Tuesday, 10 September 2013

धर्मनिरपेक्ष कबाब



एक बार की बात है, 


एक हरी-भरी भिंडी मार्केट से गुजर रही थी,  तभी वहाँ पास ही के एक पोल्ट्री फार्म के कुछ मुर्गो  ने भिंडी को छेड़ दिया,  भिंडी घबराई, और डर के मारे वहां से भागती हुयी सब्जी मण्डी पहुची, उसको डरा हुआ देख के उसके  भाई आलू ने उससे पूरा हाल पूछा और जब उसे यह बात पता पड़ी की उसकी बहन को कुछ मुर्गो ने छेड़ा है तो आलू गुस्से से उबल पड़ा और अपने दोस्त प्याज़ को लेके गया पोल्ट्री फार्म.. ... वहां जाके उन दौनो ने मुर्गो को गालियाँ देना शुरू किया, मुर्गो को भी बड़ा गुस्सा आया, उन्होंने आलू और प्याज को घेर के खूब नोचा|

 बेचारे आलू और प्याज की हालत खराब हो  गई और यह खबर पूरी सब्जी मण्डी मे आग की तरह फैल गयी, और खबर को इतना तोड़ मरोड़ के परोसा गया की करेला और भी कड़वा हो गया, मिर्ची का तीखापन बढ़ गया, और टमाटर सुर्ख लाल हो गया| 

 सब्जी मंडी के दलालो ने सारी सब्जियों को भड़काया और कहा की पोल्ट्री फार्म पर हमला बोल दो, और धीरे से यह खबर पोल्ट्री फार्म के मालिको को भी मिली, उन्होने भी अपने ख़ूँख़ार मुर्गो जिनके नाख़ून बड़े तेज़ थे, को तैयार किया, भड़काया और पिंजरे से आज़ाद किया, फिर जैसे ही सब्जियाँ आई, मुर्गे सब्जियों पर टूट पड़े, मिर्चिया भी मुर्गो की आँखो मे जाके गिरने लगी, करेला, प्याज़ और आलू भी पूरी तरह से मुर्गो को पस्त करने मे लगे हुए थे, टमाटर भी अपने तेवर दिखा रहा था|
 मिर्ची ने अपने तीखेपण से पूरे पोल्ट्री फार्म मे आग लगा दी थी, जिससे बेचारे निर्दोष मुर्गे जल कर भुन गये थे, इधर ख़ूँख़ार मुर्गो ने कितने ही निर्दोष प्याज़, टमाटर और धनिए को कुचल कर चटनी बना दी थी |

और दूसरी तरफ सब्जी मंडी के दलालो और पोल्ट्री फार्म के मालिको ने आपस मे बातचीत करके मामला सुलझा लिया, अंत मे भुने हुई मुर्गो पर कुचली हुई लाल मिर्च, पीसा हुआ टमाटर, कटा हुआ प्याज़ और हरा धनिया डाल कर हमारे देश के "नेताओं" को "धर्मनिरपेक्ष" कबाब खिलाया गया, सभी ने बहुत तारीफ़ की|


एक बार की बात ...जी नही यह ना जाने कितने बार की बात थी..और ना जाने कितने पोल्ट्री फार्म और सब्जी मंडी ऐसे ही जल कर खाक हो गये .. .  और ना जाने कितनी बार फिर ऐसा होगा...मुर्गे और सब्जियाँ कब समझेंगी की इनका आपस मे लड़ना दर-असल "नेताओ" का पेट भरना है|


Monday, 2 September 2013

भारत की न्याय प्रणाली


कुछ दीनो पहले मेने एक हिन्दी फ़िल्म देखी थी “स्पेशल 26”, जिसमे असली वाली CID के मनोज वाजपयी और लूट जाने वाले जौहरी सेठ के बीच एक संवाद है जिसमे मनोज वाजपयी कहते है की “ सेठ जी, हमारे देश मे जुर्म सोचने की सज़ा नही मिलती, जुर्म करने की मिलती है और वो भी तब जब सबूत हो”


यह संवाद सुन के मेरे मन मे आया की अगर ऐसा सच मे होता की इंसान के अपराध  सोचने भर से ही उसको पकड़ लिया जाता और सज़ा सुना दी जाती तो कैसा होता हमारा देश?

