एक बार की बात है,
एक हरी-भरी भिंडी मार्केट से गुजर रही थी, तभी वहाँ पास ही के एक पोल्ट्री फार्म के कुछ मुर्गो ने भिंडी को छेड़ दिया, भिंडी घबराई, और डर के मारे वहां से भागती हुयी सब्जी मण्डी पहुची, उसको डरा हुआ देख के उसके भाई आलू ने उससे पूरा हाल पूछा और जब उसे यह बात पता पड़ी की उसकी बहन को कुछ मुर्गो ने छेड़ा है तो आलू गुस्से से उबल पड़ा और अपने दोस्त प्याज़ को लेके गया पोल्ट्री फार्म.. ... वहां जाके उन दौनो ने मुर्गो को गालियाँ देना शुरू किया, मुर्गो को भी बड़ा गुस्सा आया, उन्होंने आलू और प्याज को घेर के खूब नोचा|
बेचारे आलू और प्याज की हालत खराब हो गई और यह खबर पूरी सब्जी मण्डी मे आग की तरह फैल गयी, और खबर को इतना तोड़ मरोड़ के परोसा गया की करेला और भी कड़वा हो गया, मिर्ची का तीखापन बढ़ गया, और टमाटर सुर्ख लाल हो गया|
सब्जी मंडी के दलालो ने सारी सब्जियों को भड़काया और कहा की पोल्ट्री फार्म पर हमला बोल दो, और धीरे से यह खबर पोल्ट्री फार्म के मालिको को भी मिली, उन्होने भी अपने ख़ूँख़ार मुर्गो जिनके नाख़ून बड़े तेज़ थे, को तैयार किया, भड़काया और पिंजरे से आज़ाद किया, फिर जैसे ही सब्जियाँ आई, मुर्गे सब्जियों पर टूट पड़े, मिर्चिया भी मुर्गो की आँखो मे जाके गिरने लगी, करेला, प्याज़ और आलू भी पूरी तरह से मुर्गो को पस्त करने मे लगे हुए थे, टमाटर भी अपने तेवर दिखा रहा था|
मिर्ची ने अपने तीखेपण से पूरे पोल्ट्री फार्म मे आग लगा दी थी, जिससे बेचारे निर्दोष मुर्गे जल कर भुन गये थे, इधर ख़ूँख़ार मुर्गो ने कितने ही निर्दोष प्याज़, टमाटर और धनिए को कुचल कर चटनी बना दी थी |
और दूसरी तरफ सब्जी मंडी के दलालो और पोल्ट्री फार्म के मालिको ने आपस मे बातचीत करके मामला सुलझा लिया, अंत मे भुने हुई मुर्गो पर कुचली हुई लाल मिर्च, पीसा हुआ टमाटर, कटा हुआ प्याज़ और हरा धनिया डाल कर हमारे देश के "नेताओं" को "धर्मनिरपेक्ष" कबाब खिलाया गया, सभी ने बहुत तारीफ़ की|
एक बार की बात ...जी नही यह ना जाने कितने बार की बात थी..और ना जाने कितने पोल्ट्री फार्म और सब्जी मंडी ऐसे ही जल कर खाक हो गये .. . और ना जाने कितनी बार फिर ऐसा होगा...मुर्गे और सब्जियाँ कब समझेंगी की इनका आपस मे लड़ना दर-असल "नेताओ" का पेट भरना है|