, अगर आपने अपने किसी करीबी की किसी भी बात का जरा विरोध किया या उनकी किसी बात पे आपके मूह से "ना" निकल गया तो आपको यह लाइन सुनना ही पड़ेगी, और यही हाल बीवी के साथ होगा, अब आप सबको "हाँ" तो नहीं कह सकते ।

आईये अब इस "बदल जाने" की Psychology को  Philosophical तरीके से समझते है, दर-असल शादी से पहले आप अपना टाइम बड़ा ही unorganized way में खर्च करते है, और आपके टाइम का बहुत बड़ा हिस्सा खर्च होता है या तो दोस्तों के साथ, घरवालो के साथ( प्रत्यक्ष या फ़ोन पे) या ऑफिस में काम करने में, बचा खुचा टाइम आप खुद को देते है (नहाना, धोना, सोना वगैरह).....यहाँ भी अलग अलग संस्करण(Versions or variants) देखने को मिलते है, जैसे दोस्तों के साथ कुछ लोग प्लेन गप्पे मारने में समय बिताते है, कुछ लोग धुम्रपान और मदिरापान करते हुए दोस्तों के साथ समय बिताते है, और कुछ लोग काफी शॉप पे बैठके साफ़ सुथरी सुन्दर बालाओ के बारे में उनके ही जैसी साफ़ सुथरी सुन्दर बाते करते हुए अपना समय बिताते है ,

घरवालो के साथ बिताया हुआ समय भी अलग अलग प्रकार का होता है, अगर आपकी उम्र शादी की हो चली है तो घरवालो की हर बात में कही न कही शादी वाली बात का कनेक्शन होगा, फलां के भाई की शादी पक्की हो  गयी, पडौसी के बेटे की अगले महीने शादी है, तेरे सारे दोस्तों की हो रही है वगैरह वगैरह,....... ऑफिस में भी आपका समय बीतेगा तो बस अपने मेनेजर की तारीफ("A" सर्टिफाइड) करने में, लंच हो या टी टाइम या स्पेशल धुम्रपान सेशन, हर ब्रेक में आपकी बातो के  2 ही मुद्दे रहेंगे  एक तो आपका  मेनेजर और दूसरा अप्रेजल (हो चूका होगा तो उसको रोयेंगे नहीं हुआ होगा तो क्या होगा इस बात पे रोयेंगे), अब इन सब बातों में दखल तभी पड़ेगी जब आपके सामने से कोई "out of your project/team" अप्सरा गुजर जाये ..........
यह तो हुयी बात आपके समय के खर्च की जो आप शादी से पहले अपने दोस्तों, घरवालो और ऑफिस वालो पे करते है, इसके बाद अगर आपका कही चक्कर भी चल रहा है तो भी आप टाइम मैनेज कर ही लेंगे उसके लिए ...

तो शादी के पहले आपके समय के  उत्पादन और व्यय की व्याख्या  प्रतिशत  में करे तो इस प्रकार से होगी
30-35% जाता है दोस्तों के साथ (5-6 Hrs)
20%  खर्च होता है तल्लीनता से काम करने में (5 hrs)
10% ( या इस से भी कम)घर वालो के साथ (2 hrs)
10% ऑफिस में बकर (2 hrs)
10% Internet surfing, Virtual social networking or other internet stuff("A") (2 hrs)
5% जाता है आपके स्मार्ट  फ़ोन पे (1 hr)
और बचा हुआ आपका समय जाता है आपके पर्सनल काम काजो में(सोना, खाना पीना और 1 नंबर 2 नंबर)