वैसे आप कहेंगे की क्या फालतू की बकवास है, ऐसा कैसे संभव हो सकता है? तो दोस्तो, ऐसा हो सकता है, सोचिए अगर हमारे यहाँ हर इंसान के पैदा होते ही उसके दीमाग मे एक चिप लोड कर दें जो की उसके सोचने समझने की प्रणाली(nervous system) को नियंत्रित करती हो, चिप के प्रोग्रामिंग IPC की धाराओं के हिसाब से इस तरह हो की अगर व्यक्ति ने सोचा की में फलाँ फलाँ व्यक्ति को मार दूँगा तो तुरंत धारा 302 वाला signal activate हो जाएगा और निकटतम पोलीस स्टेशन पर उस व्यक्ति के ID नंबर के साथ अलार्म बज जाएगा, बस पोलीस वाले अपना काम शुरू कर देंगे और अपराधी सोच वाला व्यक्ति  पुलिस  की निगरानी में आ जायेगा।
विज्ञान  के इस युग मे सब कुछ संभव है, तो ऐसा भी हो सकता है एक दिन.
तो पाठकों (readers)  सोचिए की अगर ऐसा हो जाए, की इंसान के अपराध सोचने भर से ही उसके मोबाइल फोन पर उसको  चेतावनी मिल जाए की “एक बार अपराध सोच तो लिया है अब दोबारा से मत सोचना”. ऐसे मे हमारे देश मे बढ़ते हुए कितने अपराध नियंत्रित हो जाएँगे?

किंतु एक समस्या भी है,  कई  सारे निर्दोष लोग  बे-वजह फँस जाएँगे, जो बेचारे सिर्फ़ अपने दिल की खुशी के लिए किसी अपराध के बारे मे सोचते है, करते कभी नही,, जैसे आज के परिद्रश्य(Situation) की बात करे और  ऐसी प्रणाली प्रभावी हो जाए तो देश की आधी से ज़्यादा जनसंख्या “गाँधी” परिवार के विरुद्ध  "सोचने" के अपराध मे जेल मे होगी, ये ही नही, हमारे देश के कई मेधावी (Brilliant) अभियांत्रिकी (Engineering) स्वस्थ युवा पुरुष की श्रेणी मे आने वाले छात्र जो बेचारे सिर्फ़ सोच ही सकते है, वो सबसे ख़तरनाक धारा के लपेटे मे आ जाएँगे ( धारा 376).

इस अपराध सूचक प्रणाली का असर सीधा हमारे देश के नागरिको की सोच पर होगा और जब सोच बदलेगी तो देश तो अपने आप बदल जाएगा| किंतु फिर एक समस्या है, ऐसे कई अपराध सूचक यंत्र तो आज भी देश मे है, आज भी  देश मे कठोर कानून व्यवस्था है। सुचना का अधिकार है, CBI है, दुनिया भर की एजेंसीज है,
परंतु जो सबसे ज़्यादा बड़े अपराधी है, हमारे नेता गण जो की अपने आप को किसी भी अपराध नियंत्रण प्रणाली से ऊपर समझते है वो यहा भी बच निकलेंगे. और दूसरी समस्या यह है की आज की हमारी पोलीस जो की अपराध “करने” वालो को ही नही पकड़ सकती, और पकड़ भी ले तो उन्हे सज़ा नही दिला सकती तो सोचिए वो पोलीस अपराध “सोचने” वालो को क्या खाक पकड़ेगी…..

