Monday, 30 December 2013

Kejriwal and Karna


Now-a-days everyone is talking about Mahabharat, be it the animation movie where big stars have landed their voice or the Television Series or the current political scenario in India

So I thought I should write something about it. You might have already flooded with various comparisons of today’s political set-up with mythological stories, but I can not stop myself.You may not be a fan of mythological writings or the stories, but you must have heard the name Karna or Karan.

Karna, a Mythological character from Mahabharata, is a well praised character, a great warrior, large hearted, hard worker, generous, and above all a fighter and self made leader. Any positive adjective I use here will be less for him and all this written in the classic book.  Having all said about Karna, he is not considered by people as a deity or someone who can be kept in the good books.

He was a son of the god Sun by kunti, but brought up by a charioteer and was always called a saarthi – putra or Soot-putra. According to the “Varna-vyavastha” he could not be a disciple of Gurus like Dronacharya and Parashurama, he could not get learning and teaching of astras(Weapons) and shaastra(Rules of life).


 He hated the system and rebelled against it. Karna became pupil of Guru Parashurama on a false note that he is a Brahmin. And as people say that a lie has no feet, so karna couldn’t go long with that lie and became victim of curse from his contemporary Guru Parshuram.Karna was good at heart, his intentions were good and he was skilled but just because he did not belong to a particular Varna(Caste), he could not hone his skills with the dignity as Khatriyas and Brahmins could afford.  He nourished a kind of hatred in his heart for this system and wanted to change it, and wanted to get the power, wanted to become a king.To douse his burning desires, to get the Kingdome, to fulfill his long term aspirations he joined hands with Kouravas (the 100 bad brothers or better the main villains of Mahabharat).

Finally in the climax his life was ended like a villain and not like a hero. He was killed by Arjuna.
He had to suffer a lot because of his 2 big mistakes, first, to betray a Guru like Parashuram and second, joining hands with most lawless, corrupt and hypocrite people like Kauravas.


The title of this article is Kejriwal and Karna, and I have written all about Karna, you might be thinking that when I would introduce our today’s hero Kejriwal? So my dear readers, that’s all, now I don’t need to write anything about Kejriwal. At the end of this article I will rename Kejriwal as today’s Karna who joined hands with today’s Kauravas.Rest you think, and relate the populist with the Karna's Story.


Note: All AAP and AK lovers, please excuse!

Image courtesy: Google.

Monday, 23 December 2013

ट्रैफिक हवलदार, केले वाला और राजू


समय : शाम ४ बज कर १० मिनट
स्थान : पुणे शहर का एक प्रमुख चौराहा
पात्र: ट्रैफिक हवलदार, केले वाला और राजू


राजू तेज गति से अपनी धून में अपनी दुपहिया गाडी पे कानो में हैडफ़ोन लगाकर चला आ रहा था, सामने चौराहे पर लाल बत्ती होते ही तुरंत ब्रेक लगाकर जैसे ही साइड में खड़ा हुआ, एक सिटी कि आवाज़ और डंडे कि फटकार सुन कर उसने कान से हैडफ़ोन निकाले और देखा कि सामने खड़े ट्रैफिक हवलदार ने उसे सड़क के किनारे लगे पेड़ के निचे बुलाया है । राजू चुपचाप अपनी गाडी धकेलता हुआ जा पंहुचा उस हवलदार के पास।

लाइसेंस, इन्शुरन्स, गाडी के कागज और PUC  हर चीज मुकम्मल करके हवलदार बोला, रेड लाइट में ज़ेबरा क्रासिंग पे खड़ा था भाउ तू, चल चालान भर, ८०० रूपया लगेगा। राजू एक  सीधा साधा, और तुलनात्मक रूप से ईमानदार आदमी है, इसीलिए अपने सारे डाक्यूमेंट्स रेडी रखता है, आज तक जब भी पकड़ा गया है बिना पैसे दिए ही छोड़ा भी गया है, बिना कोई धौंस -डपट के।
राजू के कोई रिश्तेदार पुलिस में, सरकारी नौकरी में या राजनीती में भी नहीं है, ताकि वो कह सके कि "जानते भी हो किस से बात कर रहे हो तुम ?" या फिर अपना फ़ोन निकाल के किसी को फ़ोन लगा के कह ही सके कि तेरी बात करवाऊ S.P  साब से ? वो तो एक आम आदमी (AAP  वाला नहीं ) है।

फिर राजू ने पूछा कि कहा है ज़ेबरा क्रासिंग जिस पर में खड़ा था ? यहाँ तो कोई क्रासिंग नहीं दिखाई देता, तभी हवलदार ने अपनी आवाज़ में टाटा टी कि कडकनेस घोल के कहा "अब तू हमें ट्रैफिक रूल सिखाएगा ?, भाउ प्रेम से चालान कटवा ले नहीं तो खड़ा रह, मेरे को और भी काम है" (मतलब मेरे को और भी बकरे पकड़ने है ) .