तो भाई सब कुछ ठीक ठाक चल रहा होता है, आपके  टाइम की Balance sheet एकदम परफेक्ट है, किसी को कोई शिकायत नहीं है, आप बहुत अच्छे है, सभी खुश है, फिर अचानक से आपका मूड शादी करने का हो जाता है या बना दिया जाता है या किन्ही अपरिहार्य कारणों (Unavoidable reasons)से बन जाता है, और आप अपने जीवन का सबसे बड़ा एडवेंचर  कर जाते है जिसे शादी कहते है।
 अब आपके समय का बहीखाता आपकी जीवन संगीनी के हाथो में चला जाता है और सही भी है, जिसको आप इस ग्यारंटी पे ब्याह के लाये हो की उसे सदा खुश रखोगे तो अब खुश रखने के लिए 2 ही चीजे खर्च करनी पड़ती है (अधिकांशत:), पैसा और समय, तो दोनों के बहीखाते उसी के हाथो में देदो इसी में समझदारी है।
मेरे कुछ मित्र इस तर्क से असहमत भी होंगे की जिसको हम सात वचन देके, सात  फेरे लेके लाये है उसके साथ बिताने के लिए तो सात  जनम पड़े है .. तो अभी थोडा बहुत टाइम "इधर उधर" बिता भी लिया तो क्या गलत है? अब भाई इसमें सही क्या गलत क्या वो तो यह तर्क देने वाले ही जाने, बहरहाल मैं तो इस मत में विश्वास नहीं रखता हूँ।

तो भाई बात हो रही थी बदल जाने की तो चूँकि अब आपके समय का बहीखाता बदल गया है तो अब आप अपना कीमती समय जो कभी आप अपने दोस्तों, घरवालो, ऑफिस वालो और कभी कभार रिश्तेदारों को दिया करते थे, उसमे अब आपको करना पड़ती है भारी कटौती (Cost cutting) और अब आप दोस्तों के साथ दारू नहीं पीते, गपे नहीं लड़ाते, late night outing पे नहीं जाते , स्पेशल धुम्रपान के सेशन नहीं होते, किसी के नैन नक्शों पे चर्चा नहीं होती तो दोस्त कहते है की यार "तूम शादी के बाद बदल गए ".....
 अब आप अपना काम समय पे ख़तम कर देते है, लेट नाईट तक रूक के बॉस की नजरो में आने के लिए काम अटकाते नहीं है तो बॉस के सामने आपकी विजिबिलिटी कम हो जाती है और वो कहता है यार "तूम शादी के बाद बदल गए ".......
अब घरवालो के पास शादी वाला टॉपिक नहीं है तो क्या हुआ शादी के बाद वाला टॉपिक है उसी से बचने के लिए घरवालो से भी बस काम की ही बातें होती है, तो वो भी कहते है यार "तूम शादी के बाद बदल गए ".......
अब आप अपनी मंगेतर या गर्लफ्रेंड जो की आपकी बीवी बन चुकी है को छुप छुप के मिलते नहीं है,  फ़ोन पे ज्यादा बातें नहीं करते है, तो वो भी कहती है यार "तूम शादी के बाद बदल गए "............

पर एक जगह कही पे अगर आप नहीं बदले तो वो है आपके गंभीर मुद्दे पे हो रही चर्चा में दखल पड़ने  के  कारण(आप अच्छी तरह से जानते है में किस बारे में बात कर रहा हूँ) को देख के कहना ..... "Ohh terrri sahi hai yaar....." और फिर आपके दोस्त का कहना " स्साले तू बिलकुल नहीं बदला" और आप अपना घिसा पिटा Royel Stag वाला Dialogue चिपका देते हो की " Men will be men"......

नोट:  उपरोक्त लिखी गयी सारी बातें मनोरंजन मात्र है, इनका रियल लाइफ से  लेना देना हो भी सकता है और नहीं भी और अगर हो भी तो इसे "White paper" करार देके इसको गलत सन्दर्भ में उपयोग न करे ।

बस अपनी प्रतिक्रियाएं जरूर व्यक्त करे ..............









Wednesday, 26 December 2012

IT Serviceman

IT सर्वीसेज़  मे काम करने वालो का जीवन बड़ा ही मस्तिभरा, ऊर्जायुक्त और रंगीन होता है, ये लोग बड़े ही मस्तीखोर, पार्टी करने वाले और बहुत पैसे कमाने वाले होते है, IT वालो को क्राउड भी बड़ा हसीन मिलता है साथ काम करने को........

