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Thursday 12 September 2013

Future of India....भारत का भविष्य




दोस्तो आज कल जहा देखो वहाँ राजनैतिंक चर्चाएँ होती दिखाई दे रही है, हर कोई कॉंग्रेस, BJP की बातें करता मिलता है, लोगो को राजनीति मे इतनी रूचि पहले कभी नही हुई होगी जितनी अब हो रही है|
आजकल तो बच्चे भी चोर-पोलीस का खेल ना खेल के के कॉंग्रेस-बीजेपी का खेल खेलने लगे है.

अभी कुछ दीनो पहले मेरे 7 साल के भतीजे ने मुझ से पुछा की चाचा अगले साल चुनाव है और अगर फिर से कॉंग्रेस जीत गयी तो हमारा प्रधान मंत्री हमारे जैसा होगा, है ना? मेने पूछा बेटा वो कैसे? तुम्हारे जैसा कैसा होगा? तो वो तपाक से बोला की हमारी टीचर कहती है की अगर कॉंग्रेस जीती तो राहुल गाँधी हमारा प्रधानमंत्री होगा और वो बिल्कुल हमारे जैसा है, उसे भी पोगो चेनल पे छोटा भीम देखना अच्छा लगता है, वो उसकी मम्मी की आगे पीछे ही घूमता रहता है, मम्मी के मना करने पर भी बाहर दूसरे लोगो का दिया हुआ खाना खा लेता है, इसलिए वो हमारे जैसा ही हुआ ना…..??
 में क्या कहता, मेने कहा हाँ बेटा, वो तुम्हारे जैसा ही है|
अब उस नन्हे से बचे को कैसे कहे की वो तुमसे भी गया गुज़रा है….
परंतु इस बात ने मुझे यह सोचने पे विवश कर दिया की अगर सच मे अगली सरकार फिर से कॉंग्रेस की बन गयी ( जो की होना संभव है), और सच मे राहुल गाँधी प्रधानमंत्री बन गया तो देश का क्या द्रश्य होगा??



सबसे पहले तो जैसे माँ ने उसका सपना पूरा किया फुड सेक्यूरिटी बिल लाकर, वैसे बेटा अपना सपना पूरा करेगा एक बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना, “वाइफ सेक्यूरिटी बिल” लाकर|
जी हाँ, देखिए अब यह लोग कहते है की देश मे 67 करोड़ जनता ऐसी है जिसे पेट भर खाना नही मिलता तो यह लोग फुड सेक्यूरिटी बिल ले आए, अब देश मे अगर लिंग अनुपात की चर्चा करे तो यह भी बहुत कम है 1000 पुरुषो पर 940 महिलाएँ, याने की  6% पुरुष बेचारे ऐसे है जो विदाउट वाइफ बिताते है अपनी लाइफ.
बेचारे राहुल गाँधी जैसे ही कितने पुरुष होंगे जो 40 की उमर पार कर गये परंतु अब तक वाइफ नही मिली, इसीलिए राहुल बाबा का सबसे बड़ा सपना ये ही है, संसद मे वाइफ सेक्यूरिटी बिल को कैसे भी करके पास करवाना, ताकि उनके जैसे कई पुरुष जो बगैर वाइफ के जीवन बसर कर रहे है उन्हे भी घर बसाने का मौका मिले.
अब आप पूछेंगे की  इस बिल को लागू( इंप्लिमेंट) कैसे करेंगे, तो मित्रो जैसे फुड सेक्यूरिटी बिल लागू होगा वैसे ही यह भी हो जाएगा.
ज़्यादा कुछ नही कर पाए तो वेट्रेस इम्पोर्ट करवा लेंगे इटली से…..