कुछ जगहो पर हवलदारों के बड़े साब भी मौजूद होते है, अब अगर बड़े साब हो तो "कद्दू कटेगा, सब में बंटेगा" वाली कहावत चरितार्थ हो जाती है, इसीलिए हवलदारों ने चौराहो पे ठेलागाड़ी (रेड़ी ) लगा के बैठे फल वाले, चाट वाले अपने भाइयों को सेट करके रखा होता है। जैसे ही कोई "बकरा" बात चित शुरू करता है लेन -देन  कि तो हवलदार साब रकम फिक्स करके "बकरे" को कह देते है कि जाके केले वाले या चाट वाले को देदो और निकल जाओ।

हमारे राजू के केस में भी ऐसा ही कुछ था, राजू ने सोचा कि अब बात बिगड़ने से अछा है कुछ ले-देके मामला निपटाया जाये, उसने पहल करी, "सरजी ८०० तो बहुत ज्यादा है , इतने तो है भी नहीं मेरे पास, और अगर रसीद ना लेनी हो तो कितने लगेंगे ?"
इसी बात कि तो बाट  जोह रहे थे हवलदार बाबू, उन्होंने बिना कोई समय गंवाए राउंड फिगर में ५०० का प्रस्ताव रखा, इधर राजू भाई साहब ने अपना चमड़े का दबा कुचला बिल्कुल भारत देश के आम आदमी कि दशा को प्रदर्शित करता बटुआ अपनी जीन्स कि दाई पॉकेट से निकाला, खोला तो ढेर सारे छोटे बड़े कागजो, विजिटिंग कार्डो, ATM  स्लिपों के बीचोबीच १०० - १०० के २ और १०-१० के ३ नोट मिले, उसने हवलदार साब को अपना पर्स दिखाके विनती कि " सर अभी २०० में काम चला लो, अगली बार पकड़ो तो पुरे ले लेना" , हवलदार साब ने भी दरियादिली का परिचय देते हुए कहा, ठीक है जा  रोड क्रॉस करके सामने केले वाले को देते हुए निकल जा, में यहाँ से देख रहा हूँ उसको इशारा करता हूँ।

राजू पलक झपकते ही रोड के उस पार केले वाले कि दूकान पर खड़ा था, उस पार से हवलदार ने सिटी बजा के केले वाले को अपनी हथेली कि २ उंगलियां इस अंदाज में दिखाई जैसे कोई नेता अपनी विजय रैली में विक्ट्री सिम्बॉल दिखाता है। केले वाले ने भी अपनी मुंडी OKAY  SIR के अंदाज़ में हिला दी।

स्थान: रोड के दूसरी तरफ केले वाले कि दूकान
समय: शाम के ४ बजकर २० मिनट
पात्र : राजू, केले वाला और ट्रैफिक हवलदार

राजू: भैया वो साब ने २ दर्जन केले मंगवाए है। उनकी तरफ देखो वो शायद इशारा करेंगे।

केले वाला सिटी कि आवाज़ सुनकर  हवलदार कि तरफ देखता है, हवलदार २ का इशारा करता है। केलेवाला OKAY SIR कि मुद्रा में मुंडी हिला देता है।

राजू जाते जाते २ याने कि विक्ट्री का इशारा हवलदार कि तरफ करता हुआ अपनी तेज़ गति में, हेडफोन्स कानो में लगाये उस चौराहे से ओझल हो जाता है।

तात्पर्य, बईमानी का जवाब थोड़ी से बईमानी करके दिया जा सकता है और यह थोड़ी से बईमानी मेरे हिसाब से वाजिब है , आप क्या कहते है इस विषय पर ? आपके पास भी कोई ऐसी कि घटना हो तो साझा कीजिये। 



Tuesday, 10 December 2013

Bollywood vs IT World

आईटी सर्विसेज में काम करते हुए आप इस क्षेत्र  के बारे में लिखे/बोले  बिना रह ही नहीं सकते, जैसे  मैं पहले भी आईटी सर्विसमैन और इसके जीवन में आने वाले कुछ मकाम के बारे में लिख चूका हूँ, अगर आपने नहीं पढ़ा हो तो अभी पढ़ सकते है यहाँ क्लिक करके !