 यह सब बातें में नही बोल रहा,  वो लोग बोलते है जो IT में  नही है.....और  थोड़ी बहुत बातें virtually True भी है,

 पर रंगीन जीवन???? ....मेनफ्रेम्स और यूनिक्स पे काम करने वालो से पुछो कितना रंगीन होता है? उन लोगो को तो सपने भी काली स्क्रीन की तरह काले काले ही आते है। 

मस्तिभरा जीवन ?? ...नाइट शिफ्ट मे काम करने वालो से पुछो तो सही की रातें कितनी मस्तिभरी और हसीन गुजरती है उनकी, सारी रात  कंप्यूटर के सामने ऊँघते  रहो  और अगर कोई समस्या आ जाये तो अगला दिन भी गुले-गुलज़ार हो जाता है , 

और रही बात बहुत सारे पैसे कमाने की तो भाई सच है, पैसे तो हम अपने कॉलेज जमाने की पॉकेट मनी की तुलना मे कुछ ज़्यादा ही कमाते है पर इतना भी ज़्यादा नही की मेट्रो सिटी के खर्चो को सहन कर पाए, कोई कुँवारा  IT प्रोफेशनल बेचारा 10 बार सोचता है शादी करने से पहले, की घर चला पाऊँगा या नही, अभी तक Shared  मे रहता था तो किराया पूरा पड़ जाता था अब अकेले देना पड़ेगा, इसी तरह की हज़ारो बातें सोचनी पड़ती है......तब जाके कही शादी जैसे बहुत बड़े एडवेंचर के लिए अपना Mindset  बना पाता  है ...

 अब आख़िरी बात हसीन लोगो के साथ काम करने की तो वो तो भाई कंपनी वाइज़, सिटी वाइज़ और प्रॉजेक्ट वाइज़ सीन बदलता रहता है, अधिकांश ऐसा होता है की आप की टीम मे अगर कोई हसीन बाला है तो आपके पास इतना समय ही नही होता की आप नज़रे उठा के उनके सौदर्य की मदिरा को अपनी आँखो के प्याले मे डाल सके, असंभव सा प्रतीत होगा... और अगर ऐसा है की आप के पास कुछ ज़्यादा ही समय है तो भी चक्षुओ के प्याले खाली ही रहेंगे क्योंकि आपका भाग्य ही कुछ इस तरह की क़लम और स्याही से लिखा गया है की आप के नैनो को सिर्फ़ १४" का मॉनिटर ही नसीब होगा और eye  drops की ४ बूंदे........... वैसे हर जगह हर परिस्थिति मे अपवाद(Exceptions) तो आपको मिलते ही रहेंगे.

बहरहाल बात यहाँ करते है पैसे की, काम की, तो बेचारा IT सर्विस वाला बंदा कभी भी एक जगह खुश नही रह सकता, आजकल पत्नीव्रता पति नही मिलते तो कंपनी व्रता  employees कहा मिलेंगे, एक कंपनी से दूसरी मे, दूसरी से तीसरी मे, बेचारे का जीवन बंजारो की तरह होता है, हर बार बेहतर क्राउड की उम्मीद लिए, बेहतर मैनेजर  की उम्मीद लिए, या थोड़े और अच्छे क्वालिटी के काम की उम्मीद लिए बदलते रहो, कंपनी बदलने का ऊपरी कारण कोई भी हो, मूलभूत कारण तो पैसा ही होता है... बिल्कुल भट्ट कॅंप की मूवीस की तरह, स्टोरी लाइन कुछ भी हो, कलाकार कोई भी हो, बेसिक थीम सेक्स ही होती है....



 जब एक लड़की अपने पुराने  बॉयफ्रेंड  को “डंप” करके नया बनती है तो इसका मतलब यह नही होता की पुराना सब ख़तम, इन्स्टेंट्ली तो नही कम से कम, और आगे भी जीवन भर पुराने से नये की तुलना होती रहती है जब तक की नया वाला फिर पुराना नही बन जाता,  यही हाल कंपनी चेंज करने पर होता है, जब हम एक कंपनी बदल के दूसरी मे आते है तो भी हमें चैन नही, यहाँ आकर के भी पुरानी वाली को भूलते नही ।

मनुष्य का दीमाग बड़ा ही विचित्र है,  .....अब तुलना किए बगैर तो रहा नही जाता, वहाँ ऐसा होता था, यहाँ ऐसा होता है, वहाँ तो यह भी मिलता था यहाँ नही मिलता, वग़ैरह वग़ैरह...

