आईटी सर्विसेज में काम करते हुए आप इस क्षेत्र के बारे में लिखे/बोले बिना रह ही नहीं सकते, जैसे मैं पहले भी आईटी सर्विसमैन और इसके जीवन में आने वाले कुछ मकाम के बारे में लिख चूका हूँ, अगर आपने नहीं पढ़ा हो तो अभी पढ़ सकते है यहाँ क्लिक करके !
वैसे आप फ़िल्म / टीवी तो देखते ही होंगे, और सोचते होंगे कि यह टीवी कलाकार और फ़िल्म स्टार कि लाइफ भी कितनी सही है, लेकिन आपको एक बात बताउ ?? इनमे और हम IT वालो के काम में कुछ ज्यादा अंतर नहीं होता बस यह लोग कुछ ज्यादा टैक्स भरते है (करोड़ो में ) और हम लोग थोडा कम (हजारो में )।
आप सोच रहे होंगे फालतू कि बकवास करता है, काम और कमाई दोनों ही अलग है इनकी हमसे, हैना ऐसा ही सोच रहे होंगे ना ? चलिए कोई बात नहीं, वो क्या है कि हमे कोई बात जब एक्सप्लेन करके न बतायी जाये तो वो बकवास ही लगती है, हालांकि इसकी कोई ग्यारंटी नहीं है कि एक्सप्लेन करने के बाद भी बकवास न लगे, मसलन कोई क्लाइंट छोटा सा इ-मेल लिखे किसी issue के लिए तो हम उसको तुरंत reply करते है कि "kindly elaborate, and give more details about the issue " और जब वो डिटेल में मेल लिखता है तो भी हम कहते है कि "क्या बकवास है ?"
चलिए फिर आते है टीवी/फ़िल्म कलाकार और आईटी सर्विसमैन कि जिंदगी और उनके काम कि समानता पर , आपको एक्सप्लेन करता हूँ कि क्या समानता है दोनों के कामो में।
आईटी में अगर आप हमेशा किसी न किसी इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट्स पर ही काम करते है तो आप अपने आप को किसी फ़िल्म कलाकार कि तरह समझ सकते है, क्योंकि जैसे फिल्मो कि शुटिंग कुछ ही महीनो में कम्पलीट हो जाती है वैसे ही इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट्स में होता है , कुछ ही महीनो में कोडिंग कम्पलीट। फिर फिल्मो में एडिटिंग, डबिंग का दौर चलता है वैसे ही प्रोजेक्ट में UT, UAT और बग फिक्सिंग का दौर चलता है, फिर एक फ़िल्म रिलीज़ हो जाती है और इधर प्रोजेक्ट कि भी रिलीज़ हो जाती है। फिर हीरो किसी और फ़िल्म कि शूटिंग में व्यस्त हो जाता है और आप किसी और प्रोजेक्ट या Module कि कोडिंग में व्यस्त हो जाते है, कभी कभी फिल्मो कि पार्टीज कि तरह प्रोजेक्ट्स कि भी पार्टीज होती है, तो भाई हुआ न सेम टू सेम, बन गए न आप हीरो।
अब आप कहेंगे कि आईटी सर्विसेज में हर कोई इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट्स में काम नहीं करता यहाँ सपोर्ट और मैन्टेनन्स के भी प्रोजेक्ट्स होते है जो कुछ महीनो के नहीं अपितु कई वर्षो तक के होते है, तो महाशय अगर आप किसी ऐसे प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहे है जो सालो साल से चले आ रहे है, जहाँ सालो साल से एक जैसा काम काज, इक्का दुक्का लोग बदलते है परन्तु बाकी टीम वैसी कि वैसी है, तो आप अपने आप को कम से कम किसी टीवी आर्टिस्ट कि तरह तो समझ ही सकते है। टीवी सिरिअल्स बिलकुल आईटी के सपोर्ट प्रोजेक्ट कि तरह होते है बहुत सारे, बहुत दिनों तक