वैसे आप फ़िल्म / टीवी तो देखते ही होंगे, और सोचते होंगे कि यह टीवी कलाकार और फ़िल्म स्टार कि लाइफ भी कितनी सही है, लेकिन आपको एक बात  बताउ ?? इनमे और हम IT वालो के काम में कुछ ज्यादा अंतर नहीं होता बस यह लोग कुछ ज्यादा टैक्स भरते है (करोड़ो में ) और हम लोग थोडा कम (हजारो में )। 

आप सोच रहे होंगे फालतू कि बकवास करता है, काम और कमाई दोनों ही अलग है इनकी हमसे, हैना ऐसा ही सोच रहे होंगे ना ? चलिए  कोई बात नहीं, वो क्या है कि हमे कोई बात जब एक्सप्लेन करके न बतायी जाये तो वो बकवास ही लगती है, हालांकि इसकी कोई ग्यारंटी नहीं है कि एक्सप्लेन करने के बाद भी बकवास न लगे, मसलन कोई क्लाइंट छोटा सा इ-मेल लिखे किसी issue के लिए तो हम उसको तुरंत reply करते है कि "kindly elaborate, and  give more details about  the issue " और जब वो डिटेल में मेल लिखता है तो भी हम कहते है कि "क्या बकवास है ?"

चलिए फिर आते है टीवी/फ़िल्म कलाकार और आईटी सर्विसमैन कि जिंदगी और उनके काम कि समानता पर , आपको एक्सप्लेन करता हूँ कि क्या समानता है दोनों के कामो में। 
आईटी में अगर आप हमेशा किसी न किसी इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट्स पर ही काम करते है तो आप अपने आप को किसी  फ़िल्म कलाकार कि तरह समझ सकते है, क्योंकि जैसे फिल्मो कि शुटिंग कुछ ही महीनो में कम्पलीट हो जाती है वैसे ही  इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट्स में होता है , कुछ ही महीनो में कोडिंग कम्पलीट। फिर फिल्मो में एडिटिंग, डबिंग का दौर चलता है वैसे ही प्रोजेक्ट में UT, UAT और बग फिक्सिंग का दौर चलता है, फिर एक फ़िल्म रिलीज़ हो जाती है और इधर प्रोजेक्ट कि भी  रिलीज़ हो जाती है।  फिर हीरो किसी और फ़िल्म कि शूटिंग में व्यस्त हो जाता है और आप किसी और प्रोजेक्ट या Module कि कोडिंग में व्यस्त हो जाते है, कभी कभी फिल्मो कि पार्टीज कि तरह प्रोजेक्ट्स कि भी पार्टीज होती है, तो भाई हुआ न सेम टू सेम, बन गए न आप हीरो। 

अब आप कहेंगे कि आईटी सर्विसेज में हर कोई इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट्स में काम नहीं करता यहाँ सपोर्ट और मैन्टेनन्स के भी प्रोजेक्ट्स होते है जो कुछ महीनो के नहीं अपितु कई वर्षो तक के होते है, तो महाशय अगर आप किसी ऐसे प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहे है जो सालो साल से चले आ रहे है, जहाँ सालो साल से एक जैसा काम काज, इक्का दुक्का लोग बदलते है परन्तु बाकी टीम वैसी कि वैसी है, तो आप अपने आप को कम से कम किसी टीवी आर्टिस्ट कि तरह तो समझ ही सकते है।  टीवी सिरिअल्स बिलकुल आईटी के सपोर्ट प्रोजेक्ट कि तरह होते है बहुत सारे, बहुत दिनों तक चलने वाले और सबकी एक जैसी कहानी।  टीवी एक्टर हमेशा चाहता है कि वो कभी फिल्मो में भी काम करे वैसे ही सपोर्ट के प्रोजेक्ट में काम करने वाला इंजीनियर हमेशा सोचता है कि कभी वो भी इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट में काम करे।  जैसे टीवी सिरिअल्स में हर त्यौहार को बड़ी धूम धाम से भारी भरकम costumes के साथ मनाया जाता है,  ठीक वैसे ही मैन्टेनन्स प्रोजेक्ट्स में हर त्यौहार पर ट्रेडिशनल डे मनाया जाता है। आईटी सपोर्ट प्रोजेक्ट्स में बॉस और एम्प्लोयी का झगड़ा वैसा ही होता है जैसा सिरिअल्स में सास बहु का, सिरिअल्स में २ औरतें मिलकर जैसी गॉसिप्स करती दिखाई देती है बिलकुल वैसी ही गॉसिप्स एक ही प्रोजेक्ट में काम करने वाली २ लड़कियां करती हुयी मिलेगी। 