बेहतरी की तलाश मे हम बस भटकते रहते है ...... अपना आशियाना तक नही बसा पाते.....और सच तो यह है की ऐसा कुछ Exist  ही नही करता है बाहरी दुनिया मे जिसे हम बेहतर कह सके, जो भी है अपने भीतर की दुनियाँ मे है, बस खूद को एक बेहतर इंसान बनाने की कोशिश कर लो, जीवन खूद-ब-खूद बेहतर होता चला जाएगा ......

कृपया ध्यान रहे: उपर लिखी गयी सारी बातें एक नर मानव के दृष्टिकोण से लिखी गयी है, हो सकता है मादा मानव का दृष्टिकोण थोड़ा अलग हो....

Sunday, 8 November 2009

Meeting with Life


Disclaimer: This piece of writing “Meeting with life” is an old product of my thoughts  …..I have written it in 2009 and put it on my blog, Please excuse the bad English and grammar.

It was a cold morning of November 2009 but since I am in Hyderabad so this is not that much cold as you imagine it….. :) 
 
that morning I met my life,...yes my life...... her emergence was beautiful, she was looking like my dream girl; long hair, innocent face, black eyes trying to say something with a beautiful smile on fine shaped lips, she was wearing a sapphire color top with black jeans, I was totally awestruck looking at her, somehow I managed to get my wits back and after a formal greet I asked her to sit on a chair opposite to me, it was a restaurant near a lake and in this cold morning no one was there except us, I first started conversation; you are my life ? she said yes, I asked again, how my life can be so innocent and beautiful( though practically it does not seem so) , she replied, I am always beautiful, simple and innocent, but you oversight me always, you didn’t see me in that way, “ohhh, ok, so you are saying that I was not aware of my life”, I said, she said yes, I continued with my hell lot of questions, “but you are so fast that I couldn’t see you carefully, I always saw your flip-side”,  then she replied, “because you were always thinking of what has been done, I mean you wanted to be at a certain place with me forever but I cant stay at one place, I have to keep on moving”, by taking a sip of tea I sustained on my complaints “But you are my life, you have to come along with me, stay with me…..” before I finish my sentence she get into the mood of scolding me and started at a little high pitch.. , “I am along with you always, but you are a bit slow and behind me, that’s why I thought it’s long time when we met each other, when we exchanged words, when you gave me a hug, when you lived me with full of joy, I really don’t remember when you gave me some gift, a gift of achievement, a gift of celebration, a gift of joy, a gift of a loud laughter”…she finished and stopped to take a breath, I was listening her carefully as a child, She was right (a little bit), it was long time, when I saw my life so carefully, when I lived it with full delight…I broke the stillness  “Ok then what we are going to do now?”….. “Nothing, now onwards we will walk together, you will come along with me, you will direct me, you will decide the path for us which we follow and enjoy every moment of togetherness, now onwards you will not look behind just come forward with me” with this note she smiled and she gave her to me and then we started to walk along…we started at a steady pace, that morning walk after a cup of tea was as beautiful as my dream…….
 That was a brief meeting with my life just before my phone rang and it woke me up that morning

Everyone’s life is as gorgeous as your dream girl or your prince charm, but the way we look at it decides how it comes across to you, in this competitive environment when we are running behind success, we all are working hard to achieve our goals, we are overlooking our own life, the pleasure, enjoyment, satisfaction and most important love for others have been flew away because we are not keeping the pace with life, either we are too behind from life or we left behind the life.


So just keep abreast the pace with the life, enjoy every moment of this stunning journey, the roads of this drive with life may not be smooth and should not be because on smooth roads there are chances that we lose our consciousness and fell asleep and we may miss the beautiful spectrum of this journey, so few highs and lows are necessary to be awake on this trip.

 Have a great journey....

देश भक्ति

  देश भक्ति , यह वो हार्मोन है जो हम भारतियों की रगो में आम तौर पर स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस  या भारत पाकिस्तान के मैच वाले दिन ख...