चलने वाले और सबकी एक जैसी कहानी। टीवी एक्टर हमेशा चाहता है कि वो कभी फिल्मो में भी काम करे वैसे ही सपोर्ट के प्रोजेक्ट में काम करने वाला इंजीनियर हमेशा सोचता है कि कभी वो भी इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट में काम करे। जैसे टीवी सिरिअल्स में हर त्यौहार को बड़ी धूम धाम से भारी भरकम costumes के साथ मनाया जाता है, ठीक वैसे ही मैन्टेनन्स प्रोजेक्ट्स में हर त्यौहार पर ट्रेडिशनल डे मनाया जाता है। आईटी सपोर्ट प्रोजेक्ट्स में बॉस और एम्प्लोयी का झगड़ा वैसा ही होता है जैसा सिरिअल्स में सास बहु का, सिरिअल्स में २ औरतें मिलकर जैसी गॉसिप्स करती दिखाई देती है बिलकुल वैसी ही गॉसिप्स एक ही प्रोजेक्ट में काम करने वाली २ लड़कियां करती हुयी मिलेगी।
और जैसे इम्प्लीमेंटेशन में काम करने वाला इंजीनियर कभी न कभी तो सपोर्ट के प्रोजेक्ट्स में आता ही है भले ही मेनेजर बनकर वैसे ही बड़े से बड़ा फ़िल्म कलाकार कभी न कभी टीवी पर आता ही है भले ही होस्ट बनकर। और इसका विपरीत भी होता है बहुत से काबिल और बड़े एक्टर टीवी कि दुनिया से आये है वैसे ही बहुत सारे इंजीनियर सपोर्ट प्रोजेक्ट्स से निकल कर बड़े बड़े इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट्स में आये है.
और जो इंजीनियर अपने इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट को इस तरह से बर्बाद या बिगाड़ देते है की उन्हे दूसरा मौका नही मिलता और कोई और उन्हे किसी इंप्लिमेंटेशन प्रॉजेक्ट मे लेने को तैयार नही होता तो उनके लिए भी कुछ सपोर्ट प्रॉजेक्ट रहते ही है कंपनी में बिल्कुल वैसे ही जैसे टीवी पर बिगबोस !!!
तो देखा आपने, आईटी सर्विसेज और फ़िल्म/टीवी कि दुनिया एक जैसी ही है , हमे भी अपने आप को किसी सलिब्रिटी से कम नहीं समझना चाहिए।
तो बोलो सब मिलके_ _ _ लाइट्स - कैमरा - एक्शन - कट -कॉपी - पेस्ट
आपका क्या विचार है , या अब भी कहेंगे कि "क्या बकवास कर रहा है ?"
-------------------------------------------------------------फ़ोटो इंटरनेट के सौजन्य से
वैसे आप फ़िल्म / टीवी तो देखते ही होंगे, और सोचते होंगे कि यह टीवी कलाकार और फ़िल्म स्टार कि लाइफ भी कितनी सही है, लेकिन आपको एक बात बताउ ?? इनमे और हम IT वालो के काम में कुछ ज्यादा अंतर नहीं होता बस यह लोग कुछ ज्यादा टैक्स भरते है (करोड़ो में ) और हम लोग थोडा कम (हजारो में )।
आप सोच रहे होंगे फालतू कि बकवास करता है, काम और कमाई दोनों ही अलग है इनकी हमसे, हैना ऐसा ही सोच रहे होंगे ना ? चलिए कोई बात नहीं, वो क्या है कि हमे कोई बात जब एक्सप्लेन करके न बतायी जाये तो वो बकवास ही लगती है, हालांकि इसकी कोई ग्यारंटी नहीं है कि एक्सप्लेन करने के बाद भी बकवास न लगे, मसलन कोई क्लाइंट छोटा सा इ-मेल लिखे किसी issue के लिए तो हम उसको तुरंत reply करते है कि "kindly elaborate, and give more details about the issue " और जब वो डिटेल में मेल लिखता है तो भी हम कहते है कि "क्या बकवास है ?"