और जैसे इम्प्लीमेंटेशन में काम करने वाला इंजीनियर कभी न कभी तो सपोर्ट के प्रोजेक्ट्स में आता ही है भले ही मेनेजर बनकर वैसे ही बड़े से बड़ा फ़िल्म कलाकार कभी न कभी टीवी पर आता ही है भले ही होस्ट बनकर।  और इसका विपरीत भी होता है बहुत से काबिल और बड़े एक्टर टीवी कि दुनिया से आये है वैसे ही बहुत सारे  इंजीनियर सपोर्ट प्रोजेक्ट्स से निकल कर बड़े बड़े इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट्स में आये है.
और जो इंजीनियर अपने इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट को इस तरह से बर्बाद या बिगाड़ देते है की उन्हे दूसरा मौका नही मिलता और कोई और उन्हे किसी इंप्लिमेंटेशन प्रॉजेक्ट मे लेने को तैयार नही होता तो उनके लिए भी कुछ सपोर्ट प्रॉजेक्ट रहते ही है कंपनी में बिल्कुल वैसे ही जैसे टीवी पर बिगबोस !!!

तो देखा आपने, आईटी सर्विसेज और फ़िल्म/टीवी कि दुनिया एक जैसी ही है , हमे भी अपने आप को किसी  सलिब्रिटी से कम नहीं समझना चाहिए।

तो बोलो सब मिलके_ _ _ लाइट्स - कैमरा - एक्शन - कट -कॉपी - पेस्ट 

आपका क्या विचार है , या अब भी कहेंगे कि "क्या बकवास कर रहा है ?"

-------------------------------------------------------------फ़ोटो  इंटरनेट के सौजन्य से 

Thursday, 5 December 2013

Toilet - The ultimate place

If I ask you that which is the place where you get your share of peace for each day of your mechanical life?
Okay, if I ask that which is the place where you would visit everyday without fail (subject to ill health)?
 Now I think many of you have guessed it right that I am talking about the most important place of our life where we get an extra piece of relief, I am talking about restrooms, washrooms or better say Toilets.
Toilets play a critical role in our daily life, and I am not the first person who is writing on this subject, many more scholars and big shots have also written about toilet.
For reference I share a few with you,

It is better to have a relationship with someone who cheats on you than with someone who does not flush the toilet.
--Uma Thurman

Toilets first, temples later”
---Narendra Modi

It is the best place in your house which you can use as “Private Zone” and you can be a bit more relaxed while sitting here than any other area of your house.
Indians are Intelligent but they are also known for their misconceptions and superstitions, if we talk about going toilet, many people have their own morning habits for this task, I know many people just go there, sit, wash, flush and return. But for a large chunk of people going toilet is a big task.

Let’s have a flashback…..
I spent my childhood in a small village so I start with my village, at that time people used to visit farms, forests, and ponds for the daily routine. Having a house was more important then having a toilet in house. So, many times for the elder people of village it was a point of get to gather and they used to discuss important issues during their toilet sessions, issues like, which fertilizer should be used, what is the right time for seeding the farms, whose son is ready to be married in market, whose buffalo is giving how much milk etc.
Children also used to go and sit in abandoned farms and open lands. They used to play with pebbles and bushes around while their sessions, many times they used to discuss about the “Kancha tournaments” and they get their school bunk planned in that session. 
I have seen women too; they generally used to form a group of 5-7 and then go. Their usual topics of discussion were the same as today when they meet.

 Let’s come back to today’s era….