अभी के ताजा उदाहरण (Delhi Gang Rape Juvenile verdict, Aasaram Bapu case)इस बात के प्रमाण है की हमारी न्याय प्रणाली कितनी खोखली है, हमारा संविधान जो की कई दुसरे देशो के संविधान का Copy Paste है कितना कमजोर है, हमारे देश में अगर ताकतवर है तो बस राजनैतिक लोग जो जब भी मन में आये तब कानून, संविधान, नीतियां बदल लेते है और सिर्फ आम आदमी के विरुद्ध इन्हें उपयोग करते है।

में आप सभी के भी विचार जानना चाहूँगा, की आज की कानून व्यवस्था हमारे देश के अपराधिक मनोविज्ञान से निपटने में कारगर है ? हमारा देश जो की प्रजातान्त्रिक देश है क्या कानून बनाने के समय हमारी राय नहीं ली जानी चाहिए ?

Friday, 16 August 2013

An open letter to Anna Hajare Team and AAP Members



Dear Anna,

I hope you are still thinking about betterment for India.
The movement you started 2 years back was nothing less than a historical phenomena in Indian democracy. You compelled Indian youth to come on roads, you ignited a new flame in our hearts, you showed that we can also be revolutionary youth. You just gave us a hope that we can fulfill our dream of doing something for nation by supporting you.
But all of sudden the very accused government ditched you and you surrendered. You just believed them as we did by voting them, and they did the same to you what they did to our nation, they cheated. The very sharp movement became blunt; you disappeared and kept a silence fast. Meanwhile all the flames were extinguished, all hopes of Indian Youth shattered and most worst happened was our belief on you deviated, your team was divided, aim was alienated. Government played their cards and we along with you felt a shocking defeat.
Now once again when you are trying to ignite the same fire with the same fuel it is not even heating, why because the fuel has expired.


Dear Arvind Kejriwal,

Congratulations on your decision of entering into the system and fighting to clean it.
You parted from Anna’s movement, because you understood that if system has to be cleaned you have to make your hands dirty. You can not stand in a corner and clean the muddiness. We appreciate your initial acts of disclosing misdeeds of big corporate houses, but again it was only a breaking news for us, we just watch news channel to see if something big has been revealed by you, we don’t bother to join your party because we have our own commitments, we have job, a family to look after and a small ambition for our future. You may say that we are selfish, yes we are, and you may say that we don’t want to do something for our nation, yes you can say, but truth is that now we don’t believe in Anna’s movement, same as most of us don’t believe in your success.

Now let me clear why we don’t believe in success of both of you in spite of having a pure ambition, a true heart and a determination to do best for nation, because you are fighting with demons and not common people and you are fighting without arms.

You are saying that all political parties are bad, none is honest, that is correct and we agree to your sentiments, but remember even when god had to eliminate the evil soul from earth, he had to acquire human nature, he had to follow the way devils were following, just to kill him, and this is written in all our mythological books (I said all, inclusive of all religion). Same if you want to eliminate one devil then you have to take help of another, first remove one with the help of other and then remove the evil spirit from the one who helped you. Don’t fight alone.


I hope you understood my signal.

Saturday, 27 July 2013

2014, General Election, India and We

We all are  waiting for 2014 general elections, which might be a biggest thing for Indian Political parties but for Indian Public (most of them) it will be like another bigger, fancier, loud and Multi-starrer Bollywood Masala flick which will provide them lots of entertainment.

When I was a kid I used to wait for 15 August and 26 January, not because to celebrate these biggest days of Indian republic but to get a chance either to sing a poetry on mike or at least to get a “motichoor ka Laddoo” after “Jhanda-Vandan” (Flag hoisting ceremony) in School. I never understood the words used by chief guests on that occasion even I couldn’t understand the importance of those days till I grown up to class 5th-6th standard.
The same scenario we can see today for most of our Adults in rural India when it comes to elections, for many of them it is just a chance to get either a free bottle of desi daroo and a blanket or a 500/1000 Rupee note at the time of elections, for some people it is a matter of showing their connections with political parties to their local neighborhood, and this time in 2014, for a bigger chunk of urban India it may be a hot topic to discuss on Social media or to watch News channel’s Exit polls.After elections when poll results are shown on TV, it will be same for them as watching a tennis match between Federer and Rafa where in one set Federer is leading and another set it is Rafa.