राहुल बाबा के दीमाग मे और भी काई योजनाएँ कुलबुला रही है जिन्हे वो जल्द से जल्द लागू करवाना चाहते है जैसे की:
१. दूरदर्शन को बंद कर के पोगो चैनल को राष्ट्रीय चैनल घोषित किया जाए|
२. कौन बनेगा करोड़पती मे सारे सवाल वही पूछे जाए जिनका जवाब राहुल बाबा को पता हो, मतलब KBC के प्रतियोगियों और MTV Roadies के प्रतियोगियों मे कोई अंतर नही रहेगा|
३.हमारे देश मे बिकने वाले सारे शब्दकोषों ( Dictionaries) से भ्रष्टाचार, ग़रीबी, अपराध, बलात्कार, आतंकवाद और काला पैसा जैसे शब्दो को हटाया जाएगा, और अगले 15 August के भाषण मे दावा किया जाएगा की हमने ऐसी तमाम चीज़ो को देश से हटा दिया है जो देश की तरक्की मे बाधक है|
४. पप्पू नाम के लोगो के लिए विशेष अवॉर्ड घोषित किए जाएँगे, अवॉर्ड लेने के लिए आपको अपनी कक्षा 5वीं की मारक्शीट दिखानी पड़ेगी जिसपे आपका नाम पप्पू अंकित होना चाहिए|
५. विशेष क़ानून बनाया जाएगा उन लोगो के लिए जो फ़ेसबुक पर पप्पू जोक्स शेर करते है|
६. राहुल बाबा को मोदी से बहुत डर लगता है, वो सोच रहे है की अगर प्रधानमंत्री बन गया तो सबसे पहले मोदी से कैसे निपटा जाए, उसके लिए मास्टर प्लान है राहुल के पास, वो गुजरात को एक अलग “देश” का दर्जा देने वाले है और फिर मोदी को इंडिया का वीज़ा नही देंगे, इससे कॉंग्रेस की 2 बड़ी समस्याएँ हल हो जाएगी, एक तो पाकिस्तान की आधी बॉर्डर गुजरात शेयर करेगा, और दूसरी बड़ी समस्या मोदी|
बहुत ही क्रांतिकारी सोच है भाई,.... नही?
७. पहली एप्रिल को विश्व पप्पू दिवस मनाया जाएगा|
१०. पप्पू भाई साब यह भी सोच रहे है की सारे उत्तर-पूर्वी राज्यो (नॉर्थ-ईस्ट स्टेट्स) को Join कर दिया जाए और एक संयुक्त राज्य बना दिया जाए , आप कहेंगे की कितना नेक ख़याल है बंदे का, पर इसके पीछे कारण यह है की इनको सारे स्टेट्स का नाम तक नही पता है, कोई पूछ ही ले तो क्या कहेंगे??

ऐसे ही और कई नेक ख़याल इनके दिल मे घर कर बैठे है जो यह देश के राजकुमार इस देश मे इंप्लिमेंट करना चाहते है…

कुछ आपको पता हो तो बताईए !!
...........................................................................................................................Image source: Internet

Monday 2 September 2013

भारत की न्याय प्रणाली


कुछ दीनो पहले मेने एक हिन्दी फ़िल्म देखी थी “स्पेशल 26”, जिसमे असली वाली CID के मनोज वाजपयी और लूट जाने वाले जौहरी सेठ के बीच एक संवाद है जिसमे मनोज वाजपयी कहते है की “ सेठ जी, हमारे देश मे जुर्म सोचने की सज़ा नही मिलती, जुर्म करने की मिलती है और वो भी तब जब सबूत हो”


यह संवाद सुन के मेरे मन मे आया की अगर ऐसा सच मे होता की इंसान के अपराध  सोचने भर से ही उसको पकड़ लिया जाता और सज़ा सुना दी जाती तो कैसा होता हमारा देश?

वैसे आप कहेंगे की क्या फालतू की बकवास है, ऐसा कैसे संभव हो सकता है? तो दोस्तो, ऐसा हो सकता है, सोचिए अगर हमारे यहाँ हर इंसान के पैदा होते ही उसके दीमाग मे एक चिप लोड कर दें जो की उसके सोचने समझने की प्रणाली(nervous system) को नियंत्रित करती हो, चिप के प्रोग्रामिंग IPC की धाराओं के हिसाब से इस तरह हो की अगर व्यक्ति ने सोचा की में फलाँ फलाँ व्यक्ति को मार दूँगा तो तुरंत धारा 302 वाला signal activate हो जाएगा और निकटतम पोलीस स्टेशन पर उस व्यक्ति के ID नंबर के साथ अलार्म बज जाएगा, बस पोलीस वाले अपना काम शुरू कर देंगे और अपराधी सोच वाला व्यक्ति  पुलिस  की निगरानी में आ जायेगा।
विज्ञान  के इस युग मे सब कुछ संभव है, तो ऐसा भी हो सकता है एक दिन.
तो पाठकों (readers)  सोचिए की अगर ऐसा हो जाए, की इंसान के अपराध सोचने भर से ही उसके मोबाइल फोन पर उसको  चेतावनी मिल जाए की “एक बार अपराध सोच तो लिया है अब दोबारा से मत सोचना”. ऐसे मे हमारे देश मे बढ़ते हुए कितने अपराध नियंत्रित हो जाएँगे?