Now when people have built toilets in their houses, they usually don’t need to go outside and they don’t get company to discuss important matters while their toilet sessions, it become difficult to have a “Successful Toilet Session”. Here I will not elaborate the “Successful session” it’s your task to understand.
People have developed strange habits to have a “Successful Session”. Here I share some strange and some known habits which people follow to have their successful morning call.
I start with my grandfather, he used to smoke beedi in normal day but every morning he needed a filter cigarette. He explained to me that without that filter cigarette he couldn't get his pressure. He carried this habit with him for long time.
Same as my grandfather my father developed habit to chewing tobacco; he keeps the small boxes of tobacco and chuna under his pillow, to make it sure that after waking up first thing should be tobacco which goes into his mouth.

Chewing tobacco, smoking cigarettes are the known habits which many people follow today, but Mahesh uncle, one of our neighbors was having a strange habit, on the corner of the street where we used to live, there was a sweet shop, and every morning they used to sale hot jalebi, samosa kachori and the Famous Indorie Poha. Now if Mahesh uncle doesn't get the Kachori with Imli chutney from that shop, he wouldn't get his “Successful toilet Session” and it is believed that because of this habit he used to deny travel much and go outstations because he needed that Kachori everyday.

 


Apart from these habits of eating Kachori, smoking cigarette /bidi, chewing tobacco/gutakha/paan masala or drinking a hot cup of tea there is a big group of people who go and read news paper inside the toilet, I am sure many of you would admit this fact to bring newspaper in toilet, now we have different variants of this habit as well, like one of our relatives has designed his toilet in a way that a folding table is attached in front of his toilet seat which he would use to read news paper. One of my friends doesn't get his share of peace in toilet if he doesn't get a fresh set of news paper or better I say a virgin newspaper. Our college topper and gold medalists had a habit to go with formula sheets and other tutorials with him while going inside.



I see that things are not changed today as well, now the young generation has I-pads, smart phones, laptops and PSPs in their hands while they go inside.
Now it’s your turn to admit… what you bring along with you when you go “Inside”??
Share interesting Toilet habits you have seen in people ….

--------------------------------------------------------------------Images from Google search

Friday, 29 November 2013

सौदागर

सौदागर , यह कविता एक कल्पना नहीं है आज के समाज का सच्चा रूप है, हमारे इर्द-गिर्द कितने ही सौदागर घूम रहे है जो हर पड़ाव पर हमारी आत्मा के सौदे के लिए हमें उकसाते है, लेकिन मानवता को जीवित् रखने हेतु हमें किसी कीमत पर अपनी आत्मा का सौदा नहीं करना है, बस यही विनती मात्र है यह कविता।



Thursday, 21 November 2013

प्रधानमंत्री का विदाई भाषण (Farewell speech of PM)


प्रस्तुत लेख एक कल्पना  मात्र है, यहाँ उपयोग किये गए नाम वास्तविक लग सकते है परन्तु वह एक संयोग मात्र होगा। इस लेख का प्रयोजन सिर्फ अपने पाठको का मनोरंजन करना है न कि किसी कि भावनाओ को आहात करना, फिर भी अगर किसी विशेष राजनितिक दल कि भावनाओ को ठेस पहुचती है तो इसके लिए वो खुद और इस लेख में आये हुए नाम जिम्मेदार है।

दिन : १ जून २०१४
स्थान: राम लीला मैदान, दिल्ली
घटना: श्रीमान मन्नू भाई जी कि देश के P.M पद से विदाई
कारन: श्रीमान नमो भाई जी कि देश के P.M पद कि शपथ


आज नमो देश के प्रधानमंत्री पद कि शपथ राम-लीला मैदान में लाखो लोगो कि मौजूदगी में लेने जा रहे है, परन्तु उससे पहले एक विशेष घटना घटित होने को है, जिसके लिए देश  १० सालो तक तरसता रहा, वो होने जा रहा है, आज मन्नू जी कुछ "कहने " जा रहे है।

जी हाँ , मन्नू जी ने नमो जी से आग्रह किया कि वो भी सचिन तेंदुलकर कि तरह एक विदाई भाषण देना चाहते है, परन्तु वानखेड़े स्टेडियम कि तरह लाखो लोग जुटा पाना मुश्किल है इस लिए वो नमो जी के शपथ ग्रहण समारोह में अपनी स्पीच देना चाहते है और जैसा नमो जी ने यह आग्रह स्वीकार किया और आज मन्नू जी को "बोलने " का मौका देते हुए "इंक्लूसिव पॉलिटिक्स " का उदहारण प्रस्तुत किया।

जैसे ही मन्नू जी अपने दोनों हाथ अपनी जैकेट कि पॉकेट में डाल के, इठलाती हुयी अपनी "मनमोहक" चाल में चलते हुए  मंच पे आके पोडियम पर खड़े हुए वैसे ही सारी जनता हल्ला मचाने लगी, मन्नू जी ने धीरे से माइक के करीब जाके कहना आरम्भ किया। ....