चलिए फिर आते है टीवी/फ़िल्म कलाकार और आईटी सर्विसमैन कि जिंदगी और उनके काम कि समानता पर , आपको एक्सप्लेन करता हूँ कि क्या समानता है दोनों के कामो में।
आईटी में अगर आप हमेशा किसी न किसी इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट्स पर ही काम करते है तो आप अपने आप को किसी फ़िल्म कलाकार कि तरह समझ सकते है, क्योंकि जैसे फिल्मो कि शुटिंग कुछ ही महीनो में कम्पलीट हो जाती है वैसे ही इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट्स में होता है , कुछ ही महीनो में कोडिंग कम्पलीट। फिर फिल्मो में एडिटिंग, डबिंग का दौर चलता है वैसे ही प्रोजेक्ट में UT, UAT और बग फिक्सिंग का दौर चलता है, फिर एक फ़िल्म रिलीज़ हो जाती है और इधर प्रोजेक्ट कि भी रिलीज़ हो जाती है। फिर हीरो किसी और फ़िल्म कि शूटिंग में व्यस्त हो जाता है और आप किसी और प्रोजेक्ट या Module कि कोडिंग में व्यस्त हो जाते है, कभी कभी फिल्मो कि पार्टीज कि तरह प्रोजेक्ट्स कि भी पार्टीज होती है, तो भाई हुआ न सेम टू सेम, बन गए न आप हीरो।
अब आप कहेंगे कि आईटी सर्विसेज में हर कोई इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट्स में काम नहीं करता यहाँ सपोर्ट और मैन्टेनन्स के भी प्रोजेक्ट्स होते है जो कुछ महीनो के नहीं अपितु कई वर्षो तक के होते है, तो महाशय अगर आप किसी ऐसे प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहे है जो सालो साल से चले आ रहे है, जहाँ सालो साल से एक जैसा काम काज, इक्का दुक्का लोग बदलते है परन्तु बाकी टीम वैसी कि वैसी है, तो आप अपने आप को कम से कम किसी टीवी आर्टिस्ट कि तरह तो समझ ही सकते है। टीवी सिरिअल्स बिलकुल आईटी के सपोर्ट प्रोजेक्ट कि तरह होते है बहुत सारे, बहुत दिनों तक चलने वाले और सबकी एक जैसी कहानी। टीवी एक्टर हमेशा चाहता है कि वो कभी फिल्मो में भी काम करे वैसे ही सपोर्ट के प्रोजेक्ट में काम करने वाला इंजीनियर हमेशा सोचता है कि कभी वो भी इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट में काम करे। जैसे टीवी सिरिअल्स में हर त्यौहार को बड़ी धूम धाम से भारी भरकम costumes के साथ मनाया जाता है, ठीक वैसे ही मैन्टेनन्स प्रोजेक्ट्स में हर त्यौहार पर ट्रेडिशनल डे मनाया जाता है। आईटी सपोर्ट प्रोजेक्ट्स में बॉस और एम्प्लोयी का झगड़ा वैसा ही होता है जैसा सिरिअल्स में सास बहु का, सिरिअल्स में २ औरतें मिलकर जैसी गॉसिप्स करती दिखाई देती है बिलकुल वैसी ही गॉसिप्स एक ही प्रोजेक्ट में काम करने वाली २ लड़कियां करती हुयी मिलेगी।
और जैसे इम्प्लीमेंटेशन में काम करने वाला इंजीनियर कभी न कभी तो सपोर्ट के प्रोजेक्ट्स में आता ही है भले ही मेनेजर बनकर वैसे ही बड़े से बड़ा फ़िल्म कलाकार कभी न कभी टीवी पर आता ही है भले ही होस्ट बनकर। और इसका विपरीत भी होता है बहुत से काबिल और बड़े एक्टर टीवी कि दुनिया से आये है वैसे ही बहुत सारे इंजीनियर सपोर्ट प्रोजेक्ट्स से निकल कर बड़े बड़े इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट्स में आये है.
और जो इंजीनियर अपने इम्प्लीमेंटेशन प्रोजेक्ट को इस तरह से बर्बाद या बिगाड़ देते है की उन्हे दूसरा मौका नही मिलता और कोई और उन्हे किसी इंप्लिमेंटेशन प्रॉजेक्ट मे लेने को तैयार नही होता तो उनके लिए भी कुछ सपोर्ट प्रॉजेक्ट रहते ही है कंपनी में बिल्कुल वैसे ही जैसे टीवी पर बिगबोस !!!
तो देखा आपने, आईटी सर्विसेज और फ़िल्म/टीवी कि दुनिया एक जैसी ही है , हमे भी अपने आप को किसी सलिब्रिटी से कम नहीं समझना चाहिए।
तो बोलो सब मिलके_ _ _ लाइट्स - कैमरा - एक्शन - कट -कॉपी - पेस्ट
आपका क्या विचार है , या अब भी कहेंगे कि "क्या बकवास कर रहा है ?"
-------------------------------------------------------------फ़ोटो इंटरनेट के सौजन्य से
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