किंतु एक समस्या भी है,  कई  सारे निर्दोष लोग  बे-वजह फँस जाएँगे, जो बेचारे सिर्फ़ अपने दिल की खुशी के लिए किसी अपराध के बारे मे सोचते है, करते कभी नही,, जैसे आज के परिद्रश्य(Situation) की बात करे और  ऐसी प्रणाली प्रभावी हो जाए तो देश की आधी से ज़्यादा जनसंख्या “गाँधी” परिवार के विरुद्ध  "सोचने" के अपराध मे जेल मे होगी, ये ही नही, हमारे देश के कई मेधावी (Brilliant) अभियांत्रिकी (Engineering) स्वस्थ युवा पुरुष की श्रेणी मे आने वाले छात्र जो बेचारे सिर्फ़ सोच ही सकते है, वो सबसे ख़तरनाक धारा के लपेटे मे आ जाएँगे ( धारा 376).

इस अपराध सूचक प्रणाली का असर सीधा हमारे देश के नागरिको की सोच पर होगा और जब सोच बदलेगी तो देश तो अपने आप बदल जाएगा| किंतु फिर एक समस्या है, ऐसे कई अपराध सूचक यंत्र तो आज भी देश मे है, आज भी  देश मे कठोर कानून व्यवस्था है। सुचना का अधिकार है, CBI है, दुनिया भर की एजेंसीज है,
परंतु जो सबसे ज़्यादा बड़े अपराधी है, हमारे नेता गण जो की अपने आप को किसी भी अपराध नियंत्रण प्रणाली से ऊपर समझते है वो यहा भी बच निकलेंगे. और दूसरी समस्या यह है की आज की हमारी पोलीस जो की अपराध “करने” वालो को ही नही पकड़ सकती, और पकड़ भी ले तो उन्हे सज़ा नही दिला सकती तो सोचिए वो पोलीस अपराध “सोचने” वालो को क्या खाक पकड़ेगी…..

अभी के ताजा उदाहरण (Delhi Gang Rape Juvenile verdict, Aasaram Bapu case)इस बात के प्रमाण है की हमारी न्याय प्रणाली कितनी खोखली है, हमारा संविधान जो की कई दुसरे देशो के संविधान का Copy Paste है कितना कमजोर है, हमारे देश में अगर ताकतवर है तो बस राजनैतिक लोग जो जब भी मन में आये तब कानून, संविधान, नीतियां बदल लेते है और सिर्फ आम आदमी के विरुद्ध इन्हें उपयोग करते है।

में आप सभी के भी विचार जानना चाहूँगा, की आज की कानून व्यवस्था हमारे देश के अपराधिक मनोविज्ञान से निपटने में कारगर है ? हमारा देश जो की प्रजातान्त्रिक देश है क्या कानून बनाने के समय हमारी राय नहीं ली जानी चाहिए ?

Friday 14 June 2013

हिन्दुस्तान मे गूगल ग्लास

 इस संसार मे भगवान के अलावा एक और चीज़ है जो की सर्वव्यापक है, कण कण मे है, हर एक इंसान के विश्वास मे है, यहाँ तक की नास्तीको के दिलो मे भी उसीका राज है और  वो है “गूगल”.

गूगल सिर्फ़ एक कंपनी का नाम नही है बल्कि यह इस पापी दुनिया मे कुछ लोगो के लिए जीने का एक सहारा है….