दोस्तों----- बैठ जाईये _ _ _ _ कृपया करके शांत हो जाईये _ _ _ फिर भी जनता चुप नहीं हुयी,

तभी मन्नू जी ने मीरा कुमारी जी कि तरफ देखा, वो तुरंत दौड़ती हुयी माइक पे आयी और बोली, शांत हो जाईये, बैठ जाईये, शांत हो जाईये, बैठ जाईये, मन्नू जी को सुनिये - _ _ _ और मन्नू जी को माइक देते हुए वो वापस लौट गयी।

मन्नू जी ने फिर कोशिश कि, देखिये आप शांति से नहीं बैठेंगे तो में आज भी कुछ नहीं बोलूंगा _ _ _

"आज भी कुछ नहीं बोलूंगा _ _ " यह सुन के पुरे मैदान में सन्नाटा पसर गया.

मन्नू जी ने शुरू किया_ _ _ _ _ _ _
"मेरी जिंदगी के १० साल,  ७ रेस कोर्स रोड से १० जनपथ  के बिच कि भाग दौड़ में कब बीत गए पता ही नहीं  चला, आज मेरी उसी जिंदगी का आखिरी दिन है, मेरी इस जिंदगी को यादगार बनाने में बहुत लोगो का योगदान रहा है में सभी का शुक्रिया करना चाहता हूँ" फिर मन्नू जी ने अपनी पॉकेट से एक हाथ निकालते हुए रूमाल से अपनी नाक साफ कि और फिर कहना शुरू किया_ _ _ _

"सबसे पहले तो में शुक्रिया करना चाहता हूँ नमो जी का _ _ _तभी अचानक लोगो ने चिल्लाना शुरू किया  मोअअअ दी _ _ _ मोअअअ दी___मोअअअ दी_ _ अबकी बार नमो जी ने जनता को कहा " मित्रो शांत हो जाईये " और जनता चुप हो गयी.

मन्नू जी ने एक बार फिर आरम्भ किया, "नमो जी कि वजह से आज मुझे बोलने का मौका मिला है , आज मुझे अपनी विदाई का भाषण देने का मौका मिला है, नमो जे कि वजह से मुझे अब बुढ़ापे में आराम करने का मौका मिला है।

में मैडम जी का भी शुक्रगुजार हूँ कि आज उनके मार्गदर्शन में काम करने कि वजह से मुझे P.M. पद से विदाई मिल रही है, मैडम जी कि वजह से ही में आज इतना फिट हूँ क्योंकि मुझे रोजाना ७ रेस कोर्स से भाग के १० जनपथ कई बार आना पड़ता था.
यकीन ही नहीं आता कि आज से मेरी जिंदगी में केवल एक मैडमजी रह गयी है_ _  मेरी पत्नी।

में शुक्रगुजार हूँ अपने मंत्रिमंडल का जिनकी करतूतो कि वजह से आज मुझे "चोर" जैसे सम्मानो से नवाज़ा जाता है.
में तहे दिल से धन्यवाद देना चाहता हूँ अपनी भारत माता का जिसने मेरी हर शैतानी को नजरअंदाज किया, मेरे हर घोटालो को सहा, मेरे लिए कई टैक्स पेयर्स ने बड़े बड़े बलिदान दिए उनका भी शुक्रिया।

राउल बाबा_ _ _ अब उनके बारे में क्या कहु ? इस नौजवान लडके ने मेरे लिए अपनी पूरी जवानी दांव पे लगा दी, अपनी पढ़ाई लिखाई छोड़ के हमारी सरकार के चर्चे देश के कोने कोने में करवाये, यहाँ तक कि ४४ साल कि उम्र में भी अपना "भोलापन" खोने नहीं दिया।

