Monday, 2 September 2013

भारत की न्याय प्रणाली


कुछ दीनो पहले मेने एक हिन्दी फ़िल्म देखी थी “स्पेशल 26”, जिसमे असली वाली CID के मनोज वाजपयी और लूट जाने वाले जौहरी सेठ के बीच एक संवाद है जिसमे मनोज वाजपयी कहते है की “ सेठ जी, हमारे देश मे जुर्म सोचने की सज़ा नही मिलती, जुर्म करने की मिलती है और वो भी तब जब सबूत हो”


यह संवाद सुन के मेरे मन मे आया की अगर ऐसा सच मे होता की इंसान के अपराध  सोचने भर से ही उसको पकड़ लिया जाता और सज़ा सुना दी जाती तो कैसा होता हमारा देश?

वैसे आप कहेंगे की क्या फालतू की बकवास है, ऐसा कैसे संभव हो सकता है? तो दोस्तो, ऐसा हो सकता है, सोचिए अगर हमारे यहाँ हर इंसान के पैदा होते ही उसके दीमाग मे एक चिप लोड कर दें जो की उसके सोचने समझने की प्रणाली(nervous system) को नियंत्रित करती हो, चिप के प्रोग्रामिंग IPC की धाराओं के हिसाब से इस तरह हो की अगर व्यक्ति ने सोचा की में फलाँ फलाँ व्यक्ति को मार दूँगा तो तुरंत धारा 302 वाला signal activate हो जाएगा और निकटतम पोलीस स्टेशन पर उस व्यक्ति के ID नंबर के साथ अलार्म बज जाएगा, बस पोलीस वाले अपना काम शुरू कर देंगे और अपराधी सोच वाला व्यक्ति  पुलिस  की निगरानी में आ जायेगा।
विज्ञान  के इस युग मे सब कुछ संभव है, तो ऐसा भी हो सकता है एक दिन.
तो पाठकों (readers)  सोचिए की अगर ऐसा हो जाए, की इंसान के अपराध सोचने भर से ही उसके मोबाइल फोन पर उसको  चेतावनी मिल जाए की “एक बार अपराध सोच तो लिया है अब दोबारा से मत सोचना”. ऐसे मे हमारे देश मे बढ़ते हुए कितने अपराध नियंत्रित हो जाएँगे?

किंतु एक समस्या भी है,  कई  सारे निर्दोष लोग  बे-वजह फँस जाएँगे, जो बेचारे सिर्फ़ अपने दिल की खुशी के लिए किसी अपराध के बारे मे सोचते है, करते कभी नही,, जैसे आज के परिद्रश्य(Situation) की बात करे और  ऐसी प्रणाली प्रभावी हो जाए तो देश की आधी से ज़्यादा जनसंख्या “गाँधी” परिवार के विरुद्ध  "सोचने" के अपराध मे जेल मे होगी, ये ही नही, हमारे देश के कई मेधावी (Brilliant) अभियांत्रिकी (Engineering) स्वस्थ युवा पुरुष की श्रेणी मे आने वाले छात्र जो बेचारे सिर्फ़ सोच ही सकते है, वो सबसे ख़तरनाक धारा के लपेटे मे आ जाएँगे ( धारा 376).

इस अपराध सूचक प्रणाली का असर सीधा हमारे देश के नागरिको की सोच पर होगा और जब सोच बदलेगी तो देश तो अपने आप बदल जाएगा| किंतु फिर एक समस्या है, ऐसे कई अपराध सूचक यंत्र तो आज भी देश मे है, आज भी  देश मे कठोर कानून व्यवस्था है। सुचना का अधिकार है, CBI है, दुनिया भर की एजेंसीज है,
परंतु जो सबसे ज़्यादा बड़े अपराधी है, हमारे नेता गण जो की अपने आप को किसी भी अपराध नियंत्रण प्रणाली से ऊपर समझते है वो यहा भी बच निकलेंगे. और दूसरी समस्या यह है की आज की हमारी पोलीस जो की अपराध “करने” वालो को ही नही पकड़ सकती, और पकड़ भी ले तो उन्हे सज़ा नही दिला सकती तो सोचिए वो पोलीस अपराध “सोचने” वालो को क्या खाक पकड़ेगी…..

अभी के ताजा उदाहरण (Delhi Gang Rape Juvenile verdict, Aasaram Bapu case)इस बात के प्रमाण है की हमारी न्याय प्रणाली कितनी खोखली है, हमारा संविधान जो की कई दुसरे देशो के संविधान का Copy Paste है कितना कमजोर है, हमारे देश में अगर ताकतवर है तो बस राजनैतिक लोग जो जब भी मन में आये तब कानून, संविधान, नीतियां बदल लेते है और सिर्फ आम आदमी के विरुद्ध इन्हें उपयोग करते है।

में आप सभी के भी विचार जानना चाहूँगा, की आज की कानून व्यवस्था हमारे देश के अपराधिक मनोविज्ञान से निपटने में कारगर है ? हमारा देश जो की प्रजातान्त्रिक देश है क्या कानून बनाने के समय हमारी राय नहीं ली जानी चाहिए ?

2 comments:

Anonymous said...

Pritesh.. maana padega.. socha bahut badiya.. lekin jis desh mai basic medical facilities nahi hai vha dimag mai chip sochna thoda mushkil laga. Aur agar lag bhi gaya toh jo log army mai hai, kya thrilar novel ke writer hai vo bhi kisiko maarne ke bare mai nahi soch payenge... aur aisa koi system ban bhi gaya toh uska haal bhi irctc ke web site ki tarhan ho jayega.. judicial system mai kai aise example aaye hai recent time mai jise sanjay dutt ko saja hona, inse thoda trust thod bada hai...but still long way to go...

प्रीतेश दुबे said...

Dost hum log sirf soch hi sakte hai...chip wala idea to kabhi nahi implement ho sakta, but I am just hitting at the present judicial system, which is so weak that a person gets punishment after long time of trails and then in that case this Juvenile act...rubbish... a person who is 17 years old, commits most heinous crime gets only 3 years punishment because he is not 18+ ?? on the same way powerful people are always saved from any kind of harsh punishment..... why??

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