इस मायावी संसार मे कई सारे अत्याचार हम निर्दोष प्राणियों पे होते है जिनसे बचाने मे गूगल की जो सहायता हमे मिलती है वो नज़रअंदाज नही की जा सकती है, कभी कभी तो मुझे लगता है की भगवान विष्णु का दसवां अवतार गूगल के रूप मे ही हुआ है|

हम आय टी प्रोफेशनल्स की प्रजाति मे कई लोग ऐसे होंगे जिनके लिए गूगल के बिना दिन गुज़ारना मानो किसी महिला के लिए बिना कोई सीरियल देखे दिन गुजारने के बराबर है|
चलिए गूगल की महिमा को आगे बढ़ाते हुए अब बात करते है गूगल के नये आविष्कार “गूगल ग्लास” की। 
अभी यह नया शिगूफ़ा गूगल ने बाज़ार मे पूरी तरह से उतारा भी नही की इस पर सारी दुनिया मे बहस शुरू हो गयी इसके नुकसान और फायदो के बारे मे… खैर छोड़िये यह तो हमारी दुनिया की फ़ितरत है|









आपको बता देना उचित होगा की गूगल ग्लास एक ऐसा औज़ार है जो की चश्मे के रूप मे एक चलता फिरता, अच्छे से काम करता कंप्यूटर, वीडियो रेकॉर्डर, कॅमरा, दूरबीन और भी ना जाने क्या क्या है …..
कहते है की इसे लगा के देखने से सामने जो नज़र आता है उसकी सारी जानकारी भी तुरंत डिस्‍प्‍ले हो जाती है और आप चाहे जिसका फोटो खींच सकते है उसकी रेकॉर्डिंग कर सकते है बिना सामने वाले को पता पड़े.....वाह भाई कमाल की चीज़ है, पर ज़रा गौर फरमाने की बात यह है की अगर यह चश्मा हिन्दुस्तान मे लॉंच हुआ तो इसके क्या क्या नफे-नुकसान होंगे सोचा है आपने? 
आईए आप और हम मिलके इन बातो पे चर्चा करते है दुनिया वाले तो कर ही रहे है फिर हम क्यों पीछे रहे|

सबसे बड़ा नुकसान तो बेचारे हमारे लैला-मजनुओ को होगा जो यहाँ वहाँ गाना गाते फिरते है “खुल्लम-खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनो”, पता नही कब, कहाँ, कौन रेकॉर्डिंग करके घर पहुचा दे, या “गूगल” के ही एक और औजार "यू ट्यूब" पे डाल दे। 


हिन्दुस्तान मे कुछ कुछ जगहो पे बड़े बड़े साइन बोर्ड्स पे छोटे छोटे अल्फाज़ो मे लिखा होता है “ यहा फोटोग्रफी करना सख़्त मना है”. गूगल ग्लास के आने के बाद “सख़्त” थोड़ा नर्म हो जाएगा, और अगर हमारे सेक्यूरिटी वाले संतरी लोगो को इस अनोखे चश्मे के बारे मे जैसे तैसे थोडा बहुत  पता भी होगा तो आपके बॅग्स, पर्स, पॉकेट्स के अलावा आपका चश्मा भी उतरवा लेंगे।  ऐसे मे बेचारे सीधे सादे से दिखने वाले  नज़र के चश्मे पहनने वाले लोगो को कितनी मुसीबतो का सामना करना पड़ेगा सोचिए जरा । 

जैसा की आप  जानते है यह चश्मा सामने वाले की सारी डीटेल्स डिसप्ले कर देता है, सोचिए हमारे रंगीन मिज़ाज प्यारेलाल साहिब अपनी ऑफीस वाली माशुका के साथ कॉफी पी रहे है, और कॉफी शॉप के नज़दीक से   भाभी जी  याने प्यारेलाल साहिब की बीवी गुजर रही हो और अचानक उनके चश्मे की स्क्रीन पे मेसेज आता है “Pyarelal is having coffee with Teena"……आगे का अंजाम तो आप खुद ही सोच सकते है, समझदार है|



सिर्फ़ प्यारेलाल ही नही किसी भी साधारण स्वस्थ पुरुष के साथ यह दुर्घटना घट सकती है, फर्ज़ कीजिए आपके चश्मे की रेकॉर्डिंग ऑन है और आपको पता नही है, आप मज़े से अपने आसपास के रंगीन नज़ारो को घूर घूर के देखे जा रहे है, पूरे स्वाद के साथ, चटखारे लेके, शाम को आपके चश्मे की वही रेकॉर्डिंग आपकी बीवी या माशुका देखती है फिर आपके चटखारो की आपको क्या कीमत चुकानी होगी अंदाज़ा लगाना ज्यादा मुश्किल नही है। 


यह भी हो सकता है की आप अपनी गर्ल फ्रेंड या बीवी के साथ मार्केट मे घूम रहे है और चश्मे की स्क्रीन पे सारे मार्केट की दुकानो पे जो “सेल” या ऑफर चल रहा है उसकी डीटेल्स धड़ा-धड़ आ रही है और  इधर  आपका क्रेडिट कार्ड धड़ा-धड़ स्वाइप हो रहा है..। 


कल्पना कीजिए आप अपनी गाड़ी से कही जा रहे है और अगले चौराहे पे ट्रॅफिक हवलदार आपको रोकता है और बदक़िस्मती से आपके पास गाड़ी का कोई ज़रूरी कागज नही है और हवलदार चढ़ बैठा, घबराने की कोई बात नही, आपने गूगल का जादुई चश्मा पहना है और रेकॉर्डिंग ऑन है, बस हवलदार साहिब मोल-भाव करना शुरू करते है, आप रेकॉर्डिंग को मोबाइल मे ट्रान्स्फर करके साहिब को दिखाते है और हवलदार जी  से सलामी ठुकवा के निकल पड़ते है, मुमकिन है साहब | 

ऐसे ही बेचारे ट्रॅफिक हवलदार, सरकारी ऑफिसर्स, क्लर्क्स, पोलीस वाले भैया लोग सब के सब हमारे चश्मे वाले भाइयों से कितना डरने लगेंगे सोचिए ज़रा…


शायद भ्रष्टाचार रूपी राक्षस से लड़ने मे भी गूगल का यह औजार हथियार बनके हमारे काम आजाए, क्या पता हमारे देश की एकॉनमी थोड़ी सुधार जाए इसीलिए तो मेने पहले ही कहा था की गूगल ही वो सूपर नॅचुरल शक्ति है जिसको हम भगवान के अवतार के रूप मे देख सकते है……

अब आप क्या सोचते है इस जादुई चश्मे के बारे मे??? 

Wednesday 26 December 2012

IT Serviceman

IT सर्वीसेज़  मे काम करने वालो का जीवन बड़ा ही मस्तिभरा, ऊर्जायुक्त और रंगीन होता है, ये लोग बड़े ही मस्तीखोर, पार्टी करने वाले और बहुत पैसे कमाने वाले होते है, IT वालो को क्राउड भी बड़ा हसीन मिलता है साथ काम करने को........

 यह सब बातें में नही बोल रहा,  वो लोग बोलते है जो IT में  नही है.....और  थोड़ी बहुत बातें virtually True भी है,

 पर रंगीन जीवन???? ....मेनफ्रेम्स और यूनिक्स पे काम करने वालो से पुछो कितना रंगीन होता है? उन लोगो को तो सपने भी काली स्क्रीन की तरह काले काले ही आते है। 

मस्तिभरा जीवन ?? ...नाइट शिफ्ट मे काम करने वालो से पुछो तो सही की रातें कितनी मस्तिभरी और हसीन गुजरती है उनकी, सारी रात  कंप्यूटर के सामने ऊँघते  रहो  और अगर कोई समस्या आ जाये तो अगला दिन भी गुले-गुलज़ार हो जाता है , 

और रही बात बहुत सारे पैसे कमाने की तो भाई सच है, पैसे तो हम अपने कॉलेज जमाने की पॉकेट मनी की तुलना मे कुछ ज़्यादा ही कमाते है पर इतना भी ज़्यादा नही की मेट्रो सिटी के खर्चो को सहन कर पाए, कोई कुँवारा  IT प्रोफेशनल बेचारा 10 बार सोचता है शादी करने से पहले, की घर चला पाऊँगा या नही, अभी तक Shared  मे रहता था तो किराया पूरा पड़ जाता था अब अकेले देना पड़ेगा, इसी तरह की हज़ारो बातें सोचनी पड़ती है......तब जाके कही शादी जैसे बहुत बड़े एडवेंचर के लिए अपना Mindset  बना पाता  है ...