A very few responsible citizens will step out for a real change, for making their vote count, for making their voice to be listened, for making India a proud nation again. For all this they have to Vote, they have to go to their constituency and vote for a correct or I should better say a less wrong person.

According to NASSCOM we have around 3 Million professionals working in IT/ITES, and if majority of them are working away from their home, if we take a rough figure say 50% are away from their home (in actual it may be more), so my question is how many of them take leaves for voting and go to their home town and vote for right candidate?
I don’t think more than 1 or 2% of these people would do so. So out of 15 Lac persons only 20-25 thousand would go and vote and rest enjoy the TV chat shows. Here I am talking only for IT/ITES professionals where we have many such other fields.
The point is here not to blame our young friends for not voting but to make them aware that only their vote can bring a true change to this country, many educated, young and mature people are not using their voting power and it is being misused by local goons for fake voting and we get a wrong government just to accuse for high taxing, not developing, looting, scams, bad roads, price hikes, no infrastructure and no salary hikes.


So here I request you to take an oath that in next elections you will perform your duty and try hard to cast your vote, I must say again that only educated people can bring change to this nation, otherwise it will be sold to Congress again with a price of a desi daroo bottle and a Murga.

Please go and vote for good governance this time, and circulate my appeal to all our friends.

If you do not have a voter ID card then please register yourself for the same at the below link, before registering keep ready scanned copy of your class 10th Mark sheet ( or Birth Certificate for age proof), Residence proof and Photo.

Link to register for Voter ID:    http://www.firstpost.com/firstvote/ 

Share information about this link as much as possible, inspire others in your family, neighborhood, friend circle and at workplace for registering for Voter ID.



Image Courtesy: Internet 

JaiHind.

Friday, 14 June 2013

हिन्दुस्तान मे गूगल ग्लास

 इस संसार मे भगवान के अलावा एक और चीज़ है जो की सर्वव्यापक है, कण कण मे है, हर एक इंसान के विश्वास मे है, यहाँ तक की नास्तीको के दिलो मे भी उसीका राज है और  वो है “गूगल”.

गूगल सिर्फ़ एक कंपनी का नाम नही है बल्कि यह इस पापी दुनिया मे कुछ लोगो के लिए जीने का एक सहारा है….

इस मायावी संसार मे कई सारे अत्याचार हम निर्दोष प्राणियों पे होते है जिनसे बचाने मे गूगल की जो सहायता हमे मिलती है वो नज़रअंदाज नही की जा सकती है, कभी कभी तो मुझे लगता है की भगवान विष्णु का दसवां अवतार गूगल के रूप मे ही हुआ है|

हम आय टी प्रोफेशनल्स की प्रजाति मे कई लोग ऐसे होंगे जिनके लिए गूगल के बिना दिन गुज़ारना मानो किसी महिला के लिए बिना कोई सीरियल देखे दिन गुजारने के बराबर है|
चलिए गूगल की महिमा को आगे बढ़ाते हुए अब बात करते है गूगल के नये आविष्कार “गूगल ग्लास” की। 
अभी यह नया शिगूफ़ा गूगल ने बाज़ार मे पूरी तरह से उतारा भी नही की इस पर सारी दुनिया मे बहस शुरू हो गयी इसके नुकसान और फायदो के बारे मे… खैर छोड़िये यह तो हमारी दुनिया की फ़ितरत है|