में धन्यवाद करना चाहता हूँ मनीष,  कपिल,दिग्गी, शीला, खुर्शीद भाई और कलमाड़ी बाबू का जिनके कारनामो कि वजह से मेरा इतना नाम हुआ पुरे विश्व में कि में अपने दोनों हाथ कभी जेब से नहीं निकल पाया और अपना सर कभी ऊपर नहीं उठा पाया, बहुत बहुत शुक्रिया इनका कि आज मुझे "काम" (जो मेने कभी किया नहीं) से मुक्ति मिल रही है।

सीबीआई , जी हाँ में तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ सीबीआई का जिन्होंने मुझे कठीन से कठीन परिस्थितियों में भी महफूज़ रखा.

मेरा राजनितिक कैरियर १९९१ में शुरू हुआ, परन्तु मेरे नाम और शोहरत के पीछे  टर्निंग पॉइंट था २००४ में  मैडम जी का P.M न बनना और मुझे इस पद के लिए आगे करना। बस तभी से मेरे जीवन के गौरव शाली क्षणों कि शुरुआत हुयी और आज में इस मकाम पर पंहुचा हूँ।
मैडम जी आज भी मुझे रोज फ़ोन करती है और हर घोटाले के बारे में मुझे "मौन" रहने कि सलाह देती है।


मेने पार्टी और मैडमजी के लिए बहुत कुछ किया अब में देश के लिए कुछ करना चाहता हूँ इसीलिए अपना पद त्याग कर विदाई चाहता हूँ।

में आभारी हूँ मिडीया का जिसने मेरे कुछ कारनामो को दबाया और कुछ कारनामो को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया और मुझे इंटरनेशनल हीरो बनाया।


यह पल मेरे लिए बहुत भाव-विभोर कर देने वाले पल है, में जानता हूँ कि मेरा भाषण थोडा लम्बा हो रहा है परन्तु विश्वास कीजिये _ _ _ मेने कभी इतने सारे लोगो के सामने इतनी देर तक नहीं बोला_ _  आज आप लोगो ने मुझे सुन कर इमोशनल कर दिया है। में आप सब लोगो का भी आभारी रहूँगा जिन्होंने नमो जी को वोट देकर मुझे पदमुक्त करने में अहम् भूमिका निभायी है। आप लोग दूर दूर से यहाँ नमो जी कि शपथ ग्रहण रैली में आये है और मुझे सुन रहे है , धन्यवाद।  आपलोगो कि यादें मेरे ज़ेहन में हमेशा ताज़ी रहेंगी खास कर के  चोर _ _ चोर _ _ 2G , 3G , कोयला, CWG  यह सारे शब्द मेरे कानो में  मरते दम तक गूंजते रहेंगे।

बस इन्ही शब्दो के साथ में विदाई चाहता हूँ , ठीक है।  गुडबाय। ………






-कार्टून : इंटरनेट पर मौजूद आर्टिस्ट्स के सौजन्य से


Monday, 18 November 2013

Liebster Award


I don't see myself as an award winner at the very early stage of blogging or some people say it writing.

However Many thanks to Gunjan for nominating me for the Liebster Award. Its a great honor to receive this award from a fellow blogger!


Liebster Award is given to upcoming bloggers who have less than 200 followers. The word 'Liebster' is of German origin and means sweetest, kindest, nicest, dearest, beloved, lovely, kind, pleasant, valued, cute, endearing and welcome.

How does it work?

1.                   Link back to the persons blog who has nominated you and convey thanks for giving the award.
2.                   Answer all questions posted by the nominator.
3.                   Nominate 10 more bloggers whom you feel are deserving of more subscribers; you pass the award on to them.
4.                   Create 10 questions for the nominees.
5.                   Contact the nominees and let them know that they have been nominated for the Liebster Award!

Here are my responses to the questions posed by Gunjan:-

1) Why do you like most about blogging?
About Blogging I like that it gives you a platform to share your thoughts in a detailed way, it reaches to the specific audiences i.e. to those who really want to read something interesting. It is different than any other social network as while you blog you can enhance your artistic skills.

2) What do you dislike most about blogging?
Many people start blogging as passion, as their hobby, as they wanted to showcase their skills to others, gradually people make it their profession and only few people can keep Passion alive and they turned to be professionals by flooding their blogs with so many “How to”, “what to” blogs, which many times are repetitive. I dislike this thing that people forget the original motive.