 अब आख़िरी बात हसीन लोगो के साथ काम करने की तो वो तो भाई कंपनी वाइज़, सिटी वाइज़ और प्रॉजेक्ट वाइज़ सीन बदलता रहता है, अधिकांश ऐसा होता है की आप की टीम मे अगर कोई हसीन बाला है तो आपके पास इतना समय ही नही होता की आप नज़रे उठा के उनके सौदर्य की मदिरा को अपनी आँखो के प्याले मे डाल सके, असंभव सा प्रतीत होगा... और अगर ऐसा है की आप के पास कुछ ज़्यादा ही समय है तो भी चक्षुओ के प्याले खाली ही रहेंगे क्योंकि आपका भाग्य ही कुछ इस तरह की क़लम और स्याही से लिखा गया है की आप के नैनो को सिर्फ़ १४" का मॉनिटर ही नसीब होगा और eye  drops की ४ बूंदे........... वैसे हर जगह हर परिस्थिति मे अपवाद(Exceptions) तो आपको मिलते ही रहेंगे.

बहरहाल बात यहाँ करते है पैसे की, काम की, तो बेचारा IT सर्विस वाला बंदा कभी भी एक जगह खुश नही रह सकता, आजकल पत्नीव्रता पति नही मिलते तो कंपनी व्रता  employees कहा मिलेंगे, एक कंपनी से दूसरी मे, दूसरी से तीसरी मे, बेचारे का जीवन बंजारो की तरह होता है, हर बार बेहतर क्राउड की उम्मीद लिए, बेहतर मैनेजर  की उम्मीद लिए, या थोड़े और अच्छे क्वालिटी के काम की उम्मीद लिए बदलते रहो, कंपनी बदलने का ऊपरी कारण कोई भी हो, मूलभूत कारण तो पैसा ही होता है... बिल्कुल भट्ट कॅंप की मूवीस की तरह, स्टोरी लाइन कुछ भी हो, कलाकार कोई भी हो, बेसिक थीम सेक्स ही होती है....



 जब एक लड़की अपने पुराने  बॉयफ्रेंड  को “डंप” करके नया बनती है तो इसका मतलब यह नही होता की पुराना सब ख़तम, इन्स्टेंट्ली तो नही कम से कम, और आगे भी जीवन भर पुराने से नये की तुलना होती रहती है जब तक की नया वाला फिर पुराना नही बन जाता,  यही हाल कंपनी चेंज करने पर होता है, जब हम एक कंपनी बदल के दूसरी मे आते है तो भी हमें चैन नही, यहाँ आकर के भी पुरानी वाली को भूलते नही ।

मनुष्य का दीमाग बड़ा ही विचित्र है,  .....अब तुलना किए बगैर तो रहा नही जाता, वहाँ ऐसा होता था, यहाँ ऐसा होता है, वहाँ तो यह भी मिलता था यहाँ नही मिलता, वग़ैरह वग़ैरह...

बेहतरी की तलाश मे हम बस भटकते रहते है ...... अपना आशियाना तक नही बसा पाते.....और सच तो यह है की ऐसा कुछ Exist  ही नही करता है बाहरी दुनिया मे जिसे हम बेहतर कह सके, जो भी है अपने भीतर की दुनियाँ मे है, बस खूद को एक बेहतर इंसान बनाने की कोशिश कर लो, जीवन खूद-ब-खूद बेहतर होता चला जाएगा ......

कृपया ध्यान रहे: उपर लिखी गयी सारी बातें एक नर मानव के दृष्टिकोण से लिखी गयी है, हो सकता है मादा मानव का दृष्टिकोण थोड़ा अलग हो....

देश भक्ति

  देश भक्ति , यह वो हार्मोन है जो हम भारतियों की रगो में आम तौर पर स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस  या भारत पाकिस्तान के मैच वाले दिन ख...