आपको बता देना उचित होगा की गूगल ग्लास एक ऐसा औज़ार है जो की चश्मे के रूप मे एक चलता फिरता, अच्छे से काम करता कंप्यूटर, वीडियो रेकॉर्डर, कॅमरा, दूरबीन और भी ना जाने क्या क्या है …..
कहते है की इसे लगा के देखने से सामने जो नज़र आता है उसकी सारी जानकारी भी तुरंत डिस्‍प्‍ले हो जाती है और आप चाहे जिसका फोटो खींच सकते है उसकी रेकॉर्डिंग कर सकते है बिना सामने वाले को पता पड़े.....वाह भाई कमाल की चीज़ है, पर ज़रा गौर फरमाने की बात यह है की अगर यह चश्मा हिन्दुस्तान मे लॉंच हुआ तो इसके क्या क्या नफे-नुकसान होंगे सोचा है आपने? 
आईए आप और हम मिलके इन बातो पे चर्चा करते है दुनिया वाले तो कर ही रहे है फिर हम क्यों पीछे रहे|

सबसे बड़ा नुकसान तो बेचारे हमारे लैला-मजनुओ को होगा जो यहाँ वहाँ गाना गाते फिरते है “खुल्लम-खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनो”, पता नही कब, कहाँ, कौन रेकॉर्डिंग करके घर पहुचा दे, या “गूगल” के ही एक और औजार "यू ट्यूब" पे डाल दे। 


हिन्दुस्तान मे कुछ कुछ जगहो पे बड़े बड़े साइन बोर्ड्स पे छोटे छोटे अल्फाज़ो मे लिखा होता है “ यहा फोटोग्रफी करना सख़्त मना है”. गूगल ग्लास के आने के बाद “सख़्त” थोड़ा नर्म हो जाएगा, और अगर हमारे सेक्यूरिटी वाले संतरी लोगो को इस अनोखे चश्मे के बारे मे जैसे तैसे थोडा बहुत  पता भी होगा तो आपके बॅग्स, पर्स, पॉकेट्स के अलावा आपका चश्मा भी उतरवा लेंगे।  ऐसे मे बेचारे सीधे सादे से दिखने वाले  नज़र के चश्मे पहनने वाले लोगो को कितनी मुसीबतो का सामना करना पड़ेगा सोचिए जरा । 

जैसा की आप  जानते है यह चश्मा सामने वाले की सारी डीटेल्स डिसप्ले कर देता है, सोचिए हमारे रंगीन मिज़ाज प्यारेलाल साहिब अपनी ऑफीस वाली माशुका के साथ कॉफी पी रहे है, और कॉफी शॉप के नज़दीक से   भाभी जी  याने प्यारेलाल साहिब की बीवी गुजर रही हो और अचानक उनके चश्मे की स्क्रीन पे मेसेज आता है “Pyarelal is having coffee with Teena"……आगे का अंजाम तो आप खुद ही सोच सकते है, समझदार है|



सिर्फ़ प्यारेलाल ही नही किसी भी साधारण स्वस्थ पुरुष के साथ यह दुर्घटना घट सकती है, फर्ज़ कीजिए आपके चश्मे की रेकॉर्डिंग ऑन है और आपको पता नही है, आप मज़े से अपने आसपास के रंगीन नज़ारो को घूर घूर के देखे जा रहे है, पूरे स्वाद के साथ, चटखारे लेके, शाम को आपके चश्मे की वही रेकॉर्डिंग आपकी बीवी या माशुका देखती है फिर आपके चटखारो की आपको क्या कीमत चुकानी होगी अंदाज़ा लगाना ज्यादा मुश्किल नही है। 


यह भी हो सकता है की आप अपनी गर्ल फ्रेंड या बीवी के साथ मार्केट मे घूम रहे है और चश्मे की स्क्रीन पे सारे मार्केट की दुकानो पे जो “सेल” या ऑफर चल रहा है उसकी डीटेल्स धड़ा-धड़ आ रही है और  इधर  आपका क्रेडिट कार्ड धड़ा-धड़ स्वाइप हो रहा है..। 