3) How do you get blogging ideas?
There is only mantra behind getting ideas, “Always be alert, keep your eyes, nose and ear open” .
Actually I think that I am a good observer and while observing incidents, people and work around me I get ideas to write.

4) What did you want to be when you were a child?
Hahahahaha, this is a funny question to any adult living in his late twenties now. Each person grown up in 90s wanted to be a superman, yes he personally wanted to become something, then his mother wants something else, and suddenly father came and decide another profession, but after all, destiny takes him to a different stage.
My case is not different actually I wanted to become a Doctor till my class 10th, then an Army Officer, then I decided to become a physics scholar and researcher but then I found that god has written something for me in other profession and Finally I became IT Consultant or Software Engineer.

5) Which is your favorite book and why?
In today’s date my favorite book is “Shrimadbhagwatgeeta” and why, because every time when I read it, I do not get a single thing repeated. Each time I find something new, may be after my each reading the level of my understanding enhanced and I see the same thing in different direction.
 I request to all fellow bloggers to read it at least once, do not think that it is a religious book, it’s a philosophical book.
   

6) Of all the places you have ever been to, which one is your favorite and why?
Here I assume that the question is asked in terms of my residences in where cities then in that case my favorite place for living is Hyderabad, and why, because this city has it’s own pace of life, a royal pace, a charm of staying forever in the city. Even it is considered as a Metro city, it has its own share of calmness during usual business.
And if the question is about the tourist destinations which I visited and liked the most, then my answer is Gangtok, yes it is my favorite destination where I would like to go again and again or may be in my retirement age I would settle down there. I liked the people there, they are very nice, helping in nature, and you can see the same purity on most of the faces which you see on a new born baby.

7) Your biggest influence or role model is?
I do not have a fixed role model ever, at each stage of life I see role models around me, for example when I was in school then the topper of the class was my role model, I wanted to become like him, at the same time the football captain of school team was also my role model.
When I joined my profession, then I saw several skilled people around me who knew more than me about the skills where I am working so I made them my role model.
But being as a human being I always admire my Father, and wants to become a father, husband, son and human being like him.

8) What's your favorite genre of books?
I like Hindi humor, History, Fiction by Indian writers.

9) What time of the day is the most conducive for you to write?
Whenever an idea flashes in my mind, I put it on a notepad, and then whenever I find a little time during any part of the day, I write.

10) How do you overcome blogger/writer's block?
That I do not know how to answer!!!

Now my 10 Nominations for this Award are as under (hey guys please forgive me if you have already received such award and if I am spamming you)
  1. Kartikey Joshi (http://kartikeyjoshi.wordpress.com)
  2. Darshil Shah (http://thenationalistdigest.blogspot.in)
  3. Sreeram Manoj Kumar (http://memyinnerthoughts.blogspot.in/)
  4. Swati Maheshwari (http://cogitativeme.blogspot.in/)
  5. Altaf Hussain (http://altafphp.blogspot.in/)
  6. Richa Shukla  (http://prathamprayaas.blogspot.in)
  7. Maitreyee Bhattacharjee Chowdhury (http://jumble-rumble-thoughts.blogspot.in/)
  8. Suresh Chandrasekaran (http://www.jambudweepam.blogspot.in/)
  9. Pankaj Kumar ( http://behtarlife.blogspot.in/)
  10. Madhusha http://madhushadash.blogspot.in/  



And My 10 questions for the awardees are :


  1. Write a unique thing about you which are reflected in your blogs.
  2. Hindi or English, chose one and why?
  3. What is the craziest thing you done in your school life? ( I hope you have been to school… lolzz, joking)
  4. What is the Dish which you can cook and serve with confidence to the guests arrived in emergencies?
  5. If your spouse (or to be) hates your writing, and do not want you to write, what will you do and why?
  6. If you had a chance to be PM of India for a day, what are 5 major decisions you would take?
  7. Who/what influenced you for putting your thoughts on paper?
  8. What is your favorite movie character you relate yourself with?
  9. Do you have set any targets for your blogging? If yes what kind of targets?
  10. Your thoughts about Life and Love.

देश भक्ति

  देश भक्ति , यह वो हार्मोन है जो हम भारतियों की रगो में आम तौर पर स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस  या भारत पाकिस्तान के मैच वाले दिन ख...