कल्पना कीजिए आप अपनी गाड़ी से कही जा रहे है और अगले चौराहे पे ट्रॅफिक हवलदार आपको रोकता है और बदक़िस्मती से आपके पास गाड़ी का कोई ज़रूरी कागज नही है और हवलदार चढ़ बैठा, घबराने की कोई बात नही, आपने गूगल का जादुई चश्मा पहना है और रेकॉर्डिंग ऑन है, बस हवलदार साहिब मोल-भाव करना शुरू करते है, आप रेकॉर्डिंग को मोबाइल मे ट्रान्स्फर करके साहिब को दिखाते है और हवलदार जी  से सलामी ठुकवा के निकल पड़ते है, मुमकिन है साहब | 

ऐसे ही बेचारे ट्रॅफिक हवलदार, सरकारी ऑफिसर्स, क्लर्क्स, पोलीस वाले भैया लोग सब के सब हमारे चश्मे वाले भाइयों से कितना डरने लगेंगे सोचिए ज़रा…


शायद भ्रष्टाचार रूपी राक्षस से लड़ने मे भी गूगल का यह औजार हथियार बनके हमारे काम आजाए, क्या पता हमारे देश की एकॉनमी थोड़ी सुधार जाए इसीलिए तो मेने पहले ही कहा था की गूगल ही वो सूपर नॅचुरल शक्ति है जिसको हम भगवान के अवतार के रूप मे देख सकते है……

अब आप क्या सोचते है इस जादुई चश्मे के बारे मे??? 

Friday, 7 June 2013

World Environment Day Special ( विश्व पर्यावरण दिवस विशेष)


विश्व पर्यावरण दिवस  पुरे विश्व में धूमधाम से मनाया गया, कही कही तो दिवस की जगह पूरा  हफ्ता ही  पर्यावरण को बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाये जा रहे है।
हमारे ऑफिस में ही ले लीजिये, सप्ताह में २ दिन टिश्यू पेपर और डिस्पोजल गिलास पर पाबन्दी लगा दी गयी, हम बेचारे हिंदुस्तानी लोग तो जैसे तैसे पानी से धोके रुमाल से पोंछ के काम चला गए, पर बेचारे अमरीकन लोग जो २-४ दिन की विजिट पे आये थे  फस गए पर्यारण दिवस के चक्कर में । एक तो हमारे कैफेटेरिया का स्पेशल मसालेदार खाना जिसको खाके अच्छे खासे लोग यह गाना गाने लगते है " फायर ब्रिगेड मंगवा दे तू अंगारे पर है पिछवाडा"! उस खाने को खाके फिरंगी ( so called Clients) मेहमान तो यह गाना लूप में गाते है, और उपर से "No tissue paper and no disposal glasses available".
चलिए ऑफिस की बात यही ख़तम करते है और घर की बात करते है, विश्व पर्यावरण दिवस पर घर आये और बीवी से कहा की बहुत दिन हो गए कुछ लिखा नहीं चलो पर्वायारण पर कुछ लिखता हूँ, बस इतना सुना की बीवी ने अपना "Romantic Movie Channel" बदला और तुरंत "Action Movie channel" लगा के बोली, क्यों???? सब पर  कुछ न कुछ लिखो........ कभी मुझ पे भी कोई आर्टिकल या कविता लिखो।
बस हम अपना "Discovery Channel" म्यूट करके बैठे गए और अंत में बोले की चलो कुछ तुम पर ही कुछ लिखने का ट्राय करते है , तुम ही तो अभी मेरा पर्यावरण हो जो कुछ सालो में धरोहर बन जाओगी तो चलो तुम पर ही कुछ लिखते है।
बस इतना कहा और बैठे सोचने की क्या लिखे और जो कुछ भी दीमाग में आया वो कुछ इस तरह से था।






देश भक्ति

  देश भक्ति , यह वो हार्मोन है जो हम भारतियों की रगो में आम तौर पर स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस  या भारत पाकिस्तान के मैच वाले